कर्नाटक: कांग्रेस-जद(एस) के 14 विधायकों ने दिया इस्तीफा, गठबंधन सरकार पर मंडराया संकट

कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा सरकार गिर जाएगी या बरकरार रहेगी, यह विधानसभा में तय होगा. वहीं, इस्तीफा देने वाले 10 विधायक शनिवार को मुंबई के लिए रवाना हो गए.

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शनिवार को बेंगलूरू में राजभवन के बाहर खड़े इस्तीफा देने वाले कांग्रेस और जद(एस) विधायक. (फोटो: पीटीआई)

कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा सरकार गिर जाएगी या बरकरार रहेगी, यह विधानसभा में तय होगा. वहीं, इस्तीफा देने वाले 10 विधायक शनिवार को मुंबई के लिए रवाना हो गए.

शनिवार को बेंगलूरू में राजभवन के बाहर खड़े इस्तीफा देने वाले कांग्रेस और जद(एस) विधायक. (फोटो: पीटीआई)
शनिवार को बेंगलूरू में राजभवन के बाहर खड़े इस्तीफा देने वाले कांग्रेस और जद(एस) विधायक. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलूरु: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 14 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने से राज्य में 13 माह पुरानी मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार खतरे में पड़ गई है.

यदि इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत खो देगा क्योंकि गठबंधन के विधायकों की संख्या घट कर 104 हो जाएगी. वहीं, भाजपा के 105 विधायक हैं.

कांग्रेस और जद (एस) के 13 विधायकों के अपना इस्तीफा सौंपने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय पहुंचने और बाद में राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करने के बाद गठबंधन सरकार की स्थिरता का संकट गहरा गया है.

इस हफ्ते की शुरूआत में कांग्रेस के एक अन्य विधायक आनंद सिंह ने भी स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा था.

दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद से गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे.

राज्यपाल से मिलने के बाद जद(एस) विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा, ‘आनंद सिंह सहित कांग्रेस और जद(एस) के 14 विधायकों ने अपना इस्तीफा (विधानसभा से) स्पीकर को सौंपा है…हम इस विषय को राज्यपाल के संज्ञान में भी लाये हैं.’

विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रही. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इस बगावत के पीछे भाजपा का हाथ है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार विधायकों के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रही…. वह लोगों की उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतर पाई.’

इस आरोप पर कि भाजपा ‘ऑपरेशन लोटस (भाजपा के चुनाव चिह्न)’ के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, उन्होंने कहा, ‘यह आपकी मनगढ़ंत बात है.’

उन्होंने कहा, ‘इसका कोई भाजपाई पहलू नहीं है. हम सभी वरिष्ठ हैं. कोई ऑपरेशन नहीं हो सकता…हम सरकार की उदासीनता के खिलाफ स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं.’

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार उस वक्त अपने कार्यालय में नहीं थे, जब विधायक वहां पहुंचे. हालांकि उन्होंने इस्तीफों की पुष्टि की और कहा, ‘सरकार गिरेगी या बरकरार रहेगी, इसका फैसला विधानसभा में होगा.’

इस बीच, आखिरी कोशिश के तहत कांग्रेस के मंत्री डीके शिवकुमार ने विधायकों से मुलाकात की और उन्हें मनाने की कोशिश की.

विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का संख्या बल स्पीकर के अलावा 118 — कांग्रेस-78, जद(एस)-37, बसपा-1 और निर्दलीय-2 विधायक — है. इसमें वे विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है.

जिन विधायकों को स्पीकर के कार्यालय में देखा गया, उनमें कांग्रेस के रमेश जरकीहोली (गोकक), प्रताप गौड़ा पाटिल (मास्की), शिवराम हेब्बार (येलापुर), महेश कुमाथल्ली (अथानी), बीसी पाटिल (हिरेकेरुर), बिरातिबासवराज (केआर पुरम), एसटी सोम शेखर (यशवंतपुर) और रामलिंग रेड्डी (बीटीएम लेआउट) शामिल हैं.

जद (एस) के विधायकों में एएच विश्वनाथ (हुंसुर), नारायण गौड़ा (के आर पेट) और गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट) शामिल हैं. विश्वनाथ ने हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘11 विधायकों ने कार्यालय में अपना इस्तीफा सौंपा है. मैंने अधिकारियों को (इस्तीफा) पत्र रख लेने और पावती देने के लिए कहा…मंगलवार को मैं कार्यालय जाऊंगा और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई करूंगा.’

सरकार के भविष्य के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘इंतजार कीजिए और देखिए, मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना…सरकार गिर जाएगी या बरकरार रहेगी, यह विधानसभा में तय होगा….’

उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने आशंका जताई थी कि भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकती है.

हाल ही में हुए आम चुनाव में राज्य की 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस और जद(एस), दोनों दल सिर्फ एक-एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाए थे.

भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट पर भाजपा पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी.

वहीं, इस्तीफा देने वाले 13 विधायकों में से 10 विधायक शनिवार को मुंबई के लिए रवाना हो गए. इन विधायकों के करीबी सूत्रों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों के मुंबई स्थित एक होटल में रुकने की संभावना है.

सत्तारूढ़ विधायकों के इस्तीफे के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गठबंधन समन्वय समिति के प्रमुख सिद्धारमैया ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक की सरकार चलती रहेगी जबकि भाजपा ने कहा कि इस्तीफों से उसका कोई लेना-देना नहीं है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों में हुए घटनाक्रमों से मेरा और मेरी पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने मीडिया में आई खबरों में सुना है कि कांग्रेस और जद (एस) विधायकों ने अपनी-अपनी विधानसभा सीटों से इस्तीफा दे दिया है.’

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी सदस्यता अभियान में व्यस्त है. उन्होंने कहा, ‘एक चीज मैं कह सकता हूं कि लोग चुनाव के लिए तैयार नहीं हैं. चुनाव सरकारी खजाने पर बोझ हैं.’

भाजपा विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने इन खबरों से इनकार किया कि वह इन विधायकों की यात्रा और उनके मुंबई में ठहरने के इंतजाम में मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘विधायक खुद गए हैं. भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है.’

जनवरी में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले कांग्रेस ने भाजपा के डर से अपने विधायकों को एक रिजॉर्ट भेज दिया था.

गुजरात कांग्रेस के विधायक भी 2017 में राज्य में ठहरे थे क्योंकि कांग्रेस को डर था कि राज्यसभा चुनाव से पहले विधायक छिटक सकते हैं.

इससे पहले मैसूरू जिला पंचायत चुनाव के दौरान भाजपा और जद (एस) के सदस्य राजनीतिक शिकार के डर से इसी रिजॉर्ट में रुके थे.

कर्नाटक में सरकार स्थिर, संविधान का चीरहरण कर रही है भाजपा: कांग्रेस

कर्नाटक में कई विधायकों के इस्तीफे के कारण कांग्रेस-जद(एस) सरकार पर मंडराए संकट के बीच कांग्रेस ने शनिवार को भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर ‘संविधान का चीरहरण’ करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी के षड्यंत्र के बावजूद राज्य की सरकार नहीं गिरेगी.

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कर्नाटक के ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर यहां बैठक की और विचार-विमर्श किया.

कांग्रेस का वॉररूम कहे जाने वाले 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर हुई इस बैठक में अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सुरजेवाला और कुछ अन्य नेता शामिल हुए.

इस घटनाक्रम के मद्देनजर कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी केसी वेणुगोपाल पहले से ही बेंगलूरु में मौजूद हैं. उधर, खड़गे ने कहा कि भाजपा के लोग कर्नाटक में सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार नहीं गिरेगी.

बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘कर्नाटक की कांग्रेस -जद(एस) सरकार शुरू से ही भाजपा को हजम नहीं हो रही है. वह विधायकों की मंडी लगाकर सरकार गिराने का षडयंत्र कर रही है.’

उन्होंने कहा कि राज्य में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार बनी हुई है.

सुरजेवाला ने दावा किया, ‘इन दिनों खरीद-फरोख्त का नया प्रतीक है जिसका नाम ‘मिस्चीवियसली ओरकस्ट्रेटेड डिफेक्शन इन इंडिया’ (एमओडीआई) है. विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है. संविधान और प्रजातंत्र का चीरहरण किया जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार (के शासनकाल) में भाजपा ने कुल 12 राज्यों में सरकार गिराने का प्रयास किया. इसकी शुरुआत अरुणाचल से हुई. पश्चिम बंगाल के बारे में तो प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कहा कि तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक उनके संपर्क में हैं.’

सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘जब देश के प्रधानमंत्री ‘आया राम-गया राम’ और विधायकों के दल-बदल का प्रतिबिंब बन जाएंगे तो लोकतंत्र की रक्षा कौन करेगा?’,

उन्होंने कहा, ‘हम भाजपा और मोदी जी को संविधान की रक्षा की शपथ याद दिलाना चाहते हैं और यह कहना चाहते हैं कि जब चुनाव में हार गए तो फिर पांच साल इंतजार करिये.’

कांग्रेस-जद(एस) की अंदरूनी कलह कर्नाटक में संकट के लिए जिम्मेदार: भाजपा

भाजपा ने कर्नाटक की सरकार गिराने की कोशिश करने के कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए शनिवार को कहा कि सत्तारूढ़ सहयोगी पार्टियों कांग्रेस और जद (एस) की अंदरूनी कलह राज्य में नई राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार है.

भाजपा के मीडिया प्रमुख एवं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ सहयोगियों के विधायकों के इस्तीफे के मामले में उनकी पार्टी की कोई भूमिका नहीं है. इस घटना ने राज्य की एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली सरकार के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा कर दिया है.

बलूनी ने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि कांग्रेस के भीतर और उसका जद (एस) के साथ राजनीतिक श्रेष्ठता का संघर्ष है. सिद्धारमैया नहीं चाहते कि कुमारस्वामी की सरकार चले . पूरी अस्थिरता का कारण यही द्वेषपूर्ण अंदरूनी राजनीति है.’

कांग्रेस नेता सिद्धारमैया कुमारस्वामी के पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.