पीएम किसान: 30 फीसदी राशि ख़र्च नहीं हो पाएगी क्योंकि केंद्र को किसानों की कुल संख्या पता नहीं

कृषि मंत्रालय ने शुरू में अनुमान लगाया था कि पीएम किसान योजना के तहत कुल 14.5 करोड़ किसान परिवारों को लाभ मिल सकता है. हालांकि सही आंकड़ा नहीं होने की वजह से लाभार्थियों की संख्या कम होने की संभावना है.

Nadia: A farmer prepares land for cultivation during Monsoon season, in Nadia district of West Bengal, Tuesday, July 9, 2019. (PTI Photo)(PTI7_9_2019_000060B)
Nadia: A farmer prepares land for cultivation during Monsoon season, in Nadia district of West Bengal, Tuesday, July 9, 2019. (PTI Photo)(PTI7_9_2019_000060B)

कृषि मंत्रालय ने शुरू में अनुमान लगाया था कि पीएम किसान योजना के तहत कुल 14.5 करोड़ किसान परिवारों को लाभ मिल सकता है. हालांकि सही आंकड़ा नहीं होने की वजह से लाभार्थियों की संख्या कम होने की संभावना है.

Nadia: A farmer prepares land for cultivation during Monsoon season, in Nadia district of West Bengal, Tuesday, July 9, 2019. (PTI Photo)(PTI7_9_2019_000060B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आवंटित किए गए 75,000 करोड़ रुपये के बड़े हिस्से को केंद्र सरकार खर्च नहीं कर पाएगी.

द वायर को दिए गए एक इंटरव्यू में केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव और पीएम किसान के सीईओ विवेक अग्रवाल ने ये बात कही है. अग्रवाल ने कहा कि इस योजना के तहत 2019-20 के दौरान करीब 50,000 करोड़ रुपये ही खर्च होने की संभावना है.

इस तरह पीएम किसान के लिए आवंटित राशि 75,000 करोड़ का 25,000 करोड़ रुपये यानी की 33 फीसदी हिस्सा खर्च नहीं हो सकेगा. अग्रवाल ने बताया कि मुख्य वजह ये है कि कुल अनुमानित किए गए 14.5 करोड़ लाभार्थियों के मुकाबले वास्तविक किसान परिवारों की संख्या कम होने की संभावना है.

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, या तो लाभार्थियों के आंकड़े मुहैया कराने में देरी कर रहे हैं या उन्होंने आंकड़े ही नहीं दिए हैं.

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि जब पीएम किसान योजना को लॉन्च किया था उस समय केंद्र के पास ये जानकारी ही नहीं थी कि देश में कुल कितने किसान हैं. इस समय भी सरकार के पास ऐसा कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि देश में कुल कितने किसान हैं. ये इस बात का संकेत है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस योजना को आनन-फानन में लॉन्च किया गया था.

इसे फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, जब तत्कालीन अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की थी कि भारत सरकार छोटे और सीमांत किसान परिवारों को तीन किस्तों में सीधे हस्तांतरण के रूप में 6,000 रुपये प्रति वर्ष प्रदान करेगी.

लोकसभा चुनाव में फिर से चुने जाने के बाद सरकार ने घोषणा की कि इस योजना को अब छोटे और सीमांत किसानों तक सीमित नहीं रखा जाएगा और यह देश के सभी किसानों पर लागू होगा.

इस योजना के लिए दिसंबर 2018 से मार्च 2019 के बीच पहली किस्त प्रदान करने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. हालांकि फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार सिर्फ 8,000 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई थी.


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लोकसभा चुनाव के बाद घोषणा की गई कि इस योजना से 14.5 करोड़ किसानों को लाभान्वित होने का अनुमान है. इसके लिए और राशि आवंटित की जा सकती है. हालांकि पीएम किसान के सीईओ विवेक अग्रवाल का कहना है कि ऐसा अब तक नहीं हुआ है और ऐसा होगा भी नहीं.

इस साल के आवंटन के मुकाबले अब तक केवल 26,000 करोड़ रुपये या 34 फीसदी राशि ही खर्च की जा सकी है. विवेक अग्रवाल का मानना है कि इस वित्त वर्ष के लिए आवंटित किए गए 75,000 करोड़ रुपये पूरी तरह से खर्च नहीं किए जा सकते हैं.

उन्होंने द वायर से कहा, ‘देखिए, जब हम इस योजना को 100 फीसदी लागू कर पाएंगे, तब हम प्रत्येक वर्ष पूरे 75,000 करोड़ रुपये का उपयोग कर सकते हैं. लेकिन इस साल यह संभव नहीं होगा. यह संभव है कि हम 50,000 करोड़ रुपये तक खर्च कर लें. अगले साल हम 70,000 रुपये या 60,000 करोड़ रुपये तक खर्च कर सकते हैं.’

अग्रवाल के अनुसार, पीएम किसान के लिए आवंटित कुल राशि खर्च न होने की एक प्रमुख वजह यह है कि देश में किसान परिवारों की अनुमानित संख्या 14.5 करोड़ से कम हो सकती है.

देश में किसान परिवारों की संख्या का अनुमान 2015-16 की कृषि जनगणना पर आधारित है, जिसके मुताबिक देश में कुल जोत (ऑपरेशनल लैंड होल्डिंग) की संख्या 14.65 करोड़ है. जोत का मतलब है जमीन का वो भाग जिस पर खेती की जाती है.

हालांकि कुल जोत (ऑपरेशनल लैंड होल्डिंग) और किसान परिवारों की संख्या बराबर नहीं हो सकती है, क्योंकि हो सकता है कि कोई किसान परिवार दो या दो से ज्यादा जोत का मालिक हो या उस पर खेती करता हो.

वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी हो सकता है कि एक जोत पर दो या दो से ज्यादा किसान परिवार खेती करते हों. इसका एक प्रमुख उदाहरण पंजाब है जहां पर कृषि जनगणना के मुताबिक जोत की संख्या 10.93 लाख है लेकिन पीएम किसान के डेटाबेस के मुताबिक यहां पर लाभार्थियों की संख्या 17.52 लाख है.

कृषि मंत्रालय का मानना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि पंजाब में एक जमीन के एक से अधिक मालिक हैं.

चूंकि पीएम किसान योजना के तहत किसानों को पंजीकृत करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है, इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि लाभान्वित होने वाले किसान परिवारों की संख्या अनुमानित 14.5 करोड़ से कम होगी या अधिक.

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