रफाल मामला: सुप्रीम कोर्ट ने गोपनीय दस्तावेज़ संबंधी केंद्र की आपत्तियों को ख़ारिज किया

याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका में 'द हिंदू' अखबार द्वारा प्रकाशित राफेल डील से संबंधित दस्तावेज पेश किए थे. इस पर आपत्ति जताते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसी जानकारी को सुनवाई में शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि इन्हें ‘विशेषाधिकार’ का संरक्षण प्राप्त है.

Bengaluru: French aircraft Rafale manoeuvres during the inauguration of the 12th edition of AERO India 2019 air show at Yelahanka airbase in Bengaluru, Wednesday, Feb 20, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI2_20_2019_000067B)
Bengaluru: French aircraft Rafale manoeuvres during the inauguration of the 12th edition of AERO India 2019 air show at Yelahanka airbase in Bengaluru, Wednesday, Feb 20, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI2_20_2019_000067B)

याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका में ‘द हिंदू’ अख़बार द्वारा प्रकाशित रफाल डील से संबंधित दस्तावेज़ पेश किए थे. इस पर आपत्ति जताते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसी जानकारी को सुनवाई में शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि इन्हें ‘विशेषाधिकार’ का संरक्षण प्राप्त है.

Bengaluru: French aircraft Rafale manoeuvres during the inauguration of the 12th edition of AERO India 2019 air show at Yelahanka airbase in Bengaluru, Wednesday, Feb 20, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI2_20_2019_000067B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रफाल मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा उठाई गई गोपनीय दस्तावेज़ों से संबंधित आपत्तियों को खारिज कर दिया है.

केंद्र का कहना था कि रफाल सौदे से संबंधित गोपनीय दस्तावेज़ों को पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई में शामिल नहीं किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार याचिका की सुनवाई इसकी मेरिट पर होगी और इसके लिए तारीख तय की जाएगी. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल ने एक साथ फैसला लिखा है. वहीं, जस्टिस केएम जोसेफ ने अपना अलग फैसला लिखा है. हालांकि दोनों फैसलों में खास अंतर नहीं है.

बीते 14 मार्च को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने सरकार द्वारा उठाई गई उन आपत्तियों पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश किए गए गोपनीय दस्तावेज़ को कोर्ट पुनर्विचार याचिका की सुनवाई में शामिल कर सकता है या नहीं.

याचिकाकर्ताओं ने ‘द हिंदू’ अखबार द्वारा प्रकाशित किए गए रफाल डील के गोपनीय दस्तावेज़ों को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट से उसके 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की थी, जिसमें न्यायालय ने रफाल डील में सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया था.

हालांकि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इन दस्तावेजों को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि ये चीजें पुनर्विचार याचिका की सुनवाई में शामिल नहीं की जा सकती है. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये दस्तावेज़ मंत्रालय से चुराए गए थे और ऐसे दस्तावेज़ों को भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत ‘विशेषाधिकार’ का संरक्षण प्राप्त है.

अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि इन दस्तावेज़ों को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट) के तहत संरक्षित किया जाता है और सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत धारा 8(1)(क) के तहत ऐसी जानकारी के खुलासे से छूट दी गई है.

हालांकि, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने वेणुगोपाल के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि ‘विशेषाधिकार’ का संरक्षण ऐसे दस्तावेज़ों को मिलता है जो कि सार्वजनिक नहीं होते हैं. जो दस्तावेज़ पुनर्विचार याचिका में पेश किए गए हैं वो पहले से ही प्रकाशित हो चुके हैं.

मालूम हो कि बीते 14 दिसंबर के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट में रफाल डील से संबंधित दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को ठुकरा दी थी.

पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के फैसले में कई सारी तथ्यात्मक गलतियां हैं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार द्वारा एक सीलबंद लिफाफे में दी गई गलत जानकारी पर आधारित है जिस पर किसी व्यक्ति का हस्ताक्षर भी नहीं है.

याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा है कि फैसला आने के बाद कई सारे नए तथ्य सामने आए हैं जिसके आधार पर मामले के तह तक में जाने की जरूरत है. रफाल मामले में फैसला आने के बाद कांग्रेस एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच पर जोर दे रही है.

साल 2015 के रफाल सौदे की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली अपनी याचिका खारिज होने के बाद, पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ-साथ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर फैसले की समीक्षा की मांग की है.

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