तेलंगाना: कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों ने छोड़ी पार्टी, सत्तारूढ़ टीआरएस में शामिल

विधायकों को ख़रीदने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया. स्पीकर ने 12 विधायकों के अनुरोध को मानते हुए उनके टीआरएस में विलय को मान्यता दी.

(प्रती​कात्मक फोटो: रॉयटर्स)

विधायकों को ख़रीदने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया. स्पीकर ने 12 विधायकों के अनुरोध को मानते हुए उनके टीआरएस में विलय को मान्यता दी.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

हैदराबाद: तेलंगाना में कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा, जब उसके 18 में से 12 विधायकों ने बीते गुरुवार को अपने समूह के सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में विलय करने की मांग की. इसके कुछ ही घंटों बाद विधानसभा के स्पीकर ने इन विधायकों की मांग मानते हुए टीआरएस में उनके विलय को मान्यता दे दी.

तेजी से हो रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच स्पीकर पी. श्रीनिवास रेड्डी ने 12 विधायकों के अनुरोध को मान लिया. उन्होंने इस तथ्य पर विचार करते हुए फैसला किया कि यह 12 विधायक कांग्रेस विधायक दल में शामिल कुल 18 विधायकों का दो-तिहाई हैं और दल-बदल निरोधक कानून के तहत विलय के लिए दो-तिहाई संख्याबल की जरूरत होती है.

इस राजनीतिक घटनाक्रम का कांग्रेस ने जहां विरोध दर्ज कराया, वहीं टीआरएस ने कांग्रेस के 12 विधायकों के पार्टी में शामिल होने को सही ठहराया है. टीआरएस ने राहुल गांधी की अगुवाई वाली पार्टी को अपने खेमे को साथ नहीं रख पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

गुरुवार की रात विधानसभा से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि 12 विधायकों को सदन में टीआरएस विधायक दल के सदस्यों के साथ सीटें आवंटित की गई हैं.

टीआरएस में शामिल होने वाले कांग्रेस के 12 विधायकों में सबिता इंद्र रेड्डी, सुधीर रेड्डी, हरिप्रिया नाईक, सी. लिंगैया, के. उपेंद्र रेड्डी, अथराम सक्कू, जे. सुरेंदर, हर्षवर्धन रेड्डी, वी. वेंकटेश्वर राव, आर. कंठ राव, गंद्रा वेंकट रेड्डी और रोहित रेड्डी शामिल हैं.

स्पीकर का फैसला पलटे जाने तक विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी होने का दर्जा कांग्रेस से छिन जाएगा, क्योंकि अब उसके पास सिर्फ छह विधायक रह गए हैं.

हैदराबाद से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम के सात विधायक हैं जबकि भाजपा के पास सिर्फ एक विधायक है. तेलुगू देशम पार्टी के दो विधायक थे, लेकिन उनका एक विधायक भी टीआरएस में शामिल हो चुका है.

स्पीकर का फैसला ऐसे वक्त आया जब कांग्रेस ने टीआरएस पर अपने विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया और शुक्रवार को अदालत का रुख करने का ऐलान किया.

स्पीकर के फैसले की निंदा करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस इसे चुनौती देने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख करेगी.

कांग्रेस को तेलंगाना में यह झटका ऐसे समय में लगा है जब लोकसभा चुनावों में लगातार दूसरी बार मिली करारी हार के बाद कई राज्यों में वह बैकफुट पर है.

इससे पहले, दिन में कांग्रेस के 12 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीनिवास रेड्डी से मुलाकात की और उन्हें इस संबंध में एक प्रतिवेदन दिया, जब तंदूर से कांग्रेस विधायक रोहित रेड्डी पार्टी का साथ छोड़ने वाले 12वें विधायक बन गए. इससे दल-बदल करने वालों की संख्या प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के सदस्यों की संख्या का दो तिहाई हो गई.

रोहित रेड्डी के गुरुवार को सत्तारूढ़ दल में शामिल होने से पहले मार्च की शुरुआत से कांग्रेस के 11 विधायक पाला बदलने की घोषणा कर चुके हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उत्तर कुमार रेड्डी ने आरोप लगाया कि रोहित रेड्डी को टीआरएस के नेताओं ने धमकाया है.

विधानसभा के लिए पिछले साल दिसंबर में हुए चुनाव में टीआरएस ने 88 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

राज्य की 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या उस समय 18 रह गई थी, जब पार्टी की तेलंगाना इकाई के प्रमुख उत्तम कुमार रेड्डी और ने नलगोंडा से लोकसभा में चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था.

उत्तम कुमार रेड्डी हुजुरनगर सीट से विधायक चुने गए थे.

विधायकों के दल-बदल करने के विरोध में कांग्रेस विधायक दल के नेता एम. भट्टी विक्रमार्क के साथ विधानसभा परिसर में विरोध प्रदर्शन करने वाले उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, ‘यह बिल्कुल अवैध है. केसीआर (टीआरएस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव) तेलंगाना के लोगों के जनादेश के साथ छल कर रहे हैं.’

विधायक रोहित रेड्डी ने नाटकीय घटनाक्रम के तहत मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बेटे और टीआरएस के कार्यवाहक अध्यक्ष केटी रामा राव से मुलाकात की और सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रति अपनी वफादारी का संकल्प लिया.

कांग्रेस के 11 विधायकों ने मार्च में घोषणा की थी कि वे टीआरएस में शामिल होंगे.

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक जी. वेंकट रमन रेड्डी ने बताया कि 12 विधायकों ने राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है.

रेड्डी ने बताया कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को एक प्रतिवेदन देकर टीआरएस में विलय का अनुरोध किया है.

रेड्डी ने कहा, ‘कांग्रेस विधायक दल की हमारी एक विशेष बैठक हुई. इसके 12 सदस्यों ने मुख्यमंत्री केसीआर के नेतृत्व को समर्थन दिया और वे उनके साथ काम करना चाहते हैं. हमने अध्यक्ष को प्रतिवेदन दिया और उनसे टीआरएस के साथ हमारे विलय का अनुरोध किया.’

राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि 12 विधायक कांग्रेस विधायक दल की संख्या का दो तिहाई है यानी उन पर दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू नहीं होंगे.

यदि अध्यक्ष इन विधायकों का अनुरोध स्वीकार कर लेते हैं, तो कांग्रेस विपक्षी दल का दर्जा खो सकती है क्योंकि उसकी संख्या केवल छह रह जाएगी.

टीआरएस के कदम को भांपते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता विक्रमार्क ने हाल में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की थी और उनसे विलय के मुद्दे पर कोई भी फैसला करने से पहले कांग्रेस को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था.

विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, ‘लोगों ने उनके लिए- कांग्रेस के लिए मतदान किया. केसीआर का उन (कांग्रेस) विधायकों को खरीदना शर्मनाक है. तेलंगाना के लोग इस तरह की शर्मनाक गतिविधियों को स्वीकार नहीं करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘आप मुख्य विपक्षी पार्टी को (विधानसभा से) हटा नहीं सकते. बेहतर है कि आप (केसीआर) विधानसभा को अपने फार्महाउस में स्थानांतरित कर लें.’

उन्होंने कहा कि बार-बार संपर्क करने का प्रयास करने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी से बातचीत नहीं हो सकी.

उन्होंने कहा, ‘हम इससे लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे. हमने पहले ही (दल-बदल के मुद्दे पर)उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है.’

विधानसभा मार्शलों ने उत्तम कुमार रेड्डी, विक्रमार्क और कई अन्य नेताओं को एहतियातन हिरासत में लिया और उन्हें विधानसभा परिसर के भीतर प्रदर्शन के लिए पुलिस को सौंप दिया.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अलग से पुलिस ने विधानसभा के बाहर करीब 20 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पकड़ा.

टीआरएस ने तेंलंगाना में कांग्रेस के 12 विधायकों के पार्टी में शामिल होने को सही ठहराया

हैदराबाद: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने कांग्रेस के 12 विधायकों के तेलंगाना में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो जाने के कदम को शुक्रवार को यह कहते हुए सही ठहराया कि उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है. साथ ही उन्होंने राहुल गांधी की अगुवाई वाली पार्टी को अपने खेमे को साथ नहीं रख पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

टीआरएस के प्रवक्ता आबिद रसूल खान ने दावा किया था कि 12 विधायकों ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली पार्टी का हिस्सा बनना तय किया है. साथ ही कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार के विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं और मतदाताओं के प्रति सकारात्मकता देख उन्होंने यह निर्णय किया.

खान ने कहा, ‘तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष एन. उत्तम कुमार रेड्डी की तरफ से धन-बल के प्रयोग, जबरदस्ती करने या ब्लैकमेल करने के आरोप (इन विधायकों को अपने खेमे में करने के लिए), महज कांग्रेस पार्टी की कमजोरी को दिखाते हैं जो अपने खुद के विधायकों को रोक कर नहीं रख पाई.’

उन्होंने कहा, ‘ये विधायक स्कूली छात्र नहीं हैं. उन्होंने मीडिया से कहा है कि उन्होंने यह फैसला सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार के विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं और मतदाताओं के प्रति सकारात्मकता देख उन्होंने यह निर्णय किया है.’

खान ने कहा कि कांग्रेस न सिर्फ राज्य में बल्कि पूरे देश में नेतृत्वहीन एवं दिशाहीन हो गई है और बिखर रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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