2014 से अब तक में कितनी बार फोन टैपिंग की गई, ये जानकारी नहीं दे सकते: गृह मंत्रालय

द वायर द्वारा दायर किए गए आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इस जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे देश हित प्रभावित होंगे, किसी व्यक्ति को ख़तरा हो सकता है या जांच की प्रक्रिया बाधित हो सकती है.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

द वायर द्वारा दायर किए गए आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इस जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे देश हित प्रभावित होंगे, किसी व्यक्ति को ख़तरा हो सकता है या जांच की प्रक्रिया बाधित हो सकती है.

New Delhi: Home Minister Rajnath Singh during the inauguration of two mobile applications “MHA Grievances Redressal App” & “BSFMyApp” at a function in New Delhi on Thursday. PTI Photo by Kamal Singh(PTI5_11_2017_000193B)
गृह मंत्रालय राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने कहा है कि फोन टैपिंग के लिए केंद्रीय एजेंसियों को अनुमति दिए जाने संबंधित जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे देश हित प्रभावित होंगे, किसी व्यक्ति को खतरा हो सकता है या जांच की प्रक्रिया बाधित हो सकती है.

गृह मंत्रालय ने यह बात द वायर द्वारा दायर की गई एक आरटीआई आवेदन पर दिए गए जवाब में कही है. गृह मंत्रालय से ये जानकारी मांगी गई थी कि साल 2014 से लेकर अब तक में केंद्रीय एजेंसियों को फोन टैपिंग के कुल कितने आदेश दिए गए हैं.

हालांकि मंत्रालय ने कहा कि ये जानकारी आरटीआई एक्ट, 2005 की धारा 8(1)(ए), 8(1)(जी) और 8(1)(एच) के तहत नहीं दी जा सकती है. मंत्रालय ने अपने जवाब में लिखा, ‘इंडियन टेलिग्राफ नियम, 1951 के तहत केंद्र और सरकार द्वारा निर्धारित एजेंसियां कानूनी इंटरसेप्शन/फोन टैपिंग करती हैं. अगर इससे संबंधित जानकारी दी जाती है कि फोन टैंपिंग/इंटरसेप्शन के उद्देश्य का उल्लंघन होगा.’

हालांकि द वायर द्वारा दायर की गई आरटीआई में सिर्फ ये पूछा गया कि कुल कितने फोन टैपिंग के ऑडर दिए गए हैं. इसके अलावा इससे संबंधित कोई विशिष्ट ब्योरा नहीं मांगा गया था.

RTI phone Tapping
गृह मंत्रालय का जवाब.

मंत्रालय ने आंकड़े नहीं देने के लिए आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) का सहारा लिया। इस धारा के तहत ऐसी सूचना का खुलासा करने से छूट है जिससे भारत की संप्रभुता, एकता, सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित प्रभावित होते हैं या दूसरे देशों से संबंध खराब होने की आशंका हो या इससे हिंसा भड़कती हो.

गृह मंत्रालय ने आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जी) और 8 (1) (एच) का भी सहारा लिया जिसके तहत क्रमश: किसी व्यक्ति की जिंदगी को खतरा पैदा होने और जांच की प्रक्रिया बाधित होने का हवाला देकर सूचना नहीं दी जा सकती है.

इस मामले को लेकर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘यह पूरी तरह बकवास है. इन धाराओं का इस तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यह मुख्य जनसूचना अधिकारी की तरफ से दिया गया गलत आदेश है.’

उन्होंने कहा, ‘इस तरह का ब्योरा आरटीआई कानून की धारा 4 के तहत सार्वजनिक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए था. इस तरह की छूट का जब हवाला दिया जाता है तो उन्हें उचित ठहराने के लिए मजबूत कारण बताए जाने चाहिए.’

मालूम हो कि बीते 20 दिसंबर को केंद्र की मोदी सरकार ने प्रमुख 10 एजेंसियों को देश के सभी कंप्यूटरों की सूचनाओं का इंटरसेप्शन, निगरानी और डिक्रिप्शन का अधिकार दिया है.

गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो (आईबी), मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार होगा.

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कंप्यूटरों की कथित तौर पर निगरानी का अधिकार देना नागरिक स्वतंत्रता और लोगों की निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25