61 साल में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं होंगे वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चे

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार आयोजित करने वाले ग़ैर-सरकारी संस्था भारतीय बाल कल्याण परिषद से केंद्र सरकार ने ख़ुद को अलग कर लिया है और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाते हुए इसके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाई है. संस्था का कहना है कि ये आरोप निराधार हैं.

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New Delhi: Children, who will be honored with National Bravery Awards 2018, pose for a group photo during a press conference, in New Delhi, Friday, Jan 18, 2019. (PTI Photo/Kamal Singh) (PTI1_18_2019_000062B)
New Delhi: Children, who will be honored with National Bravery Awards 2018, pose for a group photo during a press conference, in New Delhi, Friday, Jan 18, 2019. (PTI Photo/Kamal Singh) (PTI1_18_2019_000062B)

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार आयोजित करने वाले ग़ैर-सरकारी संस्था भारतीय बाल कल्याण परिषद से केंद्र सरकार ने ख़ुद को अलग कर लिया है और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाते हुए इसके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाई है. संस्था का कहना है कि ये आरोप निराधार हैं.

New Delhi: Children, who will be honored with National Bravery Awards 2018, pose for a group photo during a press conference, in New Delhi, Friday, Jan 18, 2019. (PTI Photo/Kamal Singh) (PTI1_18_2019_000062B)
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2018 पाने वाले बच्चे (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित बच्चे इस साल राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं हो सकेंगे. इसकी वजह इन पुरस्कारों को आयोजित करवाने वाली संस्था भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगना है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस संस्था पर वित्तीय गड़बडियों के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने खुद को इससे अलग कर लिया है. इसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसके खिलाफ कथित वित्तीय गबन को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज कराई है.

मालूम हो कि हर साल गणतंत्र दिवस पर देश भर से चुने गए बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया जाता है. 1957 से आईसीसीडब्ल्यू इन पुरस्कारों का आयोजन करता आया है लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा.

दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इसकी वित्तीय विश्वसनीयता पर सवाल उठने के बाद केंद्र सरकार ने खुद को इससे अलग कर लिया.

दैनिक भास्कर के मुताबिक इस साल से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 5 श्रेणी में चयनित 26 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से नवाज़ा जायेगा.

हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस पर मेधावी बच्चों को दिये जाने वाले नेशनल अवाॅर्ड फॉर चिल्ड्रन का नाम बदलकर अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार कर दिया गया है. 2019 में इस पुरस्कार के लिए 5 श्रेणियों में 26 बच्चों का चयन किया गया है.

इन बच्चों को 22 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया जायेगा और यही बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होंगे. इन श्रेणियों में पहले चार- इनोवेशन, स्कॉलेस्टिक, आर्ट एंड कल्चर, सोशल सर्विस और स्पोर्ट्स ही थे, जिसके साथ इस बार बहादुरी को भी शामिल किया गया है.

वहीं आईसीसीडब्ल्यू ने भी राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए देश भरसे 21 बच्चों का चयन किया है. अब ये बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड शामिल नहीं होंगे.

इन बच्चों को परेड का आमंत्रण न मिलने पर आईसीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने कहा है कि सरकार खुद अवाॅर्ड देना चाहती है, इसलिए हमें इनकार कर दिया गया.

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय गड़बडियों के आरोप निराधार हैं. परिषद ने जिन दो सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की थी, वही बदले की भावना से प्रेरित होकर अदालत चले गए हैं और मामला अभी अदालत में है.

अमर उजाला की खबर के मुताबिक शुक्रवार को मीडिया से इन बच्चों को मिलवाते हुए गीता सिद्धार्थ ने बताया कि भारतीय बाल कल्याण परिषद केवल बहादुरी के लिए पुरस्कार देती थी, जबकि सरकार द्वारा चयनित 26 बच्चों में सभी का चयन बहादुरी के लिए नहीं किया गया है.

1957 से परिषद ही देश भर में बहादुरी का काम करने वाले बच्चों को चुनते हुए पुरस्कार देती थी, इसमें केंद्र सरकार का सहयोग होता था और इन बच्चों को सरकार की ओर से गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिलता था.

बताया जाता है कि पुरस्कार पाने वाले बच्चों की पढ़ाई, ट्रेनिंग आदि का पूरा खर्चा परिषद देती थी, जिसमें कभी केंद्र सरकार से मदद नहीं ली गई.

केंद्र के इस पुरस्कार से खुद को अलग करने के बाद से दिल्ली सरकार भी पीछे हटी है. ख़बरों के मुताबिक शुक्रवार को इन बच्चों की दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात तय थी, लेकिन बाद में इसे उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से रद्द कर दिया गया.

गीता सिद्धार्थ ने यह भी आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने उन्हें अलग से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार देने की जानकारी नहीं दी थी.

हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार के इन पुरस्कारों से अलग होने के बारे में परिषद को समय से बता दिया गया था. सूत्रों के अनुसार यही स्पष्ट करने के बाद मंत्रालय ने बीते अगस्त में दूसरे पुरस्कारों के लिए आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी.

अधिकारियों के अनुसार, ‘हाल ही में किसी भी तरह के भ्रम से बचने के लिए वीरता पुरस्कारों से अलग होने के निर्णय के बारे में परिषद को लिखित में सूचित किया गया था.’

इस बीच गीता सिद्धार्थ ने शुक्रवार को यह पुरस्कार पाने वाले बहादुर बच्चों के नामों की घोषणा की, जिसमें जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से सीधा मुकाबला करने पर सेना के दो परिवारों के दो बच्चों गुरूगु हिमाप्रिया और सौम्यादीप जना को संस्था का सर्वोच्च भारत पुरस्कार दिया जाएगा.

उनके साथ दिल्ली निवासी व मूलरूप से टिहरी गढ़वाल की मरणोपरांत नितिशा नेगी को गीता चोपड़ा अवॉर्ड, हिमाचल प्रदेश की मुस्कान और सीमा, गुजरात के गोहिल जयराज सिंह, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के कुंवर दिव्यांश सिंह, गोरखपुर के मंदीप कुमार पाठक समेत अन्य को साल 2018 के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है.

इस बीच परिषद और केंद्र सरकार के बीच खींचतान में दिल्ली पहुंचे बच्चे और उनके परिजन परेड में न जाने की बात पर निराश हैं.

पुरस्कार पाने वाले 12 वर्षीय दिव्यांश ने अमर उजाला से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गणतंत्र दिवस परेड में इन बच्चों को शामिल करने की मांग रखी.

दिव्यांश ने कहा, ‘परिषद और सरकार के बीच जो भी विवाद हो, उसमें हमें शामिल न किया जाए. अब हम जब दिल्ली पहुंच चुके हैं तो हमें भी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल करने का मौका दें.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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