चुनावी बॉन्ड को लेकर आरबीआई, सरकार की ओर से भेजे गए पत्रों को सार्वजनिक करने से एसबीआई का इनकार

सूचना के अधिकार कानून के तहत एसबीआई से 2017-2019 के बीच सरकार या आरबीआई द्वारा उसे भेजे गए सभी पत्रों, निर्देशों, अधिसूचनाओं या ईमेल की प्रति मांगी गई थी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

सूचना के अधिकार कानून के तहत एसबीआई से 2017-2019 के बीच सरकार या आरबीआई द्वारा उसे भेजे गए सभी पत्रों, निर्देशों, अधिसूचनाओं या ईमेल की प्रति मांगी गई थी.

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नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक आरटीआई के जवाब में चुनावी बॉन्ड को लेकर मांगी गई जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. बैंक का कहना है कि सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से उसे भेजे गए किसी भी तरह के पत्र, दिशानिर्देश, अधिसूचना या ईमेल निजी जानकारी है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.

एसबीआई ने कहा कि यह जानकारी उसके पास फिडूशियरी (दायित्व या जिम्मेदारी) के तहत रखी गई है. इसलिए इसे  साझा नहीं किया जा सकता.

पुणे के रहने वाले विहार धुर्वे ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत एसबीआई से 2017-2019 के बीच सरकार या आरबीआई द्वारा उसे भेजे गए सभी पत्रों, निर्देशों, अधिसूचनाओं या ईमेल की प्रति मांगी थी.

एसबीआई ने इस पर जवाब दिया कि ये विवरण उपलब्ध नहीं कराए जा सकते हैं.

बैंक ने आरटीआई अधिनियम की धारा आठ (1)(ई) एवं आठ (1)(जे) का हवाला देते हुए यह जानकारी उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया. इस अधिनियम की धारा आठ (1)(ई) न्यासीय या फिडूशियरी क्षमता के रूप में रखी गई जानकारी से संबंधित है, जबकि आठ (1)(जे) का संबंध ऐसी निजी जानकारी से है, जिसका किसी भी सार्वजनिक गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है.

बैंक ने आरबीआई और सरकार की ओर से भेजे गए ऐसे किसी भी पत्र पर की गई कार्रवाई का ब्योरा देने से भी इनकार कर दिया.

केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में अधिसूचित चुनावी बॉन्ड की योजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

मालूम हो कि चुनावी बॉन्ड के जरिए सभी राजनीतिक पार्टियां चंदा नहीं ले सकती हैं. इसके जरिए वही पार्टी चंदा ले सकती है जो 1951 अधिनियम के सेक्शन 29ए के तहत पंजीकृत हो और उसे पिछले आम चुनाव में कुल मतदान का न्यूनतम एक फीसदी वोट मिला हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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