क्यों कानून बनने के 24 साल बाद भी मैला ढोने की प्रथा समाप्त नहीं हुई?

मैला ढोने के कार्य से जुड़े श्रमिकों के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना के पहले के वर्षों में 100 करोड़ रुपए के आसपास आवंटित किया गया था, जबकि 2014-15 और 2015-16 में इस योजना पर कोई भी व्यय नहीं हुआ.