अर्थव्यवस्था की समस्या दूर करने से पहले उसकी जानकारी होनी ज़रूरी है: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि निर्मला सीतारमण के बयानों को देखा जाए तो पता चलता है कि भाजपा सरकार लोक आधारित नीतियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार पर विपक्ष के सिर दोष मढ़ने का जुनून सवार है, इसलिए वह उस समस्या का हल नहीं ढूंढ पा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था की हालत सुधर सके.

मनमोहन सिंह.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि निर्मला सीतारमण के बयानों को देखा जाए तो पता चलता है कि भाजपा सरकार लोक आधारित नीतियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार पर विपक्ष के सिर दोष मढ़ने का जुनून सवार है, इसलिए वह उस समस्या का हल नहीं ढूंढ पा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था की हालत सुधर सके.

Mumbai: Congress senior leader and former prime minister Manmohan Singh addresses a press conference, in Mumbai, Thursday, Oct. 17, 2019. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI10_17_2019_000069)
गुरुवार को मुंबई में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आर्थिक सुस्ती और सरकार के उदासीन रवैये की वजह से भारतीयों के भविष्य और आकांक्षाओं पर असर पड़ रहा है.

उन्होंन केंद्र सरकार पर लोक नीतियों का अपनाने में विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयानों में दिखाई देता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘निर्मला सीतारमण के बयानों को देखा जाए तो पता चलता है कि भाजपा सरकार लोक नीतियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है. अर्थव्यवस्था की समस्या दूर करने से पहले उस समस्या की पूरी जानकारी होनी जरूरी है.’

एनडीटीवी के अनुसार मनमोहन सिंह ने कहा, ‘मैंने निर्मला सीतारमण का बयान देखा है. उस बयान पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता. सरकार पर विपक्ष के सिर दोष मढ़ने का जुनून सवार है, इसलिए उस समस्या का हल नहीं ढूंढ पा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था की हालत सुधर सके.’

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुंबई पहुंचे मनमोहन सिंह ने मुद्रास्फीति के मामले में केंद्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को दबाए रखने की सनक के चलते आज किसान परेशान हैं. सरकार की आयात-निर्यात नीति ऐसी है जिससे समस्याएं खड़ी हो रही हैं.

मालूम हो कि बीते मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौर को जिम्मेदार ठहाराया था. उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह और राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे बुरा दौर था.

राज्य की देवेंद्र फड़णवीस सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कारखाने बंद हुए हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कारोबारी धारणा काफी कमजोर हुई है और इस वजह से लगातार कारखाने बंद हो रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र का हर तीसरा युवा बेरोजगार है. संकटग्रस्त ग्रामीण क्षेत्र बेराजगारी की समस्या को और बढ़ाएगा, क्योंकि पलायन बढ़ेगा.’

इस दौरान पीएमसी बैंक की खाताधारकों के 15 सदस्यीय दल ने उनसे मुलाकात की. पीएमसी बैंक घोटाले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार दोनों ही लोगों के अनुकूल नीतियां नहीं अपनाना चाहती हैं, जिससे लोग परेशान हैं.

कांग्रेस को किसी से राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र लेने की ज़रूरत नहीं

मनमोहन सिंह ने कहा कि कांग्रेस को किसी से राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में वोट दिया लेकिन जिस तरीके से इसे किया गया उसका विरोध किया.

पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस को किसी से राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसकी भूमिका के बारे में सब जानते हैं. भाजपा या आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया था.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध लेने में नहीं किया जाना चाहिए.

सिंह के बयान ऐसे समय में आए हैं जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर कांग्रेस पर प्रहार कर रहे हैं.
वहीं, शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल सहित राकांपा के नेताओं के खिलाफ विभिन्न मामलों में ईडी की जांच चल रही है.

सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिस तरीके से संविधान के अनुच्छेद 370 को संसद में पेश किया गया, कांग्रेस ने उसका विरोध किया.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह का कदम उठाने से पहले जम्मू कश्मीर के लोगों का दिल जीतना जरूरी था.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने संसद में इस पहल (अनुच्छेद 370 को खत्म करना) के पक्ष में मतदान किया न कि इसके विरोध में. कांग्रेस का मानना है कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान है लेकिन अगर बदलाव लाया जाना है तो इसे जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के मुताबिक.’

सिंह ने कहा कि ईडी को राजग के शासन काल में पहले की तुलना में ज्यादा शक्तियां मिलीं और राजनीतिक बदले की भावना से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार प्रफुल्ल पटेल के साथ न्याय करेगी और कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इन ताकतों का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की भावना से नहीं किया जाएगा.’

सावरकर को भारत रत्न देने के भाजपा के चुनावी वादे के बारे में पूछने पर सिंह ने कहा कि कांग्रेस सावरकर के केवल हिंदुत्ववादी विचारधारा का विरोध करती है. महात्मा गांधी की हत्या के मामले में सावरकर आरोपी थे लेकिन वह बरी हो गए थे.

सिंह ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था, लेकिन हम हिंदुत्व की विचारधारा के समर्थन में नहीं हैं जिसे सावरकर जी ने संरक्षण दिया और प्रोत्साहित किया.’

मनमोहन सिंह ने राजग सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक पर भी प्रहार किया और इसे विभाजनकारी कदम बताया और इसे मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव बताया.

उन्होंने दावा किया कि संसद के इतिहास में पहली बार इस तरह का विभाजनकारी विधेयक पेश किया गया.

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के बारे में सिंह ने कहा कि भाजपा को उम्मीद थी कि इसमें मुस्लिम बाहर आएंगे, लेकिन जो 19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए उनमें से 12 लाख बंगाली हिंदू हैं.

सिंह ने कहा कि एनआरसी जैसे मामलों में निष्पक्ष तरीके से देखने की जरूरत है और जब लोग चाहते हैं कि विदेशी नागरिकों की पहचान की जाए और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन्हें कोई फायदा नहीं मिले, तो हमें इस मुद्दे को पूरी सहानुभूति के साथ मानवीय समस्या के तौर पर देखना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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