बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा के ख़िलाफ़ कुछ नहीं पाया, गिरफ़्तारी से संरक्षण बढ़ाया

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया है.

गौतम नवलखा (फोटो: यूट्यूब)

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया है.

गौतम नवलखा (फोटो: यूट्यूब)
गौतम नवलखा (फोटो: यूट्यूब)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि नागरिक स्वतंत्रता के हिमायती कार्यकर्ता गौतम नवलखा के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोर्ट ने कुछ नहीं पाया है. दरअसल, नवलखा माओवादियों से संबंध रखने के आरोपी हैं.

अदालत ने नवलखा को गिरफ्तारी से मिले संरक्षण की अवधि सुनवाई की अगली तारीख तक के लिए बढ़ा दी. जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की खंडपीठ नवलखा की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है.

नवलखा ने 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के बाद पुणे पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की है. गौरतलब है कि इस सम्मेलन के अगले ही दिन पुणे के भीमा-कोरेगांव गांव में हिंसा हुई थी.

पुलिस ने नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया है. कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पीठ ने बुधवार को नवलखा के वकील युग चौधरी और अतिरिक्त सरकारी वकील अरूण कुमार पाई की संक्षिप्त दलीलें सुनीं तथा आरोपियों के खिलाफ अभियोजन द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों पर भी गौर किया. इन दस्तावेजों में कथित तौर पर वरिष्ठ माओवादी नेताओं द्वारा नवलखा को लिखे पत्र भी शामिल हैं.

जस्टिस मोरे ने कहा, ‘उनके (नवलखा) खिलाफ कुछ नहीं है. प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि हमारे समक्ष सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर उनके खिलाफ कुछ नहीं है.’ पाई ने दलील दी कि इन दस्तावेजों के अलावा कई अन्य दस्तावेज भी नवलखा के लैपटॉप से बरामद हुए जो उनके खिलाफ आरोपों को मजबूत कर सकते हैं.

अभियोजक ने ये दस्तावेज अदालत को बंद लिफाफे में सौंपे हैं और कहा कि ये दस्तावेज याचिकाकर्ता (नवलखा) के साथ साझा नहीं किए जा सकते क्योंकि उनके खिलाफ जांच जारी है.

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि इन दस्तावेजों के बारे में कुछ भी गोपनीय नहीं है. कोर्ट ने कहा, ‘हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि ये दस्तावेज उन्हें (नवलखा को) सौंपे जा सकते हैं.’

बहरहाल, उच्च न्यायालय ने याचिका की अगली सुनवाई के लिए 18 जून की तारीख निर्धारित की है. नवलखा के अलावा वरवर राव, अरूण फेरेरिया, वर्णन गोंजाल्वेस और सुधा भारद्वाज सहित कुछ अन्य प्रख्यात कार्यकर्ता इस मामले में आरोपी हैं.

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