भारत में 2018 में करीब 5.4 लाख टीबी के मामले दर्ज नहीं हुएः विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीबी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में टीबी के 30 लाख मामले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में दर्ज नहीं हो पाते हैं. भारत में 2018 में टीबी के करीब 26.9 लाख मामले सामने आए और 21.5 लाख मामले भारत सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत दर्ज किए गए यानी 5,40,000 मामले इसमें दर्ज नहीं हुए.

Clinical lead Doctor Al Story points to an x-ray showing a pair of lungs infected with TB (tuberculosis) during an interview with Reuters on board the mobile X-ray unit screening for TB in Ladbroke Grove in London January 27, 2014. The only mobile unit testing for TB in the country works with the most vulnerable to the disease including the homeless, drug and alcohol dependent. REUTERS/Luke MacGregor (BRITAIN - Tags: HEALTH SOCIETY)

विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीबी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में टीबी के 30 लाख मामले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में दर्ज नहीं हो पाते हैं. भारत में 2018 में टीबी के करीब 26.9 लाख मामले सामने आए और 21.5 लाख मामले भारत सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत दर्ज किए गए यानी 5,40,000 मामले इसमें दर्ज नहीं हुए.

Clinical lead Doctor Al Story points to an x-ray showing a pair of lungs infected with TB (tuberculosis) during an interview with Reuters on board the mobile X-ray unit screening for TB in Ladbroke Grove in London January 27, 2014. The only mobile unit testing for TB in the country works with the most vulnerable to the disease including the homeless, drug and alcohol dependent. REUTERS/Luke MacGregor (BRITAIN - Tags: HEALTH SOCIETY)
(फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्लीः दुनिया में टीबी के सर्वाधिक मामले वाले आठ देशों में शुमार भारत में पिछले साल इस बीमारी के करीब 5.4 लाख मामले दर्ज नहीं हुए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीबी रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2018 में टीबी के मरीजों की संख्या में पिछले साल की तुलना में लगभग 50,000 की कमी आई है.

वर्ष 2017 में भारत में टीबी के 27.4 लाख मरीज थे जो साल 2018 में घटकर 26.9 लाख हो गये. प्रति 100,000 लोगों पर टीबी मरीजों की संख्या साल 2017 के 204 से घटकर साल 2018 में 199 हो गई.

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दुनियाभर में टीबी के 30 लाख मामले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में दर्ज नहीं हो पाते हैं. भारत में 2018 में टीबी के करीब 26.9 लाख मामले सामने आए और 21.5 लाख मामले भारत सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत दर्ज किए गए यानी 5,40,000 मरीजों के मामले इस कार्यक्रम में दर्ज नहीं हुए.’

जिन रोगियों पर टीबी रोधी महत्वपूर्ण दवा रिफैमपिसिन निष्प्रभावी रही उनकी संख्या 2017 में 32 फीसदी से बढ़कर 2018 में 46 फीसदी हो गई.

नए मरीजों और उपचार के बाद फिर इस बीमारी के गिरफ्त में आने वाले मरीजों की उपचार सफलता दर 2016 के 69 फीसदी से बढ़कर 2017 में 81 फीसदी हुई.

रिपोर्ट के मुताबिक, तकनीक में सुधार और इलाज की वजह से पहले के वर्षों की तुलना में 2018 में टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार मिल रहा है, जिनसे उनकी जिंदगी भी बच रही है.

2018 में दुनियाभर में टीबी से होने वाली मौतों की संख्या घटी है. 2018 में टीबी से 15 लाख लोगों की मौत हुई है जबकि 2017 में यह आंकड़ा 16 लाख था.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘हाल के वर्षों में टीबी के नए मामले तेजी से घटे हैं. हालांकि 2018 में कम आय वाले लगभग एक लाख लोग टीबी से ग्रसित हुए.’

डब्ल्यूएचओ के नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य टीबी के इलाज में सुधार करना है. यह दिशानिर्देश 24 मार्च 2019 को विश्व तपेदिक दिवस पर जारी किए गए उन कदमों का हिस्सा है, जिसका मकसद इस बीमारी को समाप्त करने के लिए प्रयासों को तेज करना है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब स्वास्थ्य ढांचे और कर्मचारियों की संख्या में कमी से टीबी का सही इलाज मुहैया कराना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा मामले दर्ज होने की कमजोर प्रणाली भी एक समस्या है. लोगों का इलाज भले ही हो जाता हो लेकिन ये मामले आधिकारिक रूप से दर्ज नहीं हो पाते, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बीमारी का सही खाका पेश नहीं हो पाता.

गरीब देशों के 80 फीसदी तक टीबी के मरीज अपनी वार्षिक आय का 20 से अधिक फीसदी हिस्सा इस बीमारी के इलाज में खर्च करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)