नजीब मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं: हाईकोर्ट

जेएनयू के लापता छात्र नजीब मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को कहा है. कोर्ट मामले में संदिग्ध एक छात्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

हाईकोर्ट ने कहा, छात्र अक्तूबर, 2016 में लापता हुआ था और अब फरवरी का महीना आ चुका है. लगभग चार महीने हो गए लेकिन किसी भी सुराग का कोई परिणाम नहीं निकला है.

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पिछले साल अक्टूबर में लापता नजीब को वापस लाने के लिए लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. फोटो: पीटीआई

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद का पता लगाने के लिए पुलिस से संबंधित लोगों का पॉलीग्राफ परीक्षण कराने जैसी अन्य तरकीबों की संभावना तलाशने को कहा है क्योंकि अभी तक नजीब को खोजने की सारी कोशिशें विफल साबित हुई हैं.

न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा, ‘छात्र अक्तूबर, 2016 में लापता हुआ था और अब फरवरी का महीना आ चुका है. लगभग चार महीने हो गए लेकिन किसी भी सुराग का कोई परिणाम नहीं निकला है. हमने पॉलीग्राफ परीक्षण के लिए कहा है क्योंकि उसे खोजने की दूसरी सभी कोशिशों का कोई परिणाम नहीं निकला है.’

पीठ मामले में संदिग्ध नौ छात्रों में से एक छात्र के आवेदन पर सुनवाई कर रही थी. आवेदन में हाईकोर्ट के 14 दिसंबर और 22 दिसंबर, 2016 के आदेशों को वापस लेने का आग्रह किया गया है.

आवेदन में कहा गया है कि इन दो आदेशों के ज़रिये अदालत जांच के तरीके को विनियमित कर रही है और इसलिए जांच पूर्वाग्रहयुक्त हो गई और संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है.

इस छात्र ने दिल्ली पुलिस की ओर से उसे जारी किए गए एक नोटिस को भी चुनौती दी है जिसमें उसे लाई-डिटेक्टर टेस्ट के लिए अपनी सहमति देने के वास्ते शुक्रवार को अदालत में पेश होने को कहा गया था.

दिल्ली सरकार के स्थाई अधिवक्ता राहुल मेहरा ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि इसी छात्र ने इससे पहले भी अन्य वकील के जरिए यही आवेदन दायर किया था और हाईकोर्ट ने इसे यह कहकर निपटा दिया था कि छात्र को आगे आना चाहिए.

मेहरा ने कहा कि वर्तमान आवेदन अदालत की प्रक्रिया का घोर उल्लंघन है. उन्होंने दलील दी कि छात्रों को छात्रों की तरह व्यवहार करना चाहिए और वे कानून से ऊपर नहीं हैं.

उधर, छात्र के वकील ने कहा कि वह पुलिस के नोटिस में इस्तेमाल की गई भाषा से क्षुब्ध हैं जो आवश्यकता से अधिक प्रतिक्रिया प्रतीत होती है.

पीठ ने अधिवक्ता से कहा कि यदि छात्र लाई-डिटेक्टर परीक्षण नहीं चाहता तो वह इससे इनकार कर सकता है. पुलिस नजीब के लापता होने के महीनों बाद भी छात्रों को थाने लेकर नहीं गई, जो कि आम तौर पर होता नहीं है.

13 फरवरी को अगली सुनवाई
पीठ ने सवाल किया कि अगर लापता छात्र के कमरे में रहने वाले छात्र के लाई डिटेक्टर परीक्षण के लिए कहा जा सकता है तो उन छात्रों से क्यों नहीं जिनसे उसका (नजीब) झगड़ा हुआ था. मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.

पिछले साल 15 अक्टूबर से लापता है नजीब
नजीब एबीवीपी से जुड़े छात्रों के साथ कथित झगड़े के बाद पिछले साल 15 अक्तूबर से जेएनयू हॉस्टल से लापता है. एबीवीपी ने उसके लापता होने की घटना में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है.

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