बाबरी विध्वंस मामला: उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाया

बीते अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में यूपी सरकार को दो सप्ताह के अंदर आदेश जारी करने को कहा था. इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 लोग आरोपी हैं.

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लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती. (फोटो: पीटीआई)

बीते अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में यूपी सरकार को दो सप्ताह के अंदर आदेश जारी करने को कहा था. इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 लोग आरोपी हैं.

Babri PTI
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ा दिया है.

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 लोग आरोपी हैं. इन तीनों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा पर भी 19 अप्रैल 2017 को षड्यंत्र के आरोप लगाए थे.

जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा उनके समक्ष पेश किए गए हलफनामे और ऑफिस मेमो पर विचार किया.

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के निर्देश का पालन किया और विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल तब तक के लिए बढ़ा दिया जब तक वह अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला नहीं सुना देते.

पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए कहा, ‘हम संतुष्ट हैं कि आवश्यक कार्रवाई की गई.’

मालूम हो कि बीते अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की लखनऊ में सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के अंदर आदेश जारी करने को कहा था.

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना से संबंधित दो मुकदमे हैं. पहले मुकदमे में अज्ञात ‘कारसेवकों’ के नाम हैं जबकि दूसरे मुकदमे में भाजपा नेताओं पर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा था.

19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी किए गए फैसले खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अपील को अनुमति देकर आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 12 लोगों के खिलाफ साजिश के आरोपों को बहाल किया था.

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए रायबरेली और लखनऊ की अदालत में लंबित मुकदमों को मिलाने और लखनऊ में ही इस पर सुनवाई का आदेश दिया था.

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि मामले की कार्रवाई प्रतिदिन के आधार पर दो सालों में पूरी की जाए.

पीठ ने कहा कि राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते मामले के एक आरोपी कल्याण सिंह को संवैधानिक प्रतिरक्षा या बचाव प्राप्त होगा, लेकिन जैसे ही वह पद त्यागते हैं उनके खिलाफ अतिरिक्त आरोप दायर किए जाएंगे.

सिंह हाल में राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे हैं. उनके पद से हटते ही सीबीआई ने कल्याण सिंह को मामले में मुकदमे का सामना करने के मकसद से तलब करने के अनुरोध वाली अर्जी दी है.

पिछले साल 30 मई को विशेष सीबीआई भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 12 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)