मोदी, जेटली अर्थशास्त्र नहीं जानते: भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी

स्वामी ने दावा किया कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही वित्त मंत्री अरुण जेटली अर्थशास्त्र जानते हैं, क्योंकि वे तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हैं.

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भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी. (फोटो: पीटीआई)

स्वामी ने दावा किया कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही वित्त मंत्री अरुण जेटली अर्थशास्त्र जानते हैं, क्योंकि वे तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हैं.

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी. (फोटो: पीटीआई)
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को दावा किया कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही वित्त मंत्री अरुण जेटली अर्थशास्त्र को जानते हैं, क्योंकि वे तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हैं.

स्वामी ने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता है कि क्यों प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि जीडीपी गणना के लिए वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य प्रक्रियाओं के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरी सबसे बड़ी है.

आमतौर पर विवादों में रहने वाले स्वामी ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि हमारे प्रधानमंत्री भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था क्यों कहते हैं…क्योंकि वे अर्थशास्त्र नहीं जानते हैं, और वित्त मंत्री भी कोई अर्थशास्त्र नहीं जानते हैं.’

हार्वर्ड से अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त सुब्रमण्यम स्वामी अक्सर जेटली की आलोचना करते रहे हैं. यह देखते हुए कि विनिमय दरों के आधार पर गणना भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में पांचवें स्थान पर लाती है, उन्होंने कहा कि विनिमय दरें बदलती रहती हैं और भारत वर्तमान में इस तरह की गणना के आधार पर सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

स्वामी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के आकार की गणना करने का सही तरीका क्रय शक्ति समता (पर्चेज पावर पैरिटी) है, जिसके आधार पर भारत तीसरे नंबर पर है. ‘एंगेजिंग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पर एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और चीन औपनिवेशिक ताकतों द्वारा आक्रमण से पहले दुनिया के पहले और दूसरे सबसे समृद्ध देश थे.

स्वामी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने 1950 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को दी जाने वाली एक स्थायी सीट से इनकार कर दिया था. देश के पहले प्रधानमंत्री ‘सर्वोदय के मूड’ में थे, इसलिए उन्होंने कहा कि इसे चीन को दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि दो बड़े पड़ोसी के पास दुनिया की एक तिहाई आबादी है और दोनो का शांति से रहने का लंबा इतिहास है. स्वामी ने कहा, ‘हमें दोनों देशों के बीच प्राचीन और ऐतिहासिक संबंधों पर वापस जाने की जरूरत है.’

यह देखते हुए कि दोनों पड़ोसियों में एक साथ काम करने की बड़ी क्षमता है, कोलकाता में चीनी वाणिज्यदूत जनरल ज़ाह लियोन ने कहा कि चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि भारत पांचवीं या तीसरी सबसे बड़ी है लेकिन यह आंकड़ों या गणना पर निर्भर करेगा.

पड़ोसी प्रांत युन्नान प्रांत में व्यापार, वाणिज्य और उद्योगों में निवेश के लिए भारतीय व्यवसायों को आमंत्रित करते हुए, लियोन ने कहा कि विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन क्षेत्रों में अवसर हैं.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

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