केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों में छह और महीने के लिए लगाया आफस्पा

इसी साल अप्रैल महीने में आफस्पा क़ानून को तीन जिलों से आंशिक रूप से हटा दिया गया था. हालांकि, तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ कुछ थाना क्षेत्रों में इसे 30 सितंबर तक लागू रखने का फैसला किया था, जिसे अब 31 मार्च, 2020 तक बढ़ा दिया.

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(प्रती​कात्मक फोटो: रॉयटर्स)

इसी साल अप्रैल महीने में आफस्पा क़ानून को तीन जिलों से आंशिक रूप से हटा दिया गया था. हालांकि, तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ कुछ थाना क्षेत्रों में इसे 30 सितंबर तक लागू रखने का फैसला किया था, जिसे अब 31 मार्च, 2020 तक बढ़ा दिया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद अरुणाचल प्रदेश में तीन जिलों को आफस्पा के तहत और छह महीने के लिए ‘अशांत’ घोषित किया है.

गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, आफस्पा को तीन अन्य जिलों के तहत आने वाले चार पुलिस थाना क्षेत्रों में भी विस्तारित किया गया है.

अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग और असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के कुछ अन्य जिलों के चार थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाकों में लागू किया है, जिन्हें एक अप्रैल को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया था.

तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों और चार पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों में कानून व्यवस्था की समीक्षा की गई.

मंगलवार को जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘अब अरुणाचल प्रदेश में तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिले और असम राज्य की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के अन्य जिलों में चार पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत 31 मार्च, 2020 तक ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जाता है, जो 1 अक्टूबर, 2019 से प्रभावी है.’

इन चार पुलिस स्टेशनों में नामसाई जिले के नामसाई और महादेवपुर पुलिस स्टेशन, निचली दिबांग घाटी जिले का रोइंग पुलिस स्टेशन और लोहित जिले का सुनपुरा पुलिस स्टेशन शामिल हैं.

गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल महीने में सुरक्षाबलों को अतिरिक्त शक्तियां देने वाले सुरक्षाबल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) कानून को अरुणाचल प्रदेश के नौ में से तीन जिलों से आंशिक रूप से हटा लिया गया था और कुछ इलाकों में छह महीने के लिए लागू रखा गया था.

जस्टिस बीपी जीवन रेड्डी समिति ने राज्य से आफस्पा हटाने की सिफारिश की थी. राज्य में इस कानून लागू होने के 32 साल बाद यह फैसला किया गया था.  20 फरवरी, 1987 को राज्य के गठन के साथ ही यह कानून लागू हो गया था.

आफस्पा हटाए गए जिलों में पश्चिम कामेंग जिले के बालेमू और भालुकपोंग थाने, पूर्वी कामेंग जिले का सेइजोसा थाना और पापुमपारे जिले का बालीजान थाना शामिल थे.

वहीं, तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों, नामसाई जिले के नामसाई और महादेवपुर थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों, लोअर दिबांग घाटी जिले के रोइंग और लोहित जिले के सुनपुरा में आफस्पा को और छह महीने यानी  30 सितंबर तक लागू रखने की बात कही गई थी.

यह कानून असम और मणिपुर में पहले से लागू था. अरुणाचल प्रदेश के बाद मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड अस्तित्व में आए और इन राज्यों में भी यह कानून लागू किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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