इराक़ में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच चार सांसदों ने दिया इस्तीफ़ा

इराक़ में भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के विरोध में बीते एक अक्टूबर से सरकार विरोधी प्रदर्शन चल रहे हैं. अक्टूबर में प्रदर्शन के दौरान अब तक तकरीबन 231 लोगों की मौत हो चुकी है.

सोमवार को इराक के करबला में प्रदर्शन करते युवा. (फोटो: रॉयटर्स)

इराक़ में भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के विरोध में बीते एक अक्टूबर से सरकार विरोधी प्रदर्शन चल रहे हैं. अक्टूबर में प्रदर्शन के दौरान अब तक तकरीबन 231 लोगों की मौत हो चुकी है.

सोमवार को इराक के करबला में प्रदर्शन करते युवा. (फोटो: रॉयटर्स)
सोमवार को इराक के करबला में प्रदर्शन करते युवा. (फोटो: रॉयटर्स)

बग़दाद: इराक में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को रोकने में सरकार के नाकाम रहने और प्रदर्शनकारियों की आवाज दबाने के लिए उठाए गए कदमों के विरोध में चार सांसदों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

चार सांसदों के इस्तीफे ने पहले से ही मुश्किलों में घिरे प्रधानमंत्री अदेल अब्देल महदी पर दबाव बढ़ा दिया है.

इस महीने के शुरुआत में यहां सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए थे. प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए गोलियां चलाईं गईं, आंसू गैस के गोले छोड़े गए और अनेक प्रकार की कार्रवाईयां की गईं जिनमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में तकरीबन 231 लोगों की मौत प्रदर्शनों के दौरान हो चुकी है. बीते 25 और 26 अक्टूबर को सेना और मिलिशिया समूहों के साथ प्रदर्शनकारियों की मुठभेड़ में कम से कम 74 इराकी लोग मारे गए.

कम्युनिस्ट पार्टी के दो सांसदों- रईद फहमी और हाइफा अल अमीन ने एक बयान जारी करके कहा, ‘वे शांतिपूर्ण,लोकप्रिय अभियान के समर्थन में संसद छोड़ रहे हैं.’

फहमी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, ‘हम प्रदर्शनों के कारण और जिस प्रकार से उसे दबाया गया उसे देखते हुए अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘27 दिन में संसद ने कुछ नहीं किया. न तो वह प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहरा सकी और न ही गृह मंत्री को.’

उनके बयान में सरकार को इस्तीफा देने और नई मतदान व्यवस्था के तहत समय पूर्व चुनाव कराने की मांग की गई. इन दो सांसदों के अलावा ताहा अल दिफाई और मुजाहेम अल तमीमी ने भी रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

गौरतलब है कि एक अक्टूबर से देश में विरोध प्रदर्शनों के बाद से ही 329 सीटों वाली संसद मुश्किलों में घिरी हुई है और कोई हल निकालने के लिए अनेक सत्र बुलाए गए लेकिन सभी बेनतीजा रहे हैं.

मालूम हो कि इराक में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ बीते एक अक्टूबर से इराकी युवा प्रदर्शन कर रहे हैं.

अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी बगदाद में सरकारी विरोधी प्रदर्शनों में छात्र शामिल हो गए हैं, क्योंकि राजधानी के मध्य स्थित तहरीर चौक पर हजारों लोग उपवास कर रहे हैं.

तमाम स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया है.

बता दें कि इराक में जारी अशांति ने दो साल की स्थिरता को तोड़ कर रख दिया है, जिसने हाल के वर्षों में अमेरिका द्वारा आक्रमण और आईएसआईएस के साथ लंबी लड़ाई झेली है.

अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, पिछली साल गर्मियों में बसरा शहर के दक्षिणी इलाके में इसी तरह के प्रदर्शनों ने पूर्व प्रधानमंत्री हैदर-अल-आबदी के दूसरी कार्यकाल की संभावना का खत्म कर दिया था. उनकी जगह अदेल अब्देल मेहदी ने सत्ता संभाली थी. अगले महीने प्रधानमंत्री के तौर पर वह एक साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे.

इन प्रदर्शनों ने अब तक की सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री अदेल अब्देल मेहदी की सरकार को दी है, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को देखते हुए अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल और सुधार पैकेज जारी करने का आश्वासन दिया है.

हालांकि प्रधानमंत्री का यह आश्वासन प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए बहुत कम साबित हुआ. दरअसल लोगों न केवल प्रधानमंत्री मेहदी के प्रशासन, बल्कि इराक के व्यापक राजनीतिक प्रतिष्ठान से भी नाराज़ हैं.

इनके बारे में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये लोग देश के नागरिकों का जीवनस्तर सुधारने में नाकाम रहे हैं.

रिपोर्ट में विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बताया गया है कि विश्व का पांचवें सबसे बड़े तेल भंडार वाले देश इराक की चार करोड़ की आबादी की 60 प्रतिशत जनता रोजाना छह डॉलर से कम पर गुजारा करती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)