मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह मामला: अदालत ने सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में 31 मई, 2018 को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी.

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(फोटो: पीटीआई)

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में 31 मई, 2018 को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई को बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले की जांच तीन महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया. अदालत ने सीबीआई से इस मामले के मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और अन्य सहयोगियों द्वारा 11 लड़कियों की कथित हत्या की भी जांच करने को कहा है.

जस्टिस इन्दु मल्होत्रा और जस्टिस एम आर शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को आईपीसी की धारा 377 के तहत इस आश्रय गृह में बलात्कार के आरोपों और लड़कियों से हिंसा के वीडियो की रिकार्डिंग की भी जांच करने का निर्देश दिया.

पीठ ने इन घटनाओं में  संलिप्त बाहरी व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच का निर्देश दिया है, जिन्होंने इन लड़कियों को नशीला पदार्थ देने के बाद उनसे यौन हिंसा में सहयोग किया.

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि वह तीन महीने में जांच पूरी करके अपनी रिपोर्ट उसके समक्ष पेश करें.

मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) के ऑडिट में हुए इस मामले के खुलासे के बाद मुज़फ़्फ़रपुर में एक गैर सरकारी संस्था द्वारा संचालित आश्रय गृह में अनेक लड़कियों के बलात्कार करने की घटनायें सामने आई थीं.

अदालत ने इससे पहले सीबीआई को इस आश्रय गृह में 11 लड़कियों की कथित हत्या के मामले की जांच तीन जून तक पूरी करने और स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. सीबीआई ने अदालत से कहा था कि हत्या के पहलू की जांच पूरी करने के लिये उसे दिया गया दो सप्ताह का समय पर्याप्त नहीं है.

सीबीआई ने कहा कि 11 लड़कियों की हत्या की गई थी और उसके हलफनामे के अनुसार 35 लड़कियों के नाम एक समान थे, जो किसी न किसी समय आश्रय गृह में रहीं थी.

जांच ब्यूरो ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके साथियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी. सीबीआई ने यह भी कहा था कि मुज़फ़्फ़रपुर में एक श्मशान भूमि से उसने हड्डियों की पोटली बरामद की है.

मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी. जांच ब्यूरो ने इस मामले में बृजेश ठाकुर सहित 21 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में इस मामले को बिहार की अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के तहत सुनवाई करने वाली अदालत में स्थानांतरित कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)