बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर में अस्पताल के पीछे मिले मानव कंकाल

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित जिस अस्पताल के पीछे मानव कंकाल मिले हैं, वहां एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से अभी तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है. बिहार में चमकी बुखार से अभी तक करीब 139 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पीछे पड़े कंकाल. (फोटो साभार: एएनआई)

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित जिस अस्पताल के पीछे मानव कंकाल मिले हैं, वहां एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से अभी तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है. बिहार में चमकी बुखार से अभी तक करीब 139 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पीछे पड़े कंकाल. (फोटो साभार: एएनआई)
बिहार के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पीछे पड़े कंकाल. (फोटो साभार: एएनआई)

पटना: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मानव कंकाल के अवशेष मिले हैं. इसी अस्पताल में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) से अभी तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बता दें कि, चमकी बुखार से बिहार में अभी तक करीब 139 बच्चों की मौत हो चुकी है.

एनडीटीवी के अनुसार, मानव शरीर के अवशेष मिलने के बाद अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसके शाही ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम विभाग प्राचार्य के अधीन आता है, लेकिन इसमें मानवीय संवेदनाओं को ध्यान रखना चाहिए. मैं प्रिंसिपल से बात करुंगा और उन्हें इस मामले की जांच के लिए जांच कमेटी बनाने के लिए कहूंगा.’

श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मुज़फ़्फ़रपुर की जांच टीम ने अवशेष मिलने वाली जगह का दौरा किया. अस्पताल के डॉ. विपिन कुमार ने कहा, ‘यहां मानव कंकाल के अवशेष मिले हैं. प्रिंसिपल पूरी जानकारी देंगे.’

चमकी बुखार से पीड़ित 108 बच्चों के इलाज के दौरान मरने के बाद जहां इस अस्पताल को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था, वहीं अब कंकालों के मिलना अस्पताल के लिए एक और परेशानी का सबब बन गया है.

बता दें कि एक या दो शव जले हुए थे और कई कंकाल जंगल में बिखरे पड़े हुए थे.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, अस्पताल के संरक्षक जनक पासवान ने कहा, ‘पोस्टमार्टम के बाद सभी शवों को अस्पताल के पीछे जंगल में फेंक दिया जाता है. मैं प्रशासन से कभी उनके कंकालों के बारे में जानकारी की कोशिश नहीं की.’

वहां छोड़े गए कंकालों को न तो जलाया गया था और न ही दफनाया गया था.

एसके शाही ने कहा, जब किसी अस्पताल को कोई शव मिलता है तब वह नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करता है और उस संबंध में एक शिकायत दर्ज करवाता है. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद शव को 72 घंटों तक पोस्टमार्टम रूम में रखा जाता है.

यदि 72 घंटे के अंदर शव की पहचान के लिए परिवार का कोई सदस्य नहीं आता है तब निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पोस्टमार्टम विभाग को शव को दफनाया या जलाया जाता है.

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