आयोग में मतभेद पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते सदस्य

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के चुनाव आचार संहिता के मुद्दे पर चर्चा करने वाली सभी बैठकों से ख़ुद को अलग करने की रिपोर्ट सामने आने के बाद विवाद खड़ा होने पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने जवाब दिया.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील कुमार अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा. (फोटो: पीटीआई)

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के चुनाव आचार संहिता के मुद्दे पर चर्चा करने वाली सभी बैठकों से ख़ुद को अलग करने की रिपोर्ट सामने आने के बाद विवाद खड़ा होने पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने जवाब दिया.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील चंद्रा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा. (फोटो: पीटीआई)
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय चुनाव आयोग के सदस्यों में मतभेद की खबरों को खारिज करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को कहा कि चुनाव आयुक्तों से यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वे एक-दूसरे क्लोन बन जाएं.

चुनाव आयोग को अशोक लवासा के कथित पत्र पर बयान जारी करते हुए अरोड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग के तीन सदस्य एक-दूसरे के क्लोन तो नहीं हो सकते हैं. पहले भी ऐसा कई बार हुआ है जब विचारों में मतभेद देखने को मिले हैं. ऐसा हो सकता है. ऐसा होना भी चाहिए.

अरोड़ा ने कहा कि आज मीडिया में चुनाव आयोग की आंतरिक कार्यप्रणाली को लेकर रिपोर्टिंग की गई. इस विवाद को टाला भी जा सकता था. मैं जरूरत पड़ने पर व्यक्तिगत रूप से कभी भी डिबेट से नहीं कतराता हूं. मगर हर किसी चीज का एक समय होता है. यह बातें ऐसे समय में आई हैं जब सभी सातवें और आखिरी चरण के चुनाव की तैयारी में जुटे हैं.

सुनील आरोड़ ने लिखा, ‘हालांकि, ये सारी बातें कार्यालय में रहने तक कई हद तक दायरे में रहीं जब तक कि संबंधित चुनाव आयुक्त/ मुख्य चुनाव आयुक्त ने किसी किताब में इसका जिक्र नहीं किया.’

बता दें कि केंद्रीय चुनाव आयोग की तीन सदस्यीय समिति के एक सदस्य अशोक लवासा आयोग के फैसलों में अलग मत और असंतोष जताने वाले फैसलों को शामिल नहीं किए जाने से नाराज हैं. अपनी इस नाराजगी के कारण लवासा ने 4 मई से ही चुनाव आचार संहिता के मुद्दे पर चर्चा करने वाली सभी बैठकों से खुद को अलग कर लिया है.

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहा है कि वे चुनाव आचार संहिता के मुद्दे पर चर्चा करने वाली सभी बैठकों में केवल तभी शामिल होंगे जब अलग मत रखने वाले और असंतोष जताने वाले फैसलों को भी आयोग के आदेशों में शामिल किया जाएगा.

रिपोर्ट के अनुसार, आयोग की बैठकों से किनारा करने वाले लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को कम से कम तीन पत्र लिखकर चुनाव आयोग के अंतिम फैसले में असहमति जताने वाले फैसले को शामिल करने की मांग की थी.

बता दें कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को चुनाव आयोग ने सभी मामलों में क्लीनचिट दे दी थी. हालांकि मोदी और शाह को क्लीनचिट के कुछ मामलों में लवासा ने अलग राय रखी थी और आयोग ने उनका फैसला 2-1 के बहुमत से किया था. कई मामलों में लवासा चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को नोटिस भेजा जाए.

वहीं सभी मामलों में मोदी और शाह को क्लीनचिट देने का विपक्षी पार्टियों ने कड़ा विरोध किया था.

बता दें कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित ऐसे कम से कम छह मामले सामने आए जिसमें मोदी और शाह को क्लीनचिट दे दी गई. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को एक मामले में क्लीनचिट मिली.

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