नरोदा पाटिया दंगा: 10 साल की सज़ा पाने वाले चार दोषियों को ज़मानत

साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद राज्य में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी. मारे गए ज़्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे.

New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
(फोटो: पीटीआई)

साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद राज्य में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी. मारे गए ज़्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे.

New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के नरोदा पाटिया दंगा मामले में दोषी करार दिए गए चार लोगों को जमानत दे दी. गुजरात हाईकोर्ट ने इन चारों आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई थी. 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े इस मामले में 28 फरवरी, 2002 को भीड़ ने 97 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को जिन चार दोषियों को जमानत दी उनके नाम उमेशभाई सुराभाई भारवाड़, राजकुमार, पद्मेंद्रसिंह जसवंतसिंह राजपूत और हर्षद उर्फ मुंगडा जिला गोविंद छाड़ा परमार है. पीठ ने कहा, ‘इन चारों को दोषी ठहराए जाने पर उन्हें संदेह है. मामले में बहस की भी गुंजाइश है इसलिए इन्हें जमानत पर रिहा किया जा रहा है.’

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और अन्य की अपील भी स्वीकार कर ली है.

साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद राज्य में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में 28 फरवरी, 2002 को भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी. इस घटना में मारे गये ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे.

इसके बाद 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच पुलिस के बजाय कोर्ट की गठित की गई कमेटी यानी स्पेशल जांच टीम करे. इसके बाद अगस्त 2009 में नरोदा पाटिया में हुए दंगे पर मुकदमा शुरू हुआ और 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए.

इस मामले की सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए. अगस्त 2012 को कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में बाबू बजरंगी और माया समेत 32 लोगों को दोषी ठहराया, जबकि 29 लोगों को आरोपमुक्त कर दिया.

निचली अदालत ने गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री कोडनानी को 28 साल कैद की सजा सुनाई थी, जबकि बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा और बाकी दोषियों को 21 सालों की सजा दी गई.

इस साल 20 अप्रैल 2018 को गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए इस मामले में 29 आरोपियों में से 12 को दोषी ठहराया था. कोर्ट ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत 18 लोगों को बरी कर दिया था, जबकि बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत 13 लोगों को कोर्ट ने दोषी माना था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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