परमाणु ऊर्जा विभाग की कर्मचारी से जातिगत भेदभाव का आरोप, जांच का आदेश

परमाणु ऊर्जा विभाग की एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि उन्हें न सिर्फ़ उपयुक्त पद देने से इनकार कर दिया गया बल्कि उनका डिमोशन भी कर दिया गया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने इस मामले में पुलिस से जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट मांगी है.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)

परमाणु ऊर्जा विभाग की एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि उन्हें न सिर्फ़ उपयुक्त पद देने से इनकार कर दिया गया बल्कि उनका डिमोशन भी कर दिया गया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने इस मामले में पुलिस से जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट मांगी है.

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मुंबई: मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सोमवार को कोलाबा पुलिस को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (परमाणु ऊर्जा विभाग) की एक महिला कर्मचारी की उस शिकायत की जांच करे कि उसके अनुसूचित जाति के होने की वजह से कार्यस्थल पर उससे भेदभाव होता है.

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने पुलिस से जल्द से जल्द इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी है.

अदालत ने 52 वर्षीय नीलिमा कदम द्वारा 10 मई को दी गई शिकायत पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि परमाणु ऊर्जा विभाग में उन्हें उपयुक्त पद देने से इनकार कर दिया गया और डिमोशन कर दिया गया.

कदम ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्होंने 1988 में अनुसूचित जाति आरक्षण के तहत परमाणु ऊर्जा विभाग में बतौर जूनियर स्टेनोग्राफर नौकरी शुरू की थी और पिछले 10-12 सालों से प्रेस विज्ञप्ति, लोक सुनवाई, विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रदर्शनी का काम देख रही थी.

उन्होंने कहा कि सितंबर 2016 में उन्हें निजी सहायक के पद पर प्रमोट किया गया लेकिन उनके पास क्योंकि जनसंचार में डिग्री थी इसलिये उन्होंने विभाग से उन्हें मीडिया से संबंधित कोई पद देने का अनुरोध किया, लेकिन उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया.

कदम ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उन्होंने यह मामला परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष और सचिव के समक्ष उठाया तो जुलाई 2017 में उनका ट्रांसफर भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) कर दिया गया और उनका पदनाम बदलकर स्टेनोग्राफर-2 कर दिया गया, जो वरीयता क्रम में उस पद से एक ग्रेड नीचे है जो उनके पास परमाणु ऊर्जा विभाग में था.

उन्होंने आरोप लगाया कि उनके अनुसूचित जाति से होने की वजह से उन्हें मीडिया संबंधी नौकरी नहीं दी गई.

उन्होंने कहा, ‘आरटीआई के माध्यम से किए गए उनके सवाल के जवाब में खुलासा हुआ है कि उनका ट्रांसफर बिना कोई कारण बताए अचानक किया गया. फाइल नोटिंग में दिखाया गया है कि परमाणु ऊर्जा विभाग के संबंधित विभाग के निदेशक और संयुक्त सचिव ने यह कहते हुए आदेश जारी किया था कि उन्हें उनके वर्तमान पद से तत्काल हटाया जाता है.’

कदम ने कहा, ‘ऐसी टिप्पणी दिखाता है कि उनका ट्रांसफर दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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