असम एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला को मध्य प्रदेश स्थानांतरित करने के लिए केंद्र ने मांगा समय

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और असम सरकार को 18 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि असम एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला को सात दिनों में उनके मूल राज्य मध्य प्रदेश स्थानांतरित कर दिया जाए.

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प्रतीक हजेला. (फोटो साभार: फेसबुक/विकिपीडिया)

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और असम सरकार को 18 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि असम एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला को सात दिनों में उनके मूल राज्य मध्य प्रदेश स्थानांतरित कर दिया जाए.

प्रतीक हजेला. (फोटो साभार: फेसबुक/विकिपीडिया)
प्रतीक हजेला. (फोटो साभार: फेसबुक/विकिपीडिया)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के समन्वयक प्रतीक हजेला को मध्य प्रदेश स्थानांतरित करने संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने की समयसीमा बढ़ाने के लिए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय पहुंची.

न्यायालय ने केंद्र और असम सरकार को 18 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि हजेला को सात दिनों में उनके मूल राज्य मध्य प्रदेश स्थानांतरित कर दिया जाए. हालांकि न्यायालय ने तबादला करने का स्पष्ट कारण नहीं दिया था, लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि प्रतीक हजेला की जान को खतरा है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.

केंद्र के वकील ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ से बृहस्पतिवार को कहा कि हालांकि सरकार ने असम-मेघालय काडर के 1995 बैच के आईएएस अधिकारी को स्थानांतरित करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन प्रक्रियागत औपचारिकताएं पूरी करने में कुछ और समय लगेगा.

जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नजीर भी पीठ में शामिल हैं. पीठ ने कहा, ‘आप याचिका दायर कीजिए.’

हजेला को शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अंतिम रूप देने और इसके आंकड़ों के प्रकाशन की संवेदनशील कवायद के लिए समन्वयक नियुक्त किया था. शीर्ष अदालत ने हजेला को अधिक संभव अवधि के लिए अंतर-काडर तबादले पर उनके गृह राज्य में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश दिया है.

पीठ ने यह आदेश पारित करने की कोई वजह स्पष्ट नहीं की, लेकिन इससे इन अटकलों को बल मिला कि असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टी को अंतिम रूप से देने के विशाल और संवेदनशील काम की निगरानी के बाद इस अधिकारी को शायद किसी प्रकार के खतरे की आशंका है.

शीर्ष अदालत ने असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर संबंधी याचिकाओं को सुनवाई के लिए पहले ही 26 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है.

असम एनआरसी को अंतिम रूप दिए जाने के बाद 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी. इससे राज्य में 19 लाख से अधिक आवेदकों के नाम बाहर कर दिए गए थे.

एनआरसी में नाम शामिल करने के लिए 3,30,27,661 व्यक्तियों ने आवेदन किया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को इसमें शामिल किया गया है जबकि 19,06,657 को इससे बाहर रखा गया.

एनआरसी के पहले मसौदे में 1.9 करोड़ लोगों के नाम प्रकाशित हुए थे. यह मसौदा 31 दिसंबर, 2017 की मध्य रात्रि को प्रकाशित किया गया था.

प्रतीक हजेला असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्‍हें असम में एनआरसी की पूरी प्रक्रिया के पर्यवेक्षण की जिम्‍मेदारी दी गई थी. 31 अगस्‍त को जारी एनआरसी की अंतिम सूची में कथित विसंगतियों के कारण पिछले महीने हजेला के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे.

इस बीच बीते 22 अक्टूबर को एनआरसी की मांग करने वाले मूल याचिकाकर्ता असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने सरकार से अपील की कि जब तक एनआरसी की पूरी प्रक्रिया का ऑडिट संपन्न नहीं हो जाता, तब तक के लिए एनआरसी के असम राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाए.

एपीडब्ल्यू नामक संगठन के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एक बयान में कहा था कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए हजेला एनआरसी प्रक्रिया की लेखा जांच पूरी होने तक देश से बाहर न जा पाएं.

शर्मा ने कहा था कि सरकार पर यह पता लगाने की बड़ी जिम्मेदारी है कि एक अधिकारी जिसने 1,600 करोड़ रुपये का सरकारी धन खर्च किया हो, वह खर्च की विस्तृत रिपोर्ट जमा किए बिना कैसे असम छोड़ सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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