आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफ़ा दिया

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था.

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आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य. (फोटो: रॉयटर्स)

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था.

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य. (फोटो: रॉयटर्स)
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है. वह मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख थे. सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी.

पिछले छह महीने में रिजर्व बैंक से इस्तीफा देने वाली आचार्य दूसरे बड़े पदाधिकारी हैं. दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था.

सितंबर 2016 में उर्जित पटेल को गवर्नर के तौर पर पदोन्नत किए जाने के बाद 23 जनवरी 2017 को विरल आचार्य भारतीय रिजर्व बैंक से जुड़े थे. आर्थिक उदारवाद को अपनाने के बाद आचार्य आरबीआई के सबसे युवा डिप्टी गवर्नर बने थे.

आरबीआई में अब तीन डिप्टी गवर्नर एनएस. विश्वनाथन, बी. पी. कानूनगो और एम. के. जैन बचे हैं. आचार्य की नियुक्ति तीन साल के कार्यकाल के लिए हुई थी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आचार्य को इस बात की पूरी उम्मीद थी कि उनके कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. वे वापस न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी जाकर सीवी स्टार प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स पद पर काम करेंगे.

आरबीआई द्वारा जारी किए गए मिनट्स के अनुसार, ऋण जोखिम मामलों के जानकार माने जाने वाले आचार्य का हाल ही में 4 अप्रैल को घोषित की गई मौद्रिक नीति पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ विचारों में मतभेद देखा गया था.

इस मामले में जहां दास रेपो रेट में कटौती के साथ आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने की बात कर रहे थे तो वहीं डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने ने खाद्य और ईंधन को छोड़कर उच्च मुद्रास्फीति के मद्देनजर दर में एक और कटौती पर चेतावनी दी थी.

हालांकि, छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4-2 के बहुमत से रेपो रेट को छह फीसदी से 25 फीसदी कम करने का फैसला किया.

बता दें कि आचार्य ने 1995 में आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग से बीटेक और 2001 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी-स्टर्न से पीएचडी की हुई है. इसके बाद 2001-08 तक वे लंदन बिजनेस स्कूल, 2007-09 तक एलबीएस के कॉलर इंस्टीट्यूट ऑफ प्राइवेट इक्विटी  में अकेडमिक डायरेक्टर और समर 2008 में बैंक ऑफ इंग्लैंड में एक सीनियर हॉबलान-नॉर्मल रिसर्च फेलो के रूप में जुड़े थे.

वहीं, सितंबर, 2008 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस से जुड़ने वाले आचार्य अब वहां पर सीवी स्टार प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स हैं.

बता दें कि, विरल आचार्य आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ मिलकर रिसर्च पेपर्स लिख चुके हैं और उन्हें प्रेरणास्त्रोत बताते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)