जम्मू कश्मीर: नाबालिगों को हिरासत में रखे जाने पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने बाद से कथित तौर पर ग़ैरक़ानूनी तरीके से नाबालिगों को हिरासत में रखे जाने को लेकर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने बाद से कथित तौर पर ग़ैरक़ानूनी तरीके से नाबालिगों को हिरासत में रखे जाने को लेकर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में नाबालिगों को हिरासत में रखने संबंधी आरोपों को लेकर दायर याचिका पर जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से जांच करने को कहा है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने बोर्ड को एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.

सुरक्षाबलों द्वारा हिरासत में लिए गए इन नाबालिगों में से कुछ की उम्र 10 साल तक बताई जा रही है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह फिलहाल इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

हालांकि, अदालत ने कहा कि बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा द्वारा दायर याचिका में नाबालिगों को कथित रूप से हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाया गया है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने का विरोध करते हुए कहा कि इसका व्यापक खामियाजा भुगतना होगा. हालांकि अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और कहा कि समिति को इन आरोपों की जांच शुरू करनी चाहिए.

इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से याचिकाकर्ता वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी के बयान पर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा था.

अहमदी ने बताया था कि प्रतिबंधों की वजह से घाटी के लोग हाईकोर्ट से संपर्क नहीं साध पा रहे हैं. सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा पेश की गई रिपोर्ट याचिकाकर्ता वकील अहमदी के बयानों से मेल नहीं खाती.

गोगोई ने कहा, ‘लेकिन हमें विरोधाभासी रिपोर्टें भी मिली हैं. यह मामला कथित तौर पर बच्चों को हिरासत में लिए जाने का है तो हम हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से इसकी जांच करने को कहेंगे.’

यह याचिका मीडिया में फैली उन रिपोर्टों के बारे में हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में गैरकानूनी रूप से बच्चों को हिरासत में रखा जा रहा है. याचिका में इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि अदालत सरकार को निर्देश दे कि वह इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करे और जुवेनाइल जस्टिस समिति को इन मामलों की जांच करने का आदेश दे.

इसमें कहा गया है कि स्थिति की न्यायिक समीक्षा के लिए यह रिपोर्टें अत्यंत गंभीर हैं और इन पर जल्द से जल्द संज्ञान लिया जाना चाहिए.

मालूम हो कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए लोगों का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है लेकिन एक अनुमान के तौर पर राज्य में 4,000 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से लगभग 300 लोगों को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया.

जम्मू कश्मीर में इन प्रतिबंधों की वजह से दर्जनभर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें गैरकानूनी रूप से लोगों को हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी गई है और सरकार से कहा गया है कि वे हिरासत में लिए गए लोगों को अदालत के समक्ष पेश करें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq