आरटीआई से खुलासा, इस साल की पहली तिमाही में 31,898 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी हुई

देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना क्योंकि कुल धोखाधड़ी की 38 फीसदी धनराशि इसी बैंक से जुड़ी हुई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)

देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना क्योंकि कुल धोखाधड़ी की 38 फीसदी धनराशि इसी बैंक से जुड़ी हुई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)

इंदौर: सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के 18 बैंकों में कुल 31,898.63 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 2,480 मामले सामने आए हैं.

देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना क्योंकि इसमें से करीब 38 प्रतिशत धनराशि से जुड़े मामले केवल इसी बैंक की ने रिपोर्ट किए हैं.

मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक अधिकारी ने उन्हें यह जानकारी दी है.

आरटीआई के तहत गौड़ द्वारा प्राप्त किए गए जवाब से पता चलता है कि 30 जून को समाप्त पहली तिमाही में एसबीआई में धोखाधड़ी के 1,197 मामलों का पता चला जो कुल 12,012.77 करोड़ रुपये की राशि से संबंधित थे.

इस अवधि के दौरान बैंकिंग धोखाधड़ी की जद में आई सर्वाधिक धनराशि के पैमाने पर इलाहाबाद बैंक दूसरे स्थान पर रहा. इलाहाबाद बैंक में कुल 2,855.46 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 381 मामले सामने आए. पंजाब नेशनल बैंक कुल 2,526.55 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 99 मामलों के साथ इस सूची में तीसरे पायदान पर रहा.

बहरहाल, आरबीआई की ओर से आरटीआई के तहत मुहैया कराई गई जानकारी में बैंकिंग धोखाधड़ी की प्रकृति और इस धोखाधड़ी के शिकार बैंक या उसके ग्राहकों को हुए नुकसान का विशिष्ट ब्योरा नहीं दिया गया है.

आरटीआई अर्जी में गौड़ के एक सवाल पर आरबीआई ने कहा कि उसके पास ये आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों में कुल कितनी राशि का नुकसान हुआ.

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा में 2,297.05 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 75 मामले, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 2,133.08 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 45 मामले, केनरा बैंक में 2,035.81 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 69 मामले, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 1,982.27 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 194 मामले, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 1,196.19 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 31 मामले सामने आये.

इनके अलावा कॉरपोरेशन बैंक में 16 मामलों में 960.80 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक में 46 मामलों में 934.67 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक में 54 मामलों में 795.75 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 51 मामलों में 753.37 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया में 42 मामलों में 517.20 करोड़ रुपये, यूको बैंक में 34 मामलों में 470.74 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 85 मामलों में 253.43 करोड़ रुपये, आंध्रा बैंक में धोखाधड़ी के 23 मामलों में 136.27 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक में 37 मामलों में 37.17 करोड़ रुपये और पंजाब एंड सिंध बैंक में धोखाधड़ी के सिर्फ एक मामले में 2.2 लाख रुपये की धनराशि धोखाधड़ी की चपेट में आई.

बता दें कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 11 वित्तीय वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की भारी धनराशि की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए.

इससे पहले 2008- 09 में 1,860.09 करोड़ रुपये के 4,372 मामले सामने आए. इसके बाद 2009- 10 में 1,998.94 करोड़ रुपये के 4,669 मामले दर्ज किए गए. 2015- 16 में 18,698.82 करोड़ रुपये के 4,693 मामले और 2016- 17 में 23,933.85 करोड़ रुपये मूल्य के 5,076 मामले सामने आए.

इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकिंग क्षेत्र ने 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामलों को रिपोर्ट किया.

ये आंकड़े इसलिए उल्लेखनीय हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में बैंक धोखाधड़ी के कई बड़े मामले सामने आए हैं. इनमें भगोड़ा आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या से जुड़े मामले भी शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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