उत्तर प्रदेश: जूता कांड के बाद संत कबीर नगर में भाजपा सांसद और विधायक समर्थकों में मारपीट

मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान भाजपा विधायक राकेश बघेल और सांसद शरद चंद त्रिपाठी के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद शरद चंद त्रिपाठी ने हाल में जिला योजना की बैठक के दौरान विधायक बघेल को जूते से मारा था.

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6 मार्च को संत कबीर नगर में भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल की जूतों से पिटाई करते भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी. (फोटो साभार: एएनआई)

मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान भाजपा विधायक राकेश बघेल और सांसद शरद चंद त्रिपाठी के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद शरद चंद त्रिपाठी ने हाल में जिला योजना की बैठक के दौरान विधायक बघेल को जूते से मारा था.

6 मार्च को संत कबीर नगर में भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल की जूतों से पिटाई करते भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी. (फोटो साभार: एएनआई)
6 मार्च को संत कबीर नगर में भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल की जूतों से पिटाई करते भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी. (फोटो साभार: एएनआई)

संत कबीर नगर: संत कबीर नगर जिले के मेंहदावल क्षेत्र में शनिवार को भाजपा की चुनाव सभा में क्षेत्रीय विधायक और सांसद के समर्थकों के बीच जमकर नारेबाजी और हंगामा हुआ. इस दौरान बड़ी संख्या में कुर्सियां तोड़ दी गयीं.

स्थानीय अभिसूचना के सूत्रों ने बताया कि मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की बैठक का आयोजन किया गया था. इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय को शरीक होना था.

उन्होंने बताया कि इस दौरान क्षेत्रीय भाजपा विधायक राकेश बघेल और पार्टी के ही इलाकाई सांसद शरद चंद त्रिपाठी के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी.

इस दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल पर लगी हुई कई कुर्सियों पर अपना गुस्सा उतारते हुए उन्हें तोड़ डाला.

गौरतलब है कि सांसद शरद चंद त्रिपाठी ने हाल में जिला योजना की बैठक के दौरान किसी बात पर कहासुनी के बाद विधायक बघेल को जूते से मारा था.

कार्यक्रम स्थल पर हंगामे के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नहीं पहुंचे. खबर सुनकर पुलिस मौके पर पहुंच गयी और सभा को रद्द कर दिया गया.

अपर पुलिस अधीक्षक असित कुमार ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. घटना की वीडियो फुटेज देखने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

बीबीसी के अनुसार, मेंहदावल के एसडीएम प्रेम प्रकाश ने बीबीसी को बताया, “हंगामे की जानकारी लखनऊ स्थित बीजेपी के पदाधिकारियों तक पहुंची तो उन लोगों ने कार्यक्रम को स्थगित कर दिया जिसके बाद प्रशासन ने कार्यक्रम स्थल को खाली करा दिया. कार्यक्रम में कुछ लोग नारेबाज़ी करने लगे और अव्यवस्था फैलाने लगे जिन्हें पुलिस और प्रशासन के लोगों ने रोकने की कोशिश की.”

एसडीएम प्रेम प्रकाश ने बताया कि कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज कराई गई है.

कार्यक्रम में मौजूद स्थानीय पत्रकार जयप्रकाश के मुताबिक, “दोपहर में कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही मेहदावल के बीजेपी विधायक राकेश सिंह बघेल और खलीलाबाद के बीजेपी के विधायक दिग्विजय नारायण चौबे उर्फ़ जय चौबे के समर्थकों ने कुर्सियां तोड़ दीं. ये लोग सांसद शरद त्रिपाठी और पार्टी के ज़िलाध्यक्ष सेतवान राय के ख़िलाफ़ मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे. हंगामे के कारण पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा.”

हालांकि इस कार्यक्रम में सांसद शरद त्रिपाठी मौजूद नहीं थे.

जय प्रकाश के मुताबिक, चूंकि कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भी आना था इसलिए मंच पर नेताओं का संबोधन चल रहा था और कई वरिष्ठ नेता आगे की पंक्तियों में बैठे थे. अचानक सामने की पंक्ति में बैठे कुछ कार्यकर्ताओं ने ‘शरद त्रिपाठी मुर्दाबाद’ के नारे लगाने शुरू कर दिए.

कार्यक्रम में हंगामे के चलते अफ़रा-तफ़री मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे. इस दौरान मंच से लोगों को शांत रहने की अपील की जाती रही लेकिन हंगामे पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा.

राज्य बीजेपी के प्रवक्ता इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व ने मामले को गंभीरता से लिया है और दोषी लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है.

संतकबीरनगर में क़रीब एक महीने पहले छह मार्च को एक सरकारी बैठक में बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी और मेंहदावल के विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि शरद त्रिपाठी ने विधायक पर जूते बरसाने शुरू कर दिए और फिर दोनों के बीज जमकर हाथापाई और गाली-गलौच हुई.

सांसद और विधायक के बीच विवाद की वजह शिलापट पर नाम को लेकर थी. जिस समय ये विवाद हुआ उस समय न सिर्फ़ ज़िले के प्रभारी मंत्री आशुतोष टंडन मौजूद थे बल्कि ज़िले के तमाम आला अधिकारी भी मौजूद थे. दिलचस्प बात ये है कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, न तो पार्टी की ओर से और न ही प्रशासन की ओर से.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)