हर दिन कम से कम एक बार पाकिस्तानी सेना कर रही है संघर्षविराम का उल्लंघन: गृह मंत्रालय

सरकार भले ही ये दावा करे कि आतंकी घटनाओं में कमी आई है, लेकिन एक आरटीआई के मुताबिक देश में हर दूसरे दिन एक आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया है.

सरकार भले ही ये दावा करे कि आतंकी घटनाओं में कमी आई है, लेकिन एक आरटीआई के मुताबिक देश में हर दूसरे दिन एक आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया है.

Ceasefire Violation Jammu Kashmir Reuters
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान की ओर से औसतन हर दिन कम से कम एक बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया. साथ ही राज्य में पिछले पांच वर्षों में हर दूसरे दिन एक आतंकी घटना सामने आई है.

सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2015 में नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन की 405 घटनाएं सामने आईं जबकि 2016 में 449 घटनाएं सामने आईं.

गृह मंत्रालय के अनुसार, साल 2015 में नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन की 405 घटनाओं में 10 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए जबकि 2016 में नियंत्रण रेखा के साथ ही अन्य स्थानों पर हुई ऐसी 449 घटनाओं में 13 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए.

मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले पांच सालों (2012 – 2016) के बीच 1142 आतंकी घटनाएं घटीं जिसमें 236 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 90 नागरिकों की जान चली गई. इस अवधि में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 507 आतंकवादी मारे गए.

साल 2012 में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा की 220 घटनाएं सामने आईं जिसमें 15 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 15 नागरिकों ने जान गंवाई, जबकि सुरक्षाकर्मियों ने 72 आतंकवादियों को मार गिराया.

साल 2013 में राज्य में आतंकी हिंसा की 170 घटनाएं सामने आईं जिसमें 53 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 15 नागरिक मारे गए और सुरक्षाकर्मियों ने 67 आतंकवादियों को मार गिराया.

2014 में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा की 222 घटनाएं सामने आईं जिसमें 47 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 28 नागरिकों की जान गई तथा सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 110 आतंकवादी मारे गए.

सूचना के अधिकार के तहत समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा ने गृह मंत्रालय से पिछले कुछ वर्षों में नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम के उल्लंघन से जुड़ी जानकारी मांगी थी.

यह भी पूछा गया था कि जम्मू कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में कितनी आतंकी घटनाएं घटीं और इन घटनाओं में कितने सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, कितने नागरिकों ने जान गंवाई और कितने आतंकी मारे गए.

जम्मू कश्मीर में साल 2015 में 208 आतंकी घटनाएं सामने आईं जिसमें 39 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 108 आतंकवादी मारे गए. उस साल आतंकी घटनाओं में 17 नागरिक भी मारे गए.

साल 2016 में राज्य में आतंकी हिंसा की 322 घटनाएं घटीं जिसमें 82 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 150 आतंकवादी मारे गए. इस वर्ष ऐसी घटनाओं में 15 नागरिकों की जान चली गई.

सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत) जीडी बक्शी ने इन घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पाकिस्तान लगातार भारत के ख़िलाफ़ छद्म युद्ध चला रहा है. वह शांति की बात तो करता है लेकिन शांति उसके दिल में नहीं है और जम्मू कश्मीर इसका उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि आजकल वहां एक नया चलन देखा जा रहा है कि सेना और सुरक्षा बल जब किसी इलाके में आतंकवादियों को घेरते हैं तब सोशल मीडिया पर संदेश भेजे जाने लगते हैं और आसपास के नागरिक वहां जुट जाते हैं जिससे सुरक्षा बलों के लिए अभियान चलाने में मुश्किल होती है.

एक अन्य विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान ने कहा कि संघर्षविराम के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पाकिस्तानी सेना देश में अपना दख़ल बरक़रार रखना चाहती है और राजनीतिक नेतृत्व को काबू में रखना चाहती है. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है.

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