कर्नाटकः येदियुरप्पा के विश्वास मत से पहले 14 और बागी विधायक अयोग्य ठहराए गए

कर्नाटक विधाससभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार मौजूदा विधानसभा सत्र के लिए 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा चुके हैं.

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कांग्रेस विधायक रमेश कुमार (फोटोः पीटीआई)

कर्नाटक विधाससभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार मौजूदा विधानसभा सत्र के लिए 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा चुके हैं.

Ramessh-Kumar-PTI
कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने रविवार को 14 और बागी विधायकों को दल-बदल निरोधक कानून के तहत साल 2023 में विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य करार दिया.

विधानसभा अध्यक्ष का यह फैसला मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने के एक दिन पहले आया है.

बता दें कि, बीते 26 जुलाई को भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. कर्नाटक में चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद येदियुरप्पा को 29 जुलाई को बहुमत साबित करना है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने गुरुवार को तीन बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिनमें से 11 कांग्रेस के और तीन जेडीएस के हैं.

विधानसभा अध्यक्ष ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने मौजूदा विधानसभा से 14 और बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया है, जिसमें 11 कांग्रेस के और तीन जेडीएस के विधायक हैं.

इसका मतलब है कि ये अयोग्य ठहराए गए विधायक कर्नाटक विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल खत्म होने तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

कुमार से जब अयोग्य ठहराने के उनके विवादास्पद फैसले, जिस पर सवाल उठाये जा रहे हैं और पूरे मुद्दे पर उनके व्यवहार को लेकर आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किया. मुझे 100 प्रतिशत आघात लगा है.’

विधानसभाध्यक्ष की इस कार्रवाई का येदियुरप्पा सरकार के भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इन विधायकों के तत्काल प्रभाव से अयोग्य ठहराये जाने से उनकी अनुपस्थिति से सदन की प्रभावी संख्या कम हो जाएगी जिससे भाजपा के लिए आगे की राह आसान हो जाएगी.

गौरतलब है कि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 2023 में खत्म होगा.

उन्होंने पहले तीन असंतुष्ट विधायकों को गुरुवार को अयोग्य करार देते हुए कहा था कि वह बाकी के मामलों में आने वाले कुछ दिनों में अपने फैसले की घोषणा करेंगे.

गौरतलब है कि कांग्रेस और जेडीएस की सरकार में विधायकों के एक वर्ग के बागी होने के बाद मंगलवार को सरकार गिर गई थी. दोनों दलों ने अध्यक्ष से उनके बागी विधायकों को अयोग्य करार देने का आग्रह किया था.

इसके बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 208 हो गई. अब बहुमत का आंकड़ा 105 हो गया है, यह संख्या भारतीय जनता पार्टी के पास है.

एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार द्वारा पेश विश्वासमत पर मतविभाजन के समय 20 विधायकों के अनुपस्थित रहने से कई सप्ताह के ड्रामे के बाद उनकी सरकार गिर गई थी.

इन 20 विधायकों में 17 बागी विधायक तथा एक-एक कांग्रेस और बसपा का और एक निर्दलीय था.

17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के बाद 224 सदस्यीय विधानसभा (विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर जिन्हें मत बराबर होने की स्थिति में मतदान का अधिकार है) में प्रभावी संख्या 207 हो गई है. इसके साथ ही जादुई संख्या 104 रहेगी.

भाजपा के पास एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से 106 सदस्य, कांग्रेस 66 (मनोनीत सदस्य सहित), जद(एस) 34 और एक बसपा का सदस्य जिसे विश्वासमत के दौरान कुमारस्वामी सरकार के लिए मतदान नहीं करने के लिए पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया .

विधानसभा अध्यक्ष की ओर से यह फैसला अचानक ऐसे समय आया है जब भाजपा की ओर से यह संकेत दिया गया कि स्वेच्छा से पद नहीं छोड़ने पर वह उनके खिलाफ सोमवार को विधानसभा की बैठक के दौरान अविश्चास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है.

कुमार ने कहा कि वह यह कार्रवाई उन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली कांग्रेस और जदएस की अर्जियों पर कर रहे हैं जिन्होंने विधानसभा सदस्य के तौर पर अपने इस्तीफे सौंप दिये थे और जो एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन के दौरान मौजूद नहीं थे. उसके कारण कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी.

कुमार ने कहा कि उन्होंने बागी विधायकों के उस अनुरोध को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफों और उनके खिलाफ अयोग्य ठहराने की अर्जियों को लेकर उनके समक्ष पेश होने के लिए और चार सप्ताह का समय मांगा था.

विधानसभा अध्यक्ष ने इससे पहले बागी तीन विधायकों को अयोग्य ठहराने के समय ही स्पष्ट कर दिया था कि दल-बदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया कोई भी सदस्य वर्तमान सदन के कार्यकाल की समाप्ति तक चुनाव नहीं लड़ सकता। इस दलील को भाजपा, बागी विधायकों और कई अन्य विधिक विशेषज्ञों ने चुनौती दी है.

कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के गिरने का घटनाक्रम

कर्नाटक में राजनीतिक संकट और फिर अंतत: जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के गिरने से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:

एक जुलाई: विजयनगर के विधायक आनंद सिंह ने औने-पौने दाम पर 3,667 एकड़ जमीन जेएसडब्ल्यू स्टील को बेचने को लेकर अपनी नाखुशी प्रकट करते हुए विधानसभा से इस्तीफा दिया.

छह जुलाई: कांग्रेस के नौ और जेडीएस के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में उनकी गैर हाजिरी में इस्तीफा सौंपा.

सात जुलाई : मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अमेरिका यात्रा से लौटे.

आठ जुलाई: सभी मंत्रियों ने बागियों को शांत/संतुष्ट करने के वास्ते उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के लिए अपने अपने पार्टी नेताओं को इस्तीफा दिया.

दो निर्दलीय विधायकों– एच नागेश और आर शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और सरकार से समर्थन वापस लिया. उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया.

नौ जुलाई: कांग्रेस ने पार्टी विधायक दल की बैठक बुलायी,20 विधायक नहीं पहुंचे.

एक अन्य विधायक रौशन बेग ने विधानसभा से इस्तीफा दिया.

10 जुलाई: दो और कांग्रेस विधायकों– एमटीबी नागराज और डॉ. के सुधाकर ने इस्तीफा दिया.

17 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि 15 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

18 जुलाई: कुमारस्वामी ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया.

19 जुलाई: राज्यपाल वजूभाई वाला ने शुक्रवार तक ही मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए दो समयसीमाएं तय कीं. कुमारस्वामी ने निर्देश का उल्लंघन किया. विधानसभा 22 जुलाई तक स्थगित की गयी.

23 जुलाई: विश्वास प्रस्ताव गिरा. उसके पक्ष में 99 और विपक्ष में 105 वोट पड़े. 14 माह पुरानी सरकार गिरी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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