दिल्ली में नहीं रहना बेहतर, यह ‘गैस चैंबर’ की तरह: उच्चतम न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘मैं दिल्ली में बसना नहीं चाहता. दिल्ली में रहना मुश्किल है.’

New Delhi: A woman wears an anti-pollution mask as smog covers the capital's skyline on Wednesday. Yesterday the air quality hit severe levels in New Delhi. PTI Photo by Shahbaz Khan(PTI11_8_2017_000013A)

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘मैं दिल्ली में बसना नहीं चाहता. दिल्ली में रहना मुश्किल है.’

New Delhi: A woman wears an anti-pollution mask as smog covers the capital's skyline on Wednesday. Yesterday the air quality hit severe levels in New Delhi. PTI Photo by Shahbaz Khan(PTI11_8_2017_000013A)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम पर लगाम कसने में नाकामी पर निराशा जताते हुए कहा कि दिल्ली में नहीं रहना बेहतर है क्योंकि यह ‘गैस चैंबर’ की तरह हो गई है.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए बीते शुक्रवार को कहा, ‘सुबह और शाम, बहुत प्रदूषण और ट्रैफिक जाम रहता है.’

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में नहीं रहना बेहतर है. मैं दिल्ली में बसना नहीं चाहता. दिल्ली में रहना मुश्किल है.’

जस्टिस मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि ये समस्याएं जीवन जीने के अधिकार को प्रभावित करती हैं.

जस्टिस मिश्रा ने यातायात की समस्या बताने के लिए एक उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि वह शुक्रवार की सुबह ट्रैफिक में फंस गए और शीर्ष अदालत में दो न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंच नहीं सके.

अदालत की न्यायमित्र के रूप में मदद कर रहीं अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पीठ से कहा कि दिल्ली प्रदूषण के कारण ‘गैस चैंबर’ बन गई है.

इस पर, जस्टिस गुप्ता ने सहमति जताई, ‘हां, यह गैस चैंबर की तरह है.’

अपराजिता ने अदालत से कहा कि अधिकारी हमेशा कहते हैं कि वे प्रदूषण कम करने के लिए क़दम उठा रहे हैं लेकिन वास्तविकता अलग है.

पीठ ने कहा, ‘कौन सी चीज़ें हैं जिन्हें असल में करने की ज़रूरत है? विस्तृत कार्य योजना के तहत क्या-क्या करना रह गया है? दिल्ली में पर्यावरण प्रदूषण कम करने के लिए क्या ज़रूरी है? और क्या किया जा सकता है? क्रियान्वयन में निश्चित रूप से कमी है.’

अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए एक फरवरी की तारीख़ तय की.

हवा की गति बढ़ने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार

दिल्ली में शुक्रवार को हवा की गति बढ़ने से वायु की गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ हालांकि यह ‘काफी ख़राब’ श्रेणी में बनी रही. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में पहुंच गयी थी.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शहर का कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक 394 रहा था जो काफी ख़राब श्रेणी में आता है.

100 से 200 के बीच का सूचकांक ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है जबकि 201 से 300 का सूचकांक ‘ख़राब’ श्रेणी में और 301 से 400 का सूचकांक ‘काफी ख़राब’ श्रेणी में आता है. 401 से 500 के बीच का सूचकांक ‘गंभीर’ माना जाता है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार को 11 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही जबकि 18 स्थानों पर यह ‘काफी ख़राब’ श्रेणी में रहा.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही जबकि फरीदाबाद, गुड़गांव और नोएडा की वायु गुणवत्ता ‘काफी ख़राब’ श्रेणी में रही.

केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) ने कहा कि कुल मिलाकर वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है और यह ‘गंभीर’ से ‘काफी ख़राब’ श्रेणी में आ गई. इसकी वजह हवा की गति बढ़कर 3.8 किलोमीटर प्रति घंटा होना है हालांकि घना कोहरा सहित अन्य प्रतिकूल परिस्थितियां मौजूद हैं.

सफर ने कहा कि वायु गुणवत्ता में मामूल सुधार होने की उम्मीद है हालांकि सूचकांक के काफी ख़राब श्रेणी में बने रहने की संभावना है.

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