एयर इंडिया ने पदोन्नति और नई नियुक्तियों पर लगाई रोक: अधिकारी

बताया जा रहा है कि सरकार क़र्ज़ के बोझ से दबी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश की तैयारी कर रही है, जिसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया है.

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(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

बताया जा रहा है कि सरकार क़र्ज़ के बोझ से दबी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश की तैयारी कर रही है, जिसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों की पदोन्नति और नए कर्मचारियों की नियुक्ति रोक दी है. सरकार कर्ज के बोझ से दबी कंपनी के विनिवेश की तैयारी कर रही है जिसके मद्देनजर एयरलाइन ने यह कदम उठाया है. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

सरकार द्वारा एयर इंडिया की विनिवेश यानी किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी को बेचना प्रक्रिया जल्द शुरू किए जाने की उम्मीद है.

अधिकारी ने कहा कि विनिवेश प्रक्रिया के लिए एयरलाइन के 15 जुलाई तक बही खाते को बंद कर दिया गया है. बोलियां मंगाने के लिए इन्हीं वित्तीय ब्योरों का इस्तेमाल किया जाएगा.

अधिकारी ने बताया कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बिक्री से पहले पदोन्नति और नई नियुक्तियां रोक दी गई हैं. एयरलाइन के स्थानीय कर्मचारियों की संख्या करीब 10,000 है.

हालांकि इस बारे में एयर इंडिया से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिली है. इस संबंध में नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला को भी सवाल भेजे गए हैं, लेकिन अब तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.

फिलहाल एयर इंडिया का प्रतिदिन का राजस्व 15 करोड़ रुपये है. सरकार ने 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश का प्रयास किया था लेकिन यह सफल नहीं हो पाया था.

वित्तीय लेन-देन सलाहकार ईवाई (अर्नस्ट एंड यंग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सरकार द्वारा अपने पास 24 प्रतिशत हिस्सेदारी और अधिकार रखने के फैसले और ऊंचे कर्ज के बोझ की वजह से विनिवेश प्रक्रिया विफल रही.

नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तीन जुलाई को राज्यसभा को बताया कि सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा था कि हिस्सेदारी बिक्री से पहले सरकार एयरलाइन को परिचालन की दृष्टि से अधिक व्यावहारिक बनाना चाहती है.

निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने सात जुलाई को कहा था, ‘यदि पहले नहीं हो पाता है, तो भी हम एयरलाइन के विनिवेश की प्रक्रिया को अक्टूबर तक पूरा करने का प्रयास करेंगे.’

चक्रवर्ती ने कहा था कि सरकार संभावित खरीददार को एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री की पेशकश कर सकती है. एयर इंडिया विशेष वैकल्पिक व्यवस्था (एआईएसएएम) इस बाबत अंतिम निर्णय करेगा.

इसी महीने की पांच तारीख को अपना पहला बजट भाषण पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार न सिर्फ एयर इंडिया में विनिवेश की प्रक्रिया शुरू करेगी बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कंपनियों में निजी क्षेत्र की योजनाबद्ध भागीदारी के लिए भी पहल करेगी.

मालूम हो कि गृह मंत्री अमित शाह एयर इंडिया विनिवेश पर पुनर्गठित मंत्री समूह की अगुआई करेंगे. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को इस मंत्री समूह से हटा दिया गया है.

समाचार एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से बीते 18 जुलाई को यह जानकारी दी थी. यह मंत्री समूह एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री के तौर तरीके तय करेगा. इसमें अब चार केंद्रीय मंत्री- अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल होंगे.

सूत्रों ने बताया है कि इस बार सरकार एयर इंडिया की शत-प्रतिशत यानी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री की पेशकश कर सकती है.

एयर इंडिया के विनिवेश पर मंत्री समूह का पहली बार गठन जून, 2017 में किया गया था. इस समूह को एयर इंडिया विशेष वैकल्पिक व्यवस्था (एआईएसएएम) का नाम दिया गया है. उस समय इस समूह की अगुवाई तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली कर रहे थे और इसमें पांच सदस्य थे. अन्य चार सदस्य नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू, बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल, रेल मंत्री सुरेश प्रभु तथा सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी थे.

मालूम हो कि केंद्रीय बजट में नागरिक विमानन मंत्रालय को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 4,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह पिछले वित्त वर्ष (2018-19) में आवंटित 9,700 करोड़ रुपये से 115 फीसदी कम है. वित्त वर्ष 2018-2019 के अंत तक एयर इंडिया पर 58,300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का कर्ज था.

बीते दिनों एयर इंडिया कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दर्जन भर से अधिक यूनियनों ने अपनी नौकरियों की चिंता को लेकर वित्तीय संकट से जूझ रही एयरलाइन के विनिवेश को लेकर केंद्र सरकार की कोशिश का विरोध जताया था.

एयर इंडिया के कर्मचारियों की यूनियन लगातार कंपनी के निजीकरण का विरोध करती रही है. किंगफिशर और जेट एयरवेज का उदाहरण देते हुए उनका कहना है कि निजीकरण इस समस्या का समाधान नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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