राजस्थान विधानसभा में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग रोधी विधेयक पारित

राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 के तहत मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को आजीवन कारावास और एक से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. वहीं ऑनर किलिंग के मामलों में फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी.

राजस्थान विधानसभा भवन. (फोटो साभार: http://www.rajassembly.nic.in)

राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 के तहत मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को आजीवन कारावास और एक से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. वहीं ऑनर किलिंग के मामलों में फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी.

राजस्थान विधानसभा भवन. (फोटो साभार: http://www.rajassembly.nic.in)
राजस्थान विधानसभा भवन. (फोटो साभार: http://www.rajassembly.nic.in)

जयपुर: राजस्थान विधानसभा ने मॉब लिंचिंग यानी भीड़ हिंसा और ऑनर किलिंग पर लगाम लगाने से जुड़े विधेयक बीते सोमवार को पारित कर दिए. विधेयकों में इन दोनों अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया है.

राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 के तहत मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को आजीवन कारावास और एक से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

इसके साथ ही भीड़ हिंसा के दौरान चोट लगने की स्थिति में दोषी को अधिकतम 10 साल तक के कारावास और तीन लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है.

भीड़ हिंसा की घटनाओं की साजिश रचने, साजिश रचने में शामिल होने या घटना में शामिल होने पर समान दंड का प्रावधान होगा.

विधेयक के अनुसार, ‘मॉब’ से आशय दो या दो व्यक्तियों के समूह से है. वहीं ‘लिंचिंग’ से आशय धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, आहार व्यवहार, राजनीतिक सम्बद्धता तथा नस्ल के आधार पर मॉब द्वारा किसी तरह की हिंसा करने, हिंसक कृत्य में सहायता करने, उसके लिए उकसाने या हिंसा के प्रयास आदि से है.

विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमारी धारीवाल ने कहा कि राजस्थान ऐसा पहला राज्य है, जहां मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया जा रहा है.

धारीवाल ने कहा, ‘हाल के वर्षों में राज्य में मॉब लिंचिंग की कुछ घटनाओं से राजस्थान के हर नागरिक का सर शर्म से झुक गया.’

हालांकि, विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने इस विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजे जाने की सिफारिश की. कटारिया ने कहा कि भावावेश में किसी कानून को इतना सख्त भी नहीं बना देना चाहिए कि लोग जानबूझकर उसकी अवहेलना करने लग जाएं.

विधेयक पर चर्चा और मंत्री धारीवाल के जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित हुआ घोषित किया.

बता दें कि धारीवाल ने 30 जुलाई को राजस्‍थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019 और वैवाहिक संबंधों की स्‍वतंत्रता में हस्‍तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019 को सदन में पेश किया था.

ऑनर किलिंग रोकथाम के लिए संशोधित विधेयक पारित

राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को ऑनर किलिंग की घटनाओं पर रोकथाम के लिए संशोधित विधेयक भी ध्वनिमत से पारित हुआ. विधेयक पर चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित हुआ घोषित किया.
राज्य की संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने 30 जुलाई को ‘वैवाहिक संबंधों की स्‍वतंत्रता में हस्‍तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019’ सदन में पेश किया था.

विधेयक के अनुसार, कथित सम्मान के लिए की जाने वाली हिंसा एवं कृत्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराध हैं और इन्हें रोकना जरूरी है.

ऑनर किलिंग के लिए फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी. जाति, समुदाय और परिवार के सम्मान के नाम पर शादीशुदा जोड़े में से किसी एक की जाने वाली हत्याएं गैर-जमानती होंगी. इसके अलावा पांच लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

इस विधेयक में शादीशुदा जोड़े पर जानलेवा हमला करने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकेगी.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को अपने फैसले में इस संबंध में कानून बनाने का निर्देश दिया था.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 16 जुलाई को बजट भाषण के जवाब के दौरान मॉब लिंचिंग और आनॅर किलिंग रोकने के लिए कानून बनाने की घोषणा की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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