श्रीलंका में मुस्लिम विरोधी दंगों में एक व्यक्ति की मौत, उत्तर पश्चिम प्रांत में कर्फ्यू

सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखने के बाद भड़की हिंसा. श्रीलंका सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है. हिंसा के दौरान भीड़ ने अल्पसंख्यक मुसलमानों की दुकानों एवं वाहनों को आग लगा दी और मकानों एवं मस्जिदों में भी तोड़-फोड़ की.

A Muslim man stands in front of the Abbraar Masjid mosque after a mob attack in Kiniyama, Sri Lanka, on May 13, 2019. | Dinuka Liyanawatte/Reuters

सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखने के बाद भड़की हिंसा. श्रीलंका सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है. हिंसा के दौरान भीड़ ने अल्पसंख्यक मुसलमानों की दुकानों एवं वाहनों को आग लगा दी और मकानों एवं मस्जिदों में भी तोड़-फोड़ की.

A Muslim man stands in front of the Abbraar Masjid mosque after a mob attack in Kiniyama, Sri Lanka, on May 13, 2019. | Dinuka Liyanawatte/Reuters
श्रीलंका के किनियामा में दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त अबरार मस्जिद के सामने खड़ा एक व्यक्ति. (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए आतंकवादी हमले के बाद से भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बीच कथित तौर पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के लोगों ने उत्तर-पश्चिमी प्रांत में दुकानों और वाहनों को आग लगा दी जिससे एक मुस्लिम व्यक्ति की मौत हो गई.

कैबिनेट मंत्री एवं श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस के नेता रौफ हकीम ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि सरकार ने रातभर लगे कर्फ्यू में उत्तर पश्चिम प्रांत को छोड़कर देशभर में मंगलवार को ढील दे दी. प्रांत में सोमवार को भीड़ के हमले में एक मुस्लिम व्यक्ति की मौत हो गई थी.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उत्तर पश्चिम प्रांत के पुट्टलम ज़िले में लकड़ी के कारखाने में एक 45 वर्ष के व्यक्ति पर भीड़ ने हमला कर दिया था, हमले में घायल व्यक्ति ने दम तोड़ दिया.

श्रीलंका पुलिस ने मुस्लिम विरोधी हिंसा भड़कने पर सोमवार को देश में कर्फ्यू लगा दिया था, लेकिन बाद में उत्तर पश्चिम प्रांत को छोड़कर पूरे देश में लगे कर्फ्यू पर ढील दे दी गई है.

भीड़ ने मुसलमानों की दुकानों एवं वाहनों को आग लगा दी और लोगों ने मकानों एवं मस्जिदों में भी तोड़-फोड़ की.

इससे पहले दिन में प्रशासन ने सामुदायिक हिंसा के बाद उत्तर पश्चिमी क्षेत्र के चार शहरों- कुलियापिटिया, हेटिपोला, बिंगिरिया और डूमलसूरिया में कर्फ्यू हटाने के कुछ घंटों बाद फिर 12 मई को तड़के चार बजे तक के लिए लगा दिया.

बाद में हिंसा फैलने पर पूरे उत्तर -पश्चिम प्रांत में कर्फ्यू लगा दिया गया.

श्रीलंका सरकार ने देश में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर भी फिर प्रतिबंध लगा दिया.

फेसबुक और वॉट्सऐप पर प्रतिबंध से एक दिन पहले श्रीलंकाई पुलिस ने रविवार को देश के पश्चिम तटीय शहर चिलॉ में भीड़ द्वारा एक मस्जिद और मुस्लिमों की कुछ दुकानों पर हमला किए जाने के बाद तत्काल प्रभाव से कर्फ्यू लगा दिया था. एक मुस्लिम दुकानदार के फेसबुक पोस्ट से भीड़ ने हमला किया था.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर एक 38 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति द्वारा एक पोस्ट लिखने पर हिंसा भड़की. पोस्ट लिखने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है.

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी खासकर करुनेगला जिले में अशांति फैलने के बाद लोगों से शांति की अपील की.

उल्लेखनीय है कि देश में बीते 21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर तीन गिरजाघरों और तीन लक्जरी होटलों समेत कुल आठ बम धमाकों में 253 लोगों की मौत हो गई थी और 500 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इन हमलों के बाद से देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं.

संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने श्रीलंका में बढ़ी सांप्रदायिक हिंसा को लेकर चिंता व्यक्त की

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के दो शीर्ष अधिकारियों ने ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से बढ़ी सांप्रदायिक हिंसा को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समूहों के बीच पूर्वाग्रह एवं नफरत को सहन नहीं किया जाए.

नरसंहार की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार अदामा डींग और रक्षा संबंधी जिम्मेदारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार कैरेन स्मिथ ने श्रीलंका में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों संबंधी संयुक्त बयान में कहा कि वे श्रीलंका के ‘उत्तर पश्चिम’ प्रांत में धर्म के आधार पर हिंसात्मक घटनाएं बढ़ने को लेकर चिंतित हैं.

विशेष सलाहकारों ने उल्लेख किया कि श्रीलंका में आतंकवादी हमले के बाद से मुसलमान और ईसाई समुदायों के खिलाफ हमले बढ़े हैं.

विशेष सलाहकारों ने कहा, ‘श्रीलंका एक बहुलवादी समाज है. श्रीलंकाई होने का मतलब एक बौद्ध, एक हिंदू, एक मुसलमान और एक ईसाई होना है. इन सभी समुदायों को अपने धर्म का स्वतंत्रता से पालन करने और शांति एवं सुरक्षा के माहौल में रहने का हक है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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