क्या बंदूक के साये में संविधान बदलने की प्रक्रिया सही है?

गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार धारा 370 के कारण जो सुविधाएं जम्मू कश्मीर की जनता को नहीं मिल सकीं, क्या वे गुजरात के नागरिकों को भाजपा के 22 सालों के शासन में मिली हैं?

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India's Home Minister Amit Shah greets the media upon his arrival at the parliament in New Delhi, India, August 5, 2019. REUTERS/Stringer

गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार धारा 370 के कारण जो सुविधाएं जम्मू कश्मीर की जनता को नहीं मिल सकीं, क्या वे गुजरात के नागरिकों को भाजपा के 22 सालों के शासन में मिली हैं?

India's Home Minister Amit Shah greets the media upon his arrival at the parliament in New Delhi, India, August 5, 2019. REUTERS/Stringer
गृहमंत्री अमित शाह (फोटो: रॉयटर्स)

प्रिय अमित शाह जी,

मुझे समझ नहीं आया कि धर्म की इतनी दुहाई देने वाली आपकी सरकार ने अमरनाथ यात्रा को विधिवत रूप से शुरू होने के पहले (नियम के अनुसार वो 3 अगस्त को छड़ी मुबारक के साथ शुरू होती है) क्यों खत्म कर दिया?

जो आजतक नहीं हुआ. और साथ में दो अन्य धार्मिक यात्राओं को बीच में ही खत्म कर जम्मू एवं कश्मीर में संविधान की धारा  370 खत्म करने का फैसला इस तानाशाह तरीके से क्यों ले रहे हैं?

क्या बंदूक के साये में संविधान बदलने की प्रक्रिया सही है? क्या इसे 15 अगस्त के पहले लाना जरूरी था, इसलिए आपने करोड़ों लोगों की आस्था एवं लोकतंत्र किसी का भी ध्यान नहीं रखा?

मुझे यह भी समझ नहीं आया कि राम के नाम की दुहाई देने वाली आपकी सरकार ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई’ को कैसे भूल गए. चाहे वो जिस भी रूप में हो, लेकिन हमने जम्मू एवं कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाते समय संविधान की धारा 370 का वचन दिया था.

खैर, अगर आप यह मानते हैं कि हमारे पास उचित बहुमत है और हम सब कुछ कर सकते हैं, तो फिर इस बारे में किसी भी संवैधानिक एवं कानूनी बहस का कोई अर्थ नहीं है.

मगर, इस सबंध में राज्यसभा में दिए गए आपके जवाब एवं तर्को को मैंने ध्यानपूर्वक सुना, मैं उस पर जरूर कुछ कहना चाहूंगा. आपके अनुसार आप यह बिल वहां के अवाम के हित में ला रहे हैं और इसके हटने से वहां विकास के नए मार्ग खुलेंगे, जो आज तक इस धारा के चलते अवरूद्ध थे.

वहां युवाओं को रोजगार के अवसर मिलने की बात भी आपने कही और शिक्षा का अधिकार कानून से लेकर प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का लाभ वहां की जनता को मिलेगा.

आपके अनुसार धारा 370 के चलते आज वहां स्वास्थ्य की सही सुविधा नहीं है. इस धारा के हटने पर वहां पीपी मॉडल (निजी व सरकारी सहयोग से) के तहत स्वास्थ एवं शिक्षा व्यवस्था स्थापित कर सकने की बात कही.

आपने दलितों और आदिवासियों को उनके हक़ देने में आई बाधा एवं वहां व्याप्त भ्रष्टाचार की बात भी रखी. आपने सबसे ज्यादा जोर निजी निवेश पर दिया.

आपके तर्कों को सुनने के बाद मैंने यह समझने कि कोशिश की कि क्या वाकई जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को धारा 370 के चलते यह सब सुविधा नहीं मिल पा रही है? और क्या वाकई में पिछले 24 में से 22 साल तक आपकी पार्टी द्वारा शासित राज्य गुजरात में यह सब सुविधा वहां के नागरिकों को उपलब्ध है?

जब मैंने संयुक्त राष्ट्र के 1995 मानव विकास सूचकांक को देखा, तो पाया कि केरल जहां आज तक आपका शासन नहीं रहा, वो पहले नंबर पर है, जम्मू कश्मीर इस मामले में 11वें स्थान पर, एवं गुजरात 15वें नंबर है.

इतना ही नहीं, मैंने यह भी जानने की कोशिश की कि विकास के गुजरात मॉडल में शिक्षा के क्या हालात हैं. यहां स्कूल में और शिक्षा का अधिकार कानून को लेकर वहां कि सरकार क्या सोचती है.

आपकी की ही केंद्र सरकार के मानव विकास संसाधन मंत्रालय के द्वारा किए गए ‘नेशनल एचीवमेंट सर्वे’ जो जनवरी 2018 में जारी हुआ, के बारे में 7 मई, 2018 के इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है: वहां प्राथमिक शिक्षा की हालात बदतर है; लाखों बच्चे अपनी मातृभाषा गुजराती में एक साधारण वाक्य नही लिख पाए.

आपने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में कोई कॉरपोरेट उच्च शिक्षा में निवेश नहीं करना चाहता, लेकिन  उच्च शिक्षा के मामले में भी गुजरात फिस्सडी ही निकला. यहां 18 से 23 साल के सिर्फ 20% लोग ही उच्च शिक्षा पाते हैं; यह राष्ट्रीय औसत से भी कम है.

यहां सरकारी स्कूलों के हालात खराब होने के कारण निजी शिक्षा संस्थान की मांग बढ़ने से फीस में भी भारी बढ़ोतरी की बात कही है. क्या आप यही मॉडल जम्मू एवं कश्मीर की आवाम पर थोपना चाहते हैं?

सबसे कमाल की बात तो यह है, गुजरात की सरकार ने प्राथमिक शिक्षा के गिरते स्तर के लिए शिक्षा के अधिकार कानून को दोषी माना. कांग्रेस द्वारा लाए गए इस कानून का वहां की सरकार आज भी विरोध कर रही है और आप इसे जम्मू एवं कश्मीर में लागू करने की बात कर रहे हैं.

स्वयं सेवी संस्था द्वारा जारी शिक्षा की स्थिति पर जारी वार्षिक रिपोर्ट में भी लगभग यह बात कही गई है.

इतना ही नहीं स्वास्थ के भी सारे मापदंडो में गुजरात, इस समय आपकी सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंदी ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से भी, हर मामले में फिसड्डी है.

जैसे वो संपूर्ण टीकाकरण के मामले में पहले नंबर पर हैं, तो आप 12 पर; ग्रामीण स्वास्थ केंद्र में जन्म के मामले में जहां वो 7 नंबर पर है, तो आप 14वे पायदान पर है.

यहां के 40% बच्चे अवरुद्ध विकास (stunted growth) का शिकार हैं. गुजरात में बच्चों में कुपोषण के हालात यह हैं कि यह पांच साल से कम के बच्चों का बचपन बर्बाद होने के मामले में 34वें नंबर पर है; जो 2005 -06 में 18.7 % था, 2015-16 में बढ़कर 26.4% हो गया.

साथ गुजरात में टीबी के मरीज सबसे ज्यादा हैं; उत्तर प्रदेश के अलावा यह ही एकमात्र राज्य है, जहां पिछले एक दशक में इनके मामले बढ़े हैं. यहां के अस्पतालों के हालात  के बारे में आपने सीएजी द्वारा 2016 में जारी रिपोर्ट तो देखी ही होगी.

जहां तक रोजगार देने की बात है, वो बात अमित शाहजी आप न ही करें तो बेहतर है क्योंकि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की हालिया रिपोर्ट में बेरोजगारी की स्थिति 45 साल के सबसे बुरे स्तर पर है.

आपने भ्रष्टाचार की बात की, इसमें धारा 370 का क्या लेना देना, यह तो हमारी व्यवस्था की कमजोरी है. इससे कोई राज्य, नेता और पार्टी अछूती नहीं है.

गुजरात के मामले में सीएजी की अनेक रिपोर्ट हैं. आपके पुत्र जय शाह पर भी इस मामले में सवाल उठे हैं.

इतना ही नहीं, इन मामलों में देशभर में 71% आरोपी के सजा से बच जाने का देश का रिकॉर्ड भी गुजरात को ही हासिल है.

और जहां तक दलितों, आदिवासियों के अधिकार की बात है, उनके साथ शेष भारत में क्या हो रहा है; और खासकर पिछले 5 सालों में यह किसी से छुपा नहीं है. इतना ही नहीं किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं.

गुजरात मॉडल में कॉरपोरेट की लूट बढ़ी है और इसकी मार गरीबों पर पड़ी है. इसका कोई भी लाभ वहां कि जनता को नहीं मिला है.

सबसे बड़ी बात, वो ही इस राज्य के पर्यावरण और ख़ूबसूरती को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि यहां कंपनियों को खुली छूट देकर अन्य आदिवासी इलाकों की तरह इसे भी बर्बाद न किया जाए.

यह जगह क्लाइमेट चेंज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसे लेकर वहां के नागरिक समूह लगातार कोशिश भी कर रहे हैं, कि कैसे यह मुद्दा प्रमुखता से सामने आए.

आप विकास के चाहे जितने वादे कर लें, लेकिन जब संविधान की किसी धारा का कोई अडंगा नहीं होने के बावजूद आप अपनी पार्टी के पिछले 24 में से 22 साल के शासन में गुजरात की जनता को वो कुछ भी नहीं दे पाए, वो सब्जबाग दिखाकर आप किसे समझना चाहते हैं?

असल में आप शेष भारत की जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह खेल कर रहे हैं.

मेरा अनुरोध है आप यह खेल बंद करें.

(लेखक श्रमिक आदिवासी संगठन/समाजवादी जन परिषद के कार्यकर्ता हैं.)