सोहराबुद्दीन एनकाउंटर: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी किए गए सभी 22 लोगों को भेजा नोटिस

सोहराबुद्दीन शेख़ को वर्ष 2005 में कथित तौर पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था. वर्ष 2018 में एक विशेष अदालत ने गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया था.

सोहराबुद्दीन शेख़ और पत्नी कौसर बी (फाइल फोटो)

सोहराबुद्दीन शेख़ को वर्ष 2005 में कथित तौर पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था. वर्ष 2018 में एक विशेष अदालत ने गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया था.

सोहराबुद्दीन शेख़ और पत्नी कौसर बी (फाइल फोटो)
सोहराबुद्दीन शेख़ और पत्नी कौसर बी (फाइल फोटो)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट सोहराबुद्दीन शेख के भाइयों की उस अपील पर सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया जिसमें मामले में गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को बरी किए जाने के विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है.

जस्टिस आईए महंती और जस्टिस ए एम बदर की खंडपीठ इन अपीलों पर सुनवाई को तैयार हो गई तथा बरी किए गए लोगों को नोटिस जारी किए. पीठ बाद में इन अपीलों पर अंतिम सुनवाई करेगी.

सोहराबुद्दीन को वर्ष 2005 में कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था. वर्ष 2018 में एक विशेष अदालत ने गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया था.

विशेष सीबीआई अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अभियोजन यह स्थापित करने में विफल रहा कि सोहराबुद्दीन और अन्य-उसकी पत्नी कौसर बी तथा उसके साथी तुलसी प्रजापति को मारने के लिए कोई साजिश रची गई थी और आरोपियों की इसमें कोई भूमिका थी.

अदालत ने यह भी कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सोहराबुद्दीन और अन्य मारे गए हैं.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार सोहराबुद्दीन और कौसर बी नवंबर 2005 में गुजरात एटीएस द्वारा अलग-अलग मारे गए थे और कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ का प्रत्यक्षदर्शी होने के चलते प्रजापति को राजस्थान और गुजरात पुलिस ने 2006 में मार दिया था.

विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील इस साल अप्रैल में सोहराबुद्दीन के भाइयों-रुबाबुद्दीन शेख और नयाबुद्दीन शेख ने दायर की थीं.

बरी किए गए लोगों में से गुजरात और राजस्थान के 21 कनिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं. एक अन्य व्यक्ति गुजरात स्थित उस फार्म हाउस का मालिक है जहां सोहराबुद्दीन और कौसर बी को कथित तौर पर मारने से पहले अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था.

बता दें कि, इससे पहले सोहराबुद्दीन शेख़ के भाई रुबाबुद्दीन शेख़ ने इस साल जनवरी में गृह मंत्रालय और सीबीआई से अनुरोध किया था कि मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले के ख़िलाफ़ अपील करें. सोहराबुद्दीन को कथित रूप से फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था.

क्या है मामला

वर्ष 2005 में हुई इस कथित एनकाउंटर मामले में 22 लोग मुक़दमे का सामना कर रहे हैं, जिनमें ज़्यादातर पुलिसकर्मी हैं.

इस मामले पर विशेष निगाह रही है क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपियों में शामिल थे. हालांकि, उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा 2014 में आरोपमुक्त कर दिया गया था. शाह इन घटनाओं के वक़्त गुजरात के गृह मंत्री थे. मुक़दमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए.

बीते साल दिसंबर महीने की शुरुआत में आख़िरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वह 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे. ज़्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं.

अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामज़द 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया है. इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पीसी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंज़ारा शामिल हैं.

सीबीआई के मुताबिक आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख़, उसकी पत्नी कौसर बी. और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक़्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरमियानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे.

सीबीआई के मुताबिक शेख़ की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई. उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया.

साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए.

इस बीच, दिसंबर महीने में ही अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख़्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए. इनमें से एक का नाम आज़म ख़ान है और वह शेख़ का सहयोगी था.

आज़म ख़ान ने अपनी याचिका में दावा किया है कि सोहराबुद्दीन शेख़ पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी एवं पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा.

एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है. अदालत दोनों याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह सुनवाई के लायक नहीं है.

आरोपमुक्त किए गए सभी 22 लोग

सोहराबुद्दीन शेख़, उसकी पत्नी कौसर बी. और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में की गई हत्या के मामले में सीबीआई की एक विशेष अदालत द्वारा बरी किए गए 22 आरोपियों की सूची:

1. अब्दुल रहमान: राजस्थान में तत्कालीन पुलिस निरीक्षक. सीबीआई के मुताबिक, वह उस टीम का हिस्सा था जिसने शेख़ और कौसर बी. को अगवा किया. उस पर शेख़ पर गोली चलाने का भी आरोप था.

2. नारायणसिंह डाभी: गुजरात एटीएस में तत्कालीन इंस्पेक्टर. डाभी पर शेख़ की कथित हत्या करने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था.

3. मुकेश कुमार परमार: गुजरात एटीएस में तत्कालीन डीएसपी. परमार पर शेख़ की कथित हत्या करने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था.

4. हिमांशुसिंह राजावत: राजस्थान पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर. राजावत पर शेख़ की कथित हत्या करने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था.

5. श्याम सिंह चारण: राजस्थान पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर. शेख़ पर कथित तौर पर गोली चलाने का आरोपी.

6. राजेंद्र जीरावाला: गुजरात में एक फार्म हाउस का मालिक. सीबीआई के मुताबिक, उसे इस बात की जानकारी थी कि शेख़ और कौसर बी. को रखने के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा उसके फार्म हाउस का इस्तेमाल किया जा रहा है. उस पर शेख़ और कौसर बी. को अवैध रूप से बंधक बनाए रखने में मदद करने का आरोप था.

7. आशीष पांड्या: गुजरात पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर. उस पर तुलसीराम प्रजापति पर गोली चलाने का आरोप था.

8. घट्टामनेनी एस. राव: आंध्र प्रदेश पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर. उस पर शेख़ और कौसर बी. को आंध्र प्रदेश से गुजरात ले जाने का आरोप था.

9-16: युद्धबीर सिंह, करतार सिंह, नारायणसिंह चौहान, जेठासिंह सोलंकी, कांजीभाई कच्छी, विनोदकुमार लिम्बछिया, किरण सिंह चौहान और करण सिंह सिसोदिया: सीबीआई ने कहा कि वे प्रजापति की कथित हत्या करने वाली गुजरात एवं राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम का हिस्सा थे.

17-18. अजय कुमार परमार और संतराम शर्मा: गुजरात पुलिस के तत्कालीन कॉन्स्टेबल. उन पर शेख़ और उसकी पत्नी को गुजरात ले जाने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था.

19. बालकृष्ण चौबे: गुजरात एटीएस का तत्कालीन इंस्पेक्टर. सीबीआई के मुताबिक, वह उस जगह पर मौजूद था जहां शेख़ की कथित हत्या की गई. सीबीआई ने कहा कि उसने कौसर बी. के शव को ठिकाने लगाने में मदद की.

20. रमणभाई के. पटेल: गुजरात सीआईडी का जांच अधिकारी. सीबीआई ने उस पर शेख़ मुठभेड़ मामले में ‘गलत जांच’ करने का आरोप लगाया था.

21. नरेश वी. चौहान: गुजरात पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर. सीबीआई के मुताबिक, वह उस फार्म हाउस में मौजूद था जहां कौसर बी. को रखा गया था. जांच एजेंसी के मुताबिक, वह उस जगह भी मौजूद था जहां कौसर बी. का शव ठिकाने लगाया गया.

22. विजयकुमार राठौड़: गुजरात एटीएस का तत्कालीन इंस्पेक्टर. उस पर कौसर बी. का शव ठिकाने लगाने की साज़िश का हिस्सा होने का आरोप था.

सोहराबुद्दीन घटनाक्रम

22 नवंबर 2005: हैदराबाद से बस से सांगली लौटने के दौरान पुलिस की एक टीम ने उन्हें रोककर पूछताछ की और हिरासत में ले लिया. शेख़ और उसकी पत्नी को एक वाहन में रखा गया जबकि प्रजापति दूसरी गाड़ी में.

22 से 25 नवंबर 2005: शेख़ और कौसर बी. को अहमदाबाद के पास एक फार्म हाउस में रखा गया. प्रजापति को उदयपुर भेजा गया जहां उसे सुनवाई के लिये एक जेल में रखा गया.

26 नवंबर 2005: गुजरात और राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम ने कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में शेख़ को मार दिया.

29 नवंबर 2005: कौसर बी. की भी पुलिस ने कथित रूप से हत्या कर दी. उसके शव को जला दिया गया.

27 दिसंबर 2006: राजस्थान और गुजरात पुलिस की संयुक्त टीम प्रजापति को उदयपुर केंद्रीय कारागार से लेकर आई और गुजरात-राजस्थान सीमा पर सरहद छपरी के पास एक मुठभेड़ में कथित तौर पर मार दिया.

2005-2006: शेख़ परिवार ने मुठभेड़ मामले में जांच के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख़ किया और कौसर बी. का पता मांगा. उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि गुजरात राज्य सीआईडी को मामले में जांच शुरू करने का निर्देश दिया.

30 अप्रैल 2007: गुजरात सरकार ने उच्चतम न्यायालय में रिपोर्ट पेश कर बताया कि कौसर बी. की मौत हो गई है और उसके शव को जला दिया गया है.

जनवरी 2010: उच्चतम न्यायालय ने मामले की जांच का ज़िम्मा सीबीआई को सौंपा.

23 जुलाई 2010: सीबीआई ने मामले में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों सहित 38 लोगों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर किया.

25 जुलाई 2010: सीबीआई ने मामले में अमित शाह को गिरफ्तार किया.

27 सितंबर 2012: उच्चतम न्यायालय ने सोहराबुद्दीन शेख़-कौसर बी. के कथित मुठभेड़ मामले में सुनवाई गुजरात से मुंबई स्थानांतरित की और सीबीआई से निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने को कहा.

30 दिसंबर 2014: मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत ने मामले से अमित शाह को आरोपमुक्त कर दिया. इसके बाद मामले में कटारिया और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों समेत 15 आरोपियों को भी आरोपमुक्त कर दिया गया.

नवंबर 2015: शेख़ के भाई रुबाबुद्दीन ने मामले में अमित शाह की आरोपमुक्ति को चुनौती देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख़ किया. उसी महीने उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि वह मामले में सुनवाई आगे नहीं बढ़ाना चाहते इसलिए वह अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं.

अक्टूबर 2017: मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत ने 22 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप तय किए.

नवंबर 2017: सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने मामले में सुनवाई शुरू की. अभियोजन पक्ष ने 210 लोगों की गवाही ली जिनमें से 92 मुकर गए.

सितंबर 2018: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों डीजी वंज़ारा, राजकुमार पांडियन, एनके अमीन, विपुल अग्रवाल, दिनेश एमएन और दलपत सिंह राठौड़ को आरोपमुक्ति कायम रखी.

05 दिसंबर 2018: अदालत ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकीलों की ओर से अंतिम दलीलें पूरी होने के बाद 21 दिसंबर 2018 को फैसले के लिए मामला बंद कर दिया.

21 दिसंबर 2018: अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप तय करने में नाकाम रहने पर अदालत ने मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq