उत्तर प्रदेशः आज़म ख़ान की जौहर यूनिवर्सिटी को आवंटित 150 बीघा ज़मीन का पट्टा रद्द

रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी की यह ज़मीन 2013 में 30 साल के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जॉइंट सेक्रटरी के नाम से लीज़ पर ली गई थी. अदालत ने कहा कि यह कोसी नदी क्षेत्र की रेतीली ज़मीन है, जो सार्वजनिक उपयोग की है. अदालत ने कहा कि इस ज़मीन को गलत तरीके से लीज़ पर दिया गया था.

रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी की यह ज़मीन 2013 में 30 साल के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जॉइंट सेक्रटरी के नाम से लीज़ पर ली गई थी. अदालत ने कहा कि यह कोसी नदी क्षेत्र की रेतीली ज़मीन है, जो सार्वजनिक उपयोग की है. अदालत ने कहा कि इस ज़मीन को गलत तरीके से लीज़ पर दिया गया था.

azam khan
(फाइल फोटो)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से सांसद आज़म ख़ान की जौहर यूनिवर्सिटी के लिए पट्टे पर दी गई 150 बीघा जमीन का आवंटन रद्द कर दिया गया है. पट्टा रद्द किए जाने की कार्रवाई एसडीएम सदर कोर्ट से की गई है.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को उप जिलाधिकारी (सदर) प्रेम शंकर तिवारी की अदालत ने जौहर यूनिवर्सिटी की सात हेक्टेयर जमीन (150 बीघा) के पट्टे को रद्द कर दिया है.

यह जमीन 2013 में 30 साल के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जॉइंट सेक्रेटरी नसीर अहमद खान के नाम से लीज़ पर ली गई थी. अदालत ने कहा कि यह कोसी नदी क्षेत्र की रेतीली जमीन है, जो सार्वजनिक उपयोग की है.

अदालत ने यह भी माना कि इस जमीन को गलत तरीके से लीज़ पर दिया गया था.

इससे पहले जौहर यूनिवर्सिटी के बीच से गुजरने वाली सड़क को लेकर अदालत ने सपा नेता आज़म ख़ान को 3.27 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाने का निर्देश दिया है.

बता दें कि लोक निर्माण विभाग की बनाई हुई सड़क पर जौहर यूनिवर्सिटी का गेट खड़ा करने को लेकर काफी समय से विवाद था. इस पर अदालत ने 15 दिन के अंदर यूनिवर्सिटी गेट को हटाने का आदेश दिया है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके साथ ही विश्वविद्यालय की ही 65 एकड़ जमीन को सरकार को वापस देने का आदेश भी जारी हुआ है. इस जमीन को शत्रु संपत्ति बताया गया है.

मिली जानकारी के मुताबिक, रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी के पास 65 एकड़ जमीन इमामुद्दीन नाम के एक शख्स की थी जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे. उनकी यह जमीन शत्रु संपत्ति के तौर पर कस्टोडियन में दर्ज हो गई थी.

आज़म ख़ान के ऊपर आरोप है कि उन्होंने यह जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी करके विश्वविद्यालय में शामिल कर ली थी, जब राजनाथ सिंह गृहमंत्री थे तो यह जमीन बीएसएफ को दी गई थी.

आज़म ख़ान का कहना है कि यह जमीन शिया वक्फ बोर्ड में दर्ज है और इसको बोर्ड ने शैक्षिक कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए उन्हें पट्टे पर दे रखा है और इस विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन्हें स्टे भी मिला हुआ है लेकिन अब अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद रामपुर के नवाब घराने से ताल्लुक रखने वाले पूर्व एमएलए नवाब काजिम अली खान ने इसकी शिकायत गृह मंत्रालय की थी, जिसके बाद यह आदेश आया है.

मालूम हो कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िला प्रशासन ने सांसद आज़म ख़ान और उनके सहयोगी आले हसन ख़ान को आधिकारिक भूमाफिया घोषित किया है.

दोनों के नाम राज्य सरकार की भू-माफिया पोर्टल पर दर्ज कराया है. उन पर जौहर यूनिवर्सिटी के लिए ज़मीन हथियाने के लिए किसानों ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

आज़म ख़ान और उनके सहयोगी आले हसन के खिलाफ 26 किसानों की पांच हजार हेक्टेयर जमीन हड़पकर मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में इस्‍तेमाल करने का आरोप है.आज़म के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में 13 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं.