भूख से लड़ने के लिए सामुदायिक रसोई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई योजना तैयार करें.

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(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई योजना तैयार करें.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भूख से लड़ने के लिए देश के सभी राज्यों में सामुदायिक रसोई स्थापित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई योजना तैयार करें.

यह याचिका जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि भूख और कुपोषण की वजह से पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे मर जाते हैं और यह स्थिति भोजन के अधिकार और नागरिकों के जीवन के अधिकार समेत विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.

सामाजिक कार्यकर्ता अनून धवन, ईशान सिंह और कुंजन सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर लोगों के लिए राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिका में भूख से होने वाली मौतों को कम करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) को एक योजना तैयार करने का आदेश देने की मांग की गई है.

याचिका में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली में सरकार के वित्तपोषण से चलाई जा रही सामुदायिक रसोई का उल्लेख किया गया है. इसमें लोगों को स्वास्थ्यकर स्थिति में रियायती दरों पर खाना दिया जाता है.

यह याचिका अधिवक्ता आशिमा मांडला और फुजैल अहमद अयूबी के जरिए दाखिल की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)