असम: एनआरसी की अंतिम सूची से नाराज़ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन जाएगा सुप्रीम कोर्ट

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि एनआरसी अपूर्ण है. अपडेट प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करने के लिए शीर्ष न्यायालय से अपील करेंगे. एनआरसी अपडेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले असम पब्लिक वर्क्स एनआरसी से निकाले गए नामों को लेकर नाखुशी जाहिर की है.

फोटो: रॉयटर्स/nrcassam.nic.in

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि एनआरसी अपूर्ण है. अपडेट प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करने के लिए शीर्ष न्यायालय से अपील करेंगे. एनआरसी अपडेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले असम पब्लिक वर्क्स एनआरसी से निकाले गए नामों को लेकर नाखुशी जाहिर की है.

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गुवाहाटी: ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) शनिवार को जारी अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से निकाले गए नामों के आंकड़े से खुश नहीं है और इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा.

असम में एनआरसी को अपडेट करने का काम सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में किया जा रहा है ताकि केवल वास्तविक भारतीयों को ही शामिल किया जाए.

नॉर्थ ईस्ट नाऊ की खबर के अनुसार आसू के मुख्य सलाहकार समुज्ज्वल भट्टाचार्य ने कहा सरकार द्वारा अक्सर बताए जाने वाले अवैध विदेशियों के आंकड़े और एनआरसी में छूटे गए नामों की संख्या में काफी अंतर है.

आसू के महासचिव लुरिनज्योति गोगोई ने भी कहा, ‘हम इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं. ऐसा लगता है कि अपडेट प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं. हम मानते हैं कि एनआरसी अपूर्ण है. हम एनआरसी की खामियों को दूर करने के लिए उच्चतम न्यायालय से अपील करेंगे.’

गोगोई ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अंतिम आंकड़े कई मौकों पर प्रशासन की ओर से घोषित आंकड़ों से मेल नहीं खाते. आसू ने यह भी कहा कि उनका संगठन उन भारतीय नागरिकों की कानूनी मदद लेने में सहयोग करेगा, जिनके नाम एनआरसी में नहीं आए हैं.

मालूम हो कि राज्य से अवैध भारतीयों को निकालने के लिए हुए असम आंदोलन में आसू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वर्ष में 1985 में हुए असम समझौते में आसू एक पक्षकार है जिसमें असम में रह रहे अवैध विदेशियों को पहचानने, हटाने और निकालने का प्रावधान है.

इसके अलावा एनआरसी अपडेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने भी एनआरसी से निकले नामों को लेकर नाखुशी जाहिर की है. संगठन ने कहा है कि वे इसमें राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करेंगे.

एपीडब्ल्यू के प्रमुख अभिजीत शर्मा ने कहा, ‘इस एनआरसी के साथ तो अगले 30 सालों में भी असम से अवैध विदेशियों को नहीं निकाला जा सकेगा. यही कारण है कि हम एनआरसी के ड्राफ्ट के रीवेरिफिकेशन की मांग कर रहे थे.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने ड्राफ्ट के रीवेरिफिकेशन को लेकर 5 बार सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन उसे अदालत द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.’

गौरतलब है कि शनिवार को अंतिम एनआरसी को ऑनलाइन जारी किया गया. इससे 19 लाख लोगों के नाम बाहर हैं.

एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है. इस सूची से असंतुष्ट लोग 120 दिन के भीतर विदेशी न्यायाधिकरण का रुख कर सकते हैं.

असम सरकार ने पहले कहा था जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी न घोषित कर दे.

इससे पहले शुक्रवार को असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा था  कि एनआरसी से जो लोग छूट गये हैं उनकी चिंताओं पर राज्य सरकार ध्यान देगी और सुनिश्चित करेगी कि किसी का ‘अनावश्यक उत्पीड़न’ नहीं हो.

उन्होंने राज्य में बराक, ब्रह्मपुत्र, पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों के लोगों से अपील की कि अमन चैन बनाये रखें और परिपक्व समाज की मिसाल पेश करें.

सोनोवाल ने यह भरोसा भी दिलाया था कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किये गये हैं, उन्हें अपील दाखिल करने का मौका मिलेगा और केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार एफटी में उनका पक्ष सुना जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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