सार्वजनिक बैंकों के अधिकारियों के एक धड़े का कहना है कि रिज़र्व बैंक निजी बैंकों पर अधिक नियंत्रण का दावा करता है लेकिन आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन ऋण मामले में बैंक अधिकारियों पर कार्रवाई करने में असफल रहा.
नई दिल्ली: सार्वजनिक बैंकों के अधिकारियों के एक धड़े ने सरकारी बैंकों के नियमन के लिए रिजर्व बैंक की अधिक शक्ति की मांग पर बृहस्पतिवार को सवाल खड़े किया. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक निजी बैंकों पर अधिक नियंत्रण का दावा करता है पर वह आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मामले में बैंक अधिकारियों पर कार्रवाई करने में असफल रहा.
मालूम हो कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये का लोन देने को लेकर बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर पर हितों के टकराव का आरोप लगा था. सीबीआई ने बृहस्पतिवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
इस एफआईआर में उनके पति और न्यूपावर व सुप्रीम एनर्जी के एमडी दीपक कोचर और वीडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल धूत का भी नाम है.
इसी एफआईआर के आलोक में कुछ सरकारी बैंक अधिकारियों ने आश्चर्य जाहिर किया कि रिजर्व बैंक सरकारी तथा निजी बैंकों के मामलों में कार्रवाई करने में भेदभाव तो नहीं कर रहा.
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि यह आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश कर निजी कंपनियों को ऋणों की मंजूरी दी गयी.
उन्होंने कहा कि चंदा, उनके पति दीपक और धूत के अलावा एजेंसी ने प्राथमिकी में न्यूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रोनिक्स लि. और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लि. को भी आरोपी बनाया गया है.
मालूम हो कि एजेंसी ने मामला दर्ज करने के बाद विभिन्न स्थानों पर छापे मारे. इन स्थानों में वीडियोकॉन समूह के मुंबई और औरंगाबाद कार्यालय, न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्रा. लि. और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालय शामिल हैं.
सीबीआई की प्राथमिकी आपराधिक साजिश से जुड़ी आईपीसी की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू 420 और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम, 1988 की धारा 7, धारा 13 (2) आर/डब्ल्यू13 (1) (घ) के तहत दर्ज की गई.
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने धूत, दीपक कोचर और अज्ञात अन्य के खिलाफ पिछले साल मार्च में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी. सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पीई दर्ज करती है ताकि वह सबूत एकत्र कर सके. एजेंसी ने इस पीई को प्राथमिकी में बदल दिया है.
बैंक अधिकारियों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर दावा किया कि प्रक्रिया संबंधी खामी होने पर भी सरकारी बैंक अधिकारियों पर रिजर्व बैंक काफी सख्ती से कार्रवाई करता है लेकिन कोचर के बेहद मजबूत मामले में उसने ठीक से कार्रवाई नहीं की.
एक शीर्ष सरकारी बैंक के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि नीरव मोदी के 14 हजार करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाला मामले में प्रक्रिया में चूक को लेकर प्रबंध निदेशक तथा दो कार्यकारी निदेशकों को बर्खास्त कर दिया.
उन्होंने कहा,’ ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक सरकारी बैंकों तथा निजी बैंकों के लिये अलग रवैया रखता है जबकि दोनों ही तरह के बैंकों के पास आम लोगों का पैसा है.’
एक अन्य सरकारी बैंक अधिकारी ने कहा कि वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा ऋण देने में हुई अनियमितता रिजर्व बैंक समेत विभिन्न प्राधिकरणों की जांच के दायरे में आई. इसके बाद भी रिजर्व बैंक ने कोचर के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष कदम नहीं उठाया.
बैंक अधिकारियों के संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी) के एक प्रवक्ता ने निजी बैंकों के मामले में रिजर्व बैंक की नीयत पर संदेह जाहिर किया.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक या इसके अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. ज्ञात हो कि कोचर ने अक्टूबर, 2018 में आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)