मोदी सरकार के 89 सचिवों में सिर्फ एक एससी और तीन एसटी, एक भी ओबीसी नहीं

लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकडों के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्रालयों में कुल 93 अतिरिक्त सचिव हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ छह एससी और पांच एसटी हैं. वहीं एक भी अतिरिक्त सचिव ओबीसी समुदाय से नहीं है.

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The IAS Probationers calls on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, in New Delhi on February 16, 2015. The Minister of State for Development of North Eastern Region (I/C), Prime Minister’s Office, Personnel, Public Grievances & Pensions, Department of Atomic Energy, Department of Space, Dr. Jitendra Singh is also seen.

लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकडों के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्रालयों में कुल 93 अतिरिक्त सचिव हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ छह एससी और पांच एसटी हैं. वहीं एक भी अतिरिक्त सचिव ओबीसी समुदाय से नहीं है.

The IAS Probationers calls on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, in New Delhi on February 16, 2015. The Minister of State for Development of North Eastern Region (I/C), Prime Minister’s Office, Personnel, Public Grievances & Pensions, Department of Atomic Energy, Department of Space, Dr. Jitendra Singh is also seen.
एक कार्यक्रम में प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो: पीआईबी)

नई दिल्ली: वर्तमान में भारत सरकार के 89 सचिवों में से सिर्फ एक सचिव अनुसूचित जाति (एससी) और तीन सचिव अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि इन 89 सचिवों में से एक भी व्यक्ति अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से नहीं है.

पिछले महीने 10 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिब्येंदू अधिकारी द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ये जानकारी दी. इस सूची में शामिल ज्यादातर सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से हैं.

केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, निदेशक स्तर पर भी कम है.

SC ST Bureaucrat
(स्रोत: लोकसभा)

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में कुल 93 अतिरिक्त सचिव हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ छह लोग एससी और पांच लोग एसटी समुदाय से हैं. इस समय एक भी अतिरिक्त सचिव ओबीसी समुदाय से नहीं है. इस तरह केंद्र में अतिरिक्त सचिव के स्तर पर सिर्फ 6.45 फीसदी लोग एससी और 5.38 फीसदी लोग एसटी हैं.

इसी तरह केंद्र सरकार के कुल 275 संयुक्त सचिवों में से सिर्फ 13 सचिव एससी, 09 सचिव एसटी और 19 सचिव ओबीसी वर्ग से हैं. यानि कि कुल संयुक्त सचिवों में से सिर्फ 4.73 फीसदी एससी, 3.27 फीसदी एसटी और 6.91 फीसदी ओबीसी हैं.

इन आंकड़ों से ये स्पष्ट हो जाता है कि सरकार के उच्चतम स्तर पर आरक्षित वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व काफी कम है.

ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के बाद 1993 से मंत्रालय ओबीसी अधिकारियों का आंकड़ा रखता है. मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद से, सरकार ने सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए 27.5 प्रतिशत, एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य कर दिया है.

जितेंद्र सिंह द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत सरकार में केंद्रीय कर्मचारी योजना के तहत नियुक्त किए गए 288 निदेशक हैं, लेकिन इसमें से एससी समुदाय से सिर्फ 31 लोग (10.76 फीसदी), एसटी समुदाय से 12 लोग (4.17 फीसदी) और ओबीसी समुदाय से 40 लोग (13.86 फीसदी) हैं.

सिंह ने कहा कि आरक्षित श्रेणी के ज्यादातर अधिकारी अधिक उम्र में नौकरी में आते हैं. इस वजह से ऐसे अधिकारी अतिरिक्त सचिव और सचिव की नियुक्ति के लिए अपने बैच का नंबर आने से पहले ही रिटायर हो जाते हैं. इसी कारण आरक्षित समुदाय का प्रतिनिधित्व सरकार के उच्च स्तर पर कम है.

जितेंद्र सिंह ने यह भी दावा किया कि सरकार आरक्षित वर्ग के लोगों की नियुक्ति उच्च पदों पर करने की हरसंभव कोशिश करती है.

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