इलाहाबाद विश्वविद्यालय: जेल में छात्र आमरण अनशन पर, कैंपस में छात्राएं धरने पर

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हॉस्टल खाली करवाने ​के विरोध में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है.

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हॉस्टल खाली करवाने के विरोध में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है.

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प्रदर्शन के दौरान आगजनी भी की गई. (फोटो: पीटीआई)

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों का आंदोलन नाज़ुक हालत में पहुंच गया है. हॉस्टल खाली कराने के विरोध में आंदोलनरत छात्रों में से गिरफ्तार हुए 22 छात्रों ने नैनी जेल में आमरण शुरू कर दिया है. जबकि गिरफ्तार छात्रों के समर्थन में महिला छात्रावास की छात्राओं ने भी मोर्चा खोल दिया है.

30 अप्रैल की रात में करीब दस बजे महिला परिसर छात्रावास की तमाम छात्राओं ने धरना शुरू किया और कुछ ही देर बाद सैकड़ों की संख्या में लड़कियां नारेबाज़ी करती हुईं मेन गेट से बाहर आ गईं. देर रात तक वहां पुलिस तो लगी रही, लेकिन विश्वविद्यालय का कोई भी अधिकारी वहां नहीं पहुंचा था.

महिला छात्रावास के बाहरी गेट पर छात्राओं ने धरना शुरू किया और कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के साथ बुरा बर्ताव कर रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उनका आरोप है कि आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे कुलपति अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए निर्दोष छात्रों को निशाना बना रहे हैं.

छात्राओं की तीन मांगें हैं- गिरफ्तार छात्रों को तुरंत रिहा किया जाए, परीक्षा के समय छात्रावास खाली कराने की कोशिश करने वाली प्रियदर्शिनी छात्रावास की सुप्रिटेंडेंट ज्योति मिश्रा को हटाया जाए और कुलपति रतन लाल हंगलू तुरंत अपना पद छोड़ें.

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जेल में आमरण अनशन कर रहे छात्रों का भी कहना है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय कुलपति प्रो रतन लाल हंगलू के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराए और उन्हें तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर भेजे.

जमकर मारपीट, तोड़फोड़

बीते शुक्रवार को छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इसके बाद छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित कुमार मिश्रा समेत 22 छात्रों को गिरफ्तार किया गया था. फिर शुक्रवार दिन में और रात में भी हिंसा हुई थी.

छात्रों की गिरफ़्तारी के विरोध में एबीवीपी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय समेत पूरे प्रदेश में कुलपति का पुतला फूंका है.

छात्रों ने लगातार विश्वविद्यालय और आसपास के इलाकों में बमबाजी की. इसके बाद पुलिस ने छात्रावासों में घुसकर लड़कों की जमकर पिटाई की थी.

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छात्राएं प्रियदर्शिनी हॉस्टल की सुप्रिटेंडेंट ज्योति मिश्रा को हटाए जाने की मांग कर रही हैं.

शुक्रवार की रात छात्रों ने विरोध स्वरूप विधि संकाय का हाल ही में बना अत्याधुनिक आॅडिटोरियम फूंक दिया और विज्ञान संकाय में भी जमकर तोड़फोड़ की.

पुलिस का अनुमान है कि आॅडिटोरियम फूंकने में पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया गया. आगजनी से करीब 50 लाख रुपये के अनुमान का नुकसान है. इस घटना के बाद शनिवार को एलएलबी की परीक्षा टाल दी गई.

छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने छात्रावासों में घुसकर जो भी मिला उसको जमकर पीटा गया और छात्रावासों में तोड़फोड़ भी की. इसके बाद शनिवार और रविवार को विश्वविद्यालय के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा और छात्रावासों में सन्नाटा पसरा रहा.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसा को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव और डीजीपी से मामले की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. साथ ही आदेश दिया है कि प्रशासन के अधिकारी कुलपति के साथ बैठक कर छात्रों की समस्या का हल निकालें.

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प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय के आॅडिटोरियम को फूंक दिया गया.

इसके पहले 26 अप्रैल को इलाहाबाद पुलिस ने दो हज़ार अज्ञात छात्रों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था. इसके अलावा 58 छात्रों को नामज़द किया गया है, जिसमें कई छात्रनेता शामिल हैं. छात्रों पर बवाल, आगजनी, बमबाज़ी, फायरिंग के अलावा सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने जैसी धाराएं लगाई गईं हैं.

रविवार को स्थानीय मीडिया में एसएसपी शलभ माथुर का बयान प्रकाशित हुआ कि ‘उपद्रवियों को चिह्नित किया जा रहा है. ख़ुद को छात्रनेता बताने वाले अराजक तत्वों की पहचान के लिए एलआईयू को लगाया गया है. जल्द ही उन्हें जेल भेजा जाएगा.’

गौरतलब है कि कुछ महीने पहले छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित कुमार मिश्रा ने कुलपति पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आंदोलन शुरू किया था जिसके बाद उन्हें मई तक के लिए विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया गया था.

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यह भी गौर करने की बात है कि छात्रसंघ पर एबीवीपी का कब्ज़ा है और कुलपति की नियुक्ति नरेंद्र मोदी सरकार ने की थी. मजेदार बात यह है कि छात्रों का आरोप है कि कुलपति अपने दो साल के कार्यकाल में अब तक किसी छात्र या छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिले.

अभूतपूर्व ढंग से हॉस्टल वॉशआउट के खिलाफ सभी छात्र संगठन एकजुट हो गए हैं और कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है.

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कहा, ‘कुलपति सामान्य सी समस्या सुनने के बजाय पुलिस बुला देते हैं. आज तक उन्होंने कभी न तो छात्रों को संबोधित किया ना ही उनसे बात की. वे लाठी, गोली, पुलिस का सहारा ले रहे हैं, जबकि विश्वविद्यालय की समस्या उनकी उपजाई हुई है. उनकी नाकामी के चलते कोई छात्र हॉस्टल क्यों खाली करे? जो छात्र दो महीने पहले हॉस्टल आया है, दस हज़ार रुपये जमा किए हैं, वह हॉस्टल छोड़कर क्यों जाए? हम सब दो एक दिन में सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.’

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