जम्मू कश्मीर के नागरिकों की आवाज़ सुनी जानी चाहिए: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को पहली बार जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का सरकार का फैसला देश के अधिकतर लोगों की अभिलाषा के अनुरूप नहीं है.

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: रॉयटर्स)

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को पहली बार जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का सरकार का फैसला देश के अधिकतर लोगों की अभिलाषा के अनुरूप नहीं है.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: रॉयटर्स)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का सरकार का फैसला देश के अधिकतर लोगों की अभिलाषा के अनुसार नहीं है.

उन्होंने कहा कि अगर भारत के विचार (आईडिया ऑफ इंडिया) को जीवंत रखना है तो जम्मू कश्मीर के नागरिकों की आवाज सुनी जानी चाहिए.

मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत गहरे संकट से गुजर रहा है  इसलिए समान विचार वाले लोगों को एकजुट होने की जरूरत है.

उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘देश की अधिकांश जनता की अभिलाषा का इसमें ध्यान नहीं रखा गया. महत्वपूर्ण है कि इन सभी लोगों की आवाज सुनी जाए. हम केवल अपनी आवाज उठाकर सुनिश्चित कर सकते हैं कि दूरगामी रूप से भारत का विचार जीवंत रहे, जो हमारे लिए बहुत पवित्र है.’

मनमोहन सिंह ने अपने पूर्व कैबिनेट सहयोगी एस. जयपाल रेड्डी को श्रद्धांजलि देने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी.

सिंह ने रेड्डी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि वह ऐसे कठिन समय में हमें छोड़कर गए हैं जब ‘बुरी ताकतें भारत के विचार को तबाह करने पर आमादा लगती हैं.’

उन्होंने कहा कि रेड्डी आशावादी थे और अच्छे इंसान थे. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव डी. राजा समेत कई नेताओं और पूर्व नौकरशाहों ने रेड्डी को श्रद्धांजलि दी. रेड्डी का जुलाई में हैदराबाद में निधन हो गया था.

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को एक बड़े फैसले के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और प्रदेश को दो भागों में बांटकर केंद्रशासित प्रदेश बना दिया. एक भाग जम्मू कश्मीर जिसमें विधानसभा भी रहेगा और दूसरा लद्दाख, जिसमें विधानसभा नहीं होगी.

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