गुजरात ने घटाया नया ट्रैफिक जुर्माना, गडकरी बोले- जुर्माने का उद्देश्य ज़िंदगियां बचाना है

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मोटर वाहन अधिनियम में हुए संशोधन के बाद निर्धारित जुर्माना राशि घटा दी है. इसके बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जुर्माने का उद्देश्य राजस्व नहीं बल्कि ज़िंदगियां बचाना है.

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फोटो साभार: विकिपीडिया/By Bahnfrend-CC BY-SA 3.0

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मोटर वाहन अधिनियम में हुए संशोधन के बाद निर्धारित जुर्माना राशि घटा दी है. इसके बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जुर्माने का उद्देश्य राजस्व नहीं बल्कि ज़िंदगियां बचाना है.

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प्रतीकात्मक फोटो (साभार: विकिपीडिया/By Bahnfrend-CC BY-SA 3.0)

गांधीनगर: गुजरात सरकार ने मंगलवार को हाल में पारित किए गए नए मोटर वाहन अधिनियम में निर्धारित जुर्माने को कम कर दिया है.

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2019 जुलाई में संसद द्वारा पारित किया गया था और इसके तहत बढ़ी हुई जुर्माना राशि एक सितंबर से लागू हो गयी. हालांकि कुछ राज्यों ने यह कहते हुए इसे टाल दिया कि लोगों को बढ़ाये गए जुर्माने की राशि से परिचित होने के लिए समय की जरूरत है.

इसकी घोषणा करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि नये अधिनियम में निर्धारित जुर्माना अधिकतम सुझाया गया था और उन्हें सरकार ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद कम कर दिया गया है.

नये कानून के तहत बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाने पर 1000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है जिसे गुजरात सरकार ने 500 रुपये करने का निर्णय किया. चौपहिया वाहन के मामले में सीट बेल्ट नहीं होने पर भी यही दंड राशि रहेगी.

इसी प्रकार लाइसेंस बिना वाहन चलाने के लिए दंड राशि नये कानून के तहत 5000 रुपये है. गुजरात सरकार ने दुपहिया वाहनों के मामले में इसे 2000 रुपये और चौपहिया वाहनों के मामले में 3000 रुपये कर दिया गया है.

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार इस बदलाव पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘कोई भी राज्य मोटर व्हीकल संशोधन अधिनियम में बदलाव नहीं कर सकता. मुझे विश्वास है लोगों की जान बचाने के लिए सभी राज्य इसे लागू करेंगे.

एनडीटीवी के अनुसार गडकरी ने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा, ‘यह कोई रेवेन्यू इनकम स्कीम नहीं है. क्या आपको डेढ़ लाख लोगों की चिंता नहीं है?

केंद्रीय परिवहन मंत्री ने आगे कहा कि सभी राज्यों को तमिलनाडु से सीखना चाहिए, जहां सड़क दुर्घटनाओं में 28 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने कहा, ‘ऐसी दुर्घटनाओं में दो-तीन लाख लोग अपने हाथ-पैर खो देते हैं. यह देश के लिए अच्छा नहीं है. मेरी अपील है कि यह जुर्माने राजस्व के लिए नहीं बल्कि जिंदगियां बचाने के लिए हैं.’

यह स्वीकारते हुए कि सभी राज्य सरकारों को जुर्माने पर निर्णय लेने का हक़ है, उन्होंने कहा, ‘बहुत बदलाव आया है. बड़ी संख्या में लोग नियम तोड़ने से बच रहे हैं. इस व्यवस्था से लोगों की जान बचने में मदद मिलेगी.’

इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रूपाणी ने कहा था कि राज्य सरकार दंड राशि को कम करके यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के प्रति नरमी नहीं दिखा रही है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि राज्य सरकार द्वारा तय की गयी दंड राशि भी नया कानून लागू होने से पहले की तय राशि से दस गुना अधिक है.

रूपाणी ने कहा, ‘नए कानून में बताए गए जुर्माने केंद्र सरकार द्वारा सुझाई गई अधिकतम रकम थी. हमने इनमें कटौती की है. हमने ज्यादातर प्रावधान नहीं छेड़े हैं, लेकिन गैर-गंभीर मामलों में जुर्माने की रकम को सेटलमेंट के रूप में कम करने का फैसला किया है.

कई राज्य इस अधिनियम में हुए संशोधन के विरोध में हैं, इनमें पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तमिलनाडु शामिल हैं. इन राज्यों ने अभी नए नियम लागू नहीं किए हैं. उनका कहना है कि जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा है, इसलिए वे कानूनी राय ले रहे हैं.

इससे पहले मोटर व्हीकल एक्ट में हुए संशोधन पर नितिन गडकरी ने कहा था कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर लगाये गये भारी-भरकम जुर्माने का लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है.

उन्होंने कहा था, ‘मैं इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील हूं. उन लोगों से पूछिये जिन्होंने सड़क दुर्घटनाओं में किसी करीबी को खोया है. सड़क दुर्घटनाओं के 65 प्रतिशत शिकार 18 से 35 वर्ष के होते हैं, उनके परिजनों से पूछिये कि उन्हें कैसा लगता है. मैं खुद सड़क दुर्घटना का पीड़ित हूं. यह सोच-समझकर उठाया गया कदम है और चाहे कांग्रेस हो या तृणमूल और टीआरएस, सभी दलों की सहमति ली गयी है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)