सूचना अधिकारी पीवी के राजा ने आरटीआई का ग़लत जवाब दिया. बाद में कहा, संवादहीनता के कारण ऐसा हुआ.

भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली (फोटो: आईआईएमसी)
5 अप्रैल 2017 को आरएसएस के थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन ने दिल्ली के चाणक्यपुरी में ‘कम्युनिकेटिंग इंडिया’ नाम का एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम को लेकर प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है. रेडियो और टेलीविज़न जर्नलिज्म में पढ़ने वाले छात्र अंकित सिंह ने संस्थान की भूमिका पर सवाल उठाया है.
अंकित का कहना है, ‘हमें कोई दिक्कत नहीं है कि आईआईएमसी किसी भी कार्यक्रम में सहभागिता निभा रहा है. मुझे एक पर्चा मिला था, जिसमें इस कार्यक्रम का उल्लेख था. साथ ही उसमें आईआईएमसी का ‘लोगो’ लगा हुआ था. हमने इसके बारे में डीन ऑफ़ स्टूडेंट वेलफेयर सुरभि दहिया से पूछा तो उन्होंने कहा कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है. संस्थान में किसी भी अधिकारी से इस बारे में पूछने पर कोई भी जवाब नहीं मिला.
अंकित ने इस मामले को लेकर आईआईएमसी के महानिदेशक केजी सुरेश से ईमेल कर जवाब मांगा और साथ ही एक आरटीआई भी दाख़िल कर कार्यक्रम के बारे में जानकारी के साथ आईआईएमसी के ‘लोगो’ के पंजीकरण की छाया प्रति की भी मांग की थी.

अंकित द्वारा दाख़िल किया गया आरटीआई
आईआईएमसी ने अपने जवाब में कहा कि संस्थान के रिकॉर्ड के अनुसार उन्हें ऐसे किसी भी कार्यक्रम की जानकारी नहीं थी. संस्थान ने लोगो पर कहा कि इसके पंजीकरण के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है.

भारतीय जनसंचार संस्थान का ज़वाब
संस्थान ने अंकित द्वारा आईआईएमसी की विवेकानंद फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम में सहभागिता के सभी सवालों पर साफ़ जवाब दिया है कि उसके पास इस कार्यक्रम के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं है और न ही किसी भी प्रकार का रिकॉर्ड उपलब्ध है.
विवेकानंद फ़ाउंडेशन से द वायर ने बात करने की कोशिश की, पर उन्होंने फ़ोन पर कोई जवाब न देते हुए उनकी वेबसाइट देखने को कहा. फ़ाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार ये बात साफ़ तौर पर देखी जा सकती है कि कार्यक्रम में आईआईएमसी के लोगो का इस्तेमाल हुआ था. फ़ाउंडेशन ने अपने ट्विटर पर भी इस कार्यक्रम के बारे में ट्वीट किया था, जिसमें महानिदेशक केजी सुरेश की तस्वीर भी शामिल है.
Conference on #communicatingIndia begins at @vifindia pic.twitter.com/2sDNaW0JvF
— VIF India (@vifindia) April 5, 2017
आईआईएमसी सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत आता है. सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ़ से एक अधिकारी का कहना है कि इस मामले में आईआईएमसी से ही बात की जाए. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी मौजूद थे.

वेंकैया नायडू के साथ महानिदेशक केजी सुरेश
प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की वेबसाइट के अनुसार इस कार्यक्रम में आईआईएमसी की सहभागिता थी.

पीआइबी की वेबसाइट पर
संस्थान के महानिदेशक केजी सुरेश ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस कार्यक्रम के बारे में ट्वीट भी किया था. हालांकि, इस ट्वीट को बाद में डिलीट कर दिया गया था.

केजी सुरेश का ट्वीट
आईआईएमसी के महानिदेशक केजी सुरेश ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘अंकित के आरटीआई में पूछे गए सवाल पर हाल ही में दिया गया जवाब दरअसल ग़लती के कारण दिया गया है. यह सूचना अधिकारी और उच्च अधिकारियों में संवाद के अभाव के कारण हुआ. इस कार्यक्रम का निर्णय बेहद उच्च स्तर पर लिया गया था, जिसकी जानकारी संस्थान में सभी को नहीं थी.
सुरेश कार्यक्रम में सहभागिता पर आगे कहते हैं कि आईआईएमसी इस कार्यक्रम में खुले तौर से सहभागी था. संस्थान बहुत सारे कार्यक्रम में सहभागिता करता है और ये बेहद आम बात है. हम अंकित की आरटीआई का नया जवाब सोमवार तक भेज देंगे. आईआईएमसी का ‘लोगो’ पंजीकृत है और अभी से नहीं बल्कि इंदिरा गांधी ने जब इसकी शुरुआत की थी, तब से है.
अंकित ने यह भी बात कही थी कि इस कार्यक्रम की जानकारी किसी भी छात्र को नहीं थी. अंकित के इस सवाल पर सुरेश का कहना है, ‘हर कार्यक्रम छात्रों के लिए नहीं होता उसी तरह यह कार्यक्रम भी छात्रों के लिए नहीं था. आईआईएमसी आर्मी अफ़सर और बहुत सारे सरकारी कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण देता है. हम आगे भी इसी तरह के बहुत सारे कार्यक्रम करेंगे, जिनमें से कुछ कार्यक्रमों में छात्र भी आमंत्रित होंगे.’