राज्यों ने 2018 तक निर्भया फंड का केवल 20 फीसदी इस्तेमाल किया

केंद्र सरकार द्वारा साल 2018 तक जारी किए गए 854.66 करोड़ रुपये में से विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने मात्र 165.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र सरकार द्वारा साल 2018 तक जारी किए गए 854.66 करोड़ रुपये में से विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने मात्र 165.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 से 2018 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के तहत आवंटित की गई राशि का 20 फीसदी से भी कम हिस्सा इस्तेमाल किया.

द हिंदू के अनुसार, केंद्र सरकार ने साल 2015 से 2019 तक निर्भया फंड के तहत लगभग 1813 करोड़ रुपये जारी किए.

शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने साल 2018 तक जारी की गई राशि के इस्तेमाल का ब्यौरा पेश किया. इस अवधि में 854.66 करोड़ रुपये जारी किए गए थे.

आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 854.66 करोड़ रुपये में से मात्र 165.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने किया. उन्होंने यह राशि केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं और स्थानीय सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिए मांगे गए फंड के तहत खर्च की.

बता दें कि, निर्भया फंड की स्थापना कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार ने 1000 करोड़ रुपये के शुरुआती कोष के साथ की थी. इस कोष की स्थापना दिसंबर, 2012 में नई दिल्ली में एक चलती बस में एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुई गैंगरेप के बाद की गई थी.

यह फंड महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के लिए बना था. पिछले छह सालों में इस फंड के लिए वित्त बजट में 3600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा चुका है. इस फंड की स्थापना साल 2013 में हुई थी लेकिन इसके वितरण में तेजी 2015 से देखी गई.

इस फंड के तहत राज्यों को जिन महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए फंड दिया जाता है उनमें आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम, वन स्टॉप स्कीम, महिला पुलिस स्वयंसेवी और महिला हेल्पलाइन योजना का सार्वभौमीकरण शामिल हैं.

निर्भया फंड के तहत चलने वाली विभिन्न योजनाओं के लिए मिलने वाली राशि का इस्तेमाल करने के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में चंडीगढ़ (59.83 फीसदी), मिजोरम (56.32 फीसदी), उत्तराखंड (51.68 फीसदी), आंध्र प्रदेश (43.23 फीसदी) और नागालैंड (38.17 फीसदी) हैं.

हालांकि, सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष और महिला हेल्पलाइन योजना के तहत चंडीगढ़ को जितनी राशि दी गई उसने उससे ज्यादा का ही इस्तेमाल किया है.

वहीं, इस फंड का इस्तेमाल करने में जिन पांच राज्यों ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है उनमें मणिपुर, महाराष्ट्र, लक्ष्यद्वीप (कोई पैसा इस्तेमाल नहीं किया), पश्चिम बंगाल (0.76 फीसदी) और दिल्ली (0.84 फीसदी) शामिल हैं.

दिल्ली को जिन चार योजनाओं के लिए 35 करोड़ की राशि आवंटित की गई उसमें से उसने तीन योजनाओं के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं किया. इसमें आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम और महिला हेल्पलाइन शामिल हैं.

वहीं, दिल्ली ने यौन हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं को मुआवजे के लिए मिलने वाली राशि का मात्र 3.41 फीसदी हिस्सा ही खर्च किया.

आंकड़े दिखाते हैं कि सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना के लिए एक भी पैसा इस्तेमाल नहीं किया. केंद्र सरकार ने 2017 में इस योजना के लिए 93.12 करोड़ रुपये जारी किए थे.

वहीं, 21 राज्यों ने केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष के तहत मिलने वाली राशि का एक भी पैसा नहीं खर्च किया. इस योजना के तहत बलात्कार, तेजाब हमला, मानव तस्करी और सीमा पार गोलीबारी में घायल या मरने वाली महिलाओं को सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है.

इस योजना के तहत 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 200 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी.

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