ट्रांसफर किए गए अधिकारियों में 2जी घोटाले की जांच कर रहे एसपी विवेक प्रियदर्शी और स्टरलाइट प्लांट के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए 13 लोगों के मामले की जांच कर रहे अधिकारी ए. सर्वनन भी शामिल हैं.

एम. नागेश्वर राव. (फोटो साभार: फेसबुक)
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई में अधिकारियों के ट्रांसफर का सिलसिला जारी है. सोमवार को सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव ने एक साथ 20 अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया.
ट्रांसफर किए गए अधिकारियों में 2जी घोटाला मामले की जांच कर रहे एसपी विवेक प्रियदर्शी भी शामिल हैं जो एजेंसी के एंटी करप्शन ब्यूरो की दिल्ली इकाई के प्रमुख हैं. विवेक प्रियदर्शी का ट्रांसफर चंडीगढ़ कर दिया गया है.
पिछले साल तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरर्लिंग प्लांट के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस फायरिंग के दौरान 13 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले की जांच कर रहे ए. सर्वनन का भी ट्रांसफर कर दिया गया है. ए. सर्वनन को मुंबई की बैंकिंग, प्रतिभूति और फर्जीवाड़ा जांच शाखा में भेजा गया है.
यह शाखा हीरा व्यापारियों- नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के अलावा फर्जीवाड़ा करने वाले अन्य लोगों की जांच कर रही है. आदेश में यह भी कहा गया है कि सर्वनन स्टरलाइट गोलीबारी मामले की जांच जारी रखेंगे.
तबादले के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि संवैधानिक अदालतों के आदेश पर किसी भी मामले की जांच और निगरानी करने वाले अधिकारी यह काम करते रहेंगे.
Interim Director of Central Bureau of Investigation (CBI) M Nageswara Rao yesterday transferred 20 officers. The list also includes SP Vivek Priyadarshi, who was handling ACB Delhi unit probing the 2G spectrum scam.
— ANI (@ANI) January 22, 2019
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई के विशेष विभाग में तैनात प्रेम गौतम को पदमुक्त कर दिया गया है. गौतम एजेंसी के अंदर अधिकारियों पर नज़र रखने का काम कर रहे थे. गौतम की जगह चंडीगढ़ विशेष अपराध शाखा से आए राम गोपाल लेंगे. हालांकि गौतम आर्थिक मामलों की जांच जारी रखेंगे. उन्हें उपनिदेशक (कार्मिक) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.

ट्रांसफर किए गए अधिकारियों की सूची.
मालूम हो कि एम. नागेश्वर राव को सीबीआई की कमान सौंपने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ गैर सरकारी संगठन कॉमन-कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्चस्तरीय चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं की गई थी, जैसा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत अनिवार्य है.
गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच टकराव सामने आने के बाद पिछले साल 24 अक्टूबर को एम. नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीनचिट देने में कथित तौर पर घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मोईन क़ुरैशी मामले में हैदराबाद के एक व्यापारी से दो बिचौलियों के ज़रिये पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी.
जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर ही इस मामले में आरोपी को बचाने के लिए दो करोड़ रुपये की घूस लेने का आरोप लगाया था. दोनों अफसरों के बीच मची रार सार्वजनिक हो गई तो केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था.
इस बीच सीबीआई के डीआईजी एमके सिन्हा ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल पर गंभीर आरोप लगाए थे.
सिन्हा ने अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में हुए अपने तबादले को ‘मनमाना और दुर्भावनापूर्ण’ बताते हुए शीर्ष अदालत में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी. सीबीआई अधिकारी एमके सिन्हा राकेश अस्थाना केस की जांच का नेतृत्व कर रहे थे और सीबीआई अधिकारी एके बस्सी के साथ उनका भी तबादला कर दिया गया था.
आलोक वर्मा ने भी उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बीते आठ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को ख़ारिज कर दिया था.
इसके दो दिन बाद 10 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की एक बैठक के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया.
अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया है. पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा को अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया था. हालांकि आलोक वर्मा ने इस पद को संभालने से मना कर दिया था.

ट्रांसफर किए गए अधिकारियों की सूची.
इस बीच बीते 17 जनवरी को केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार अधिकारियों का कार्यकाल ख़त्म कर दिया है. राकेश अस्थाना के अलावा जिन अधिकारियों का कार्यकाल ख़त्म किया गया है उनमें एके शर्मा, एमके सिन्हा, जयंत जे. नाइकनवरे हैं. एके शर्मा सीबीआई में जॉइट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे. एमके सिन्हा डीआईजी और जयंत जे. नइकनवरे एसपी पद पर थे.
बीते 24 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे 13 सीबीआई अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था. इन अधिकारियों में सीबीआई के डीएसपी एके बस्सी भी शामिल थे.
बीते 21 जनवरी को सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) एके बस्सी ने अपने पोर्ट ब्लेयर तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बस्सी का दावा है कि उनका तबादला दुर्भावना से प्रेरित है और इससे जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच प्रभावित होगी.
जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं.
बस्सी ने याचिका में कहा है कि एम. नागेश्वर राव ने ही 24 अक्टूबर, 2018 को भी उनका तबादला पोर्ट ब्लेयर किया था और एक बार फिर वह आलोक वर्मा प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले की अनदेखी करते हुए उन्हें अंडमान निकोबार भेज रहे हैं.
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