दिल्ली दंगे ने लोगों को अपने ही शहर में बनाया शरणार्थी

उत्तर पूर्वी दिल्ली के शिव विहार में बीते दिनों हुए दंगे के बाद सैकड़ों मुस्लिम परिवारों ने मुस्तफाबाद ने शरण ली है. पीड़ितों को डर है कि अगर वे वापस जाएंगे, तो हिंदुत्व संगठन के लोग उन पर हमला कर सकते हैं

दिल्ली दंगा: पत्रकारों पर हुए हमले की आपबीती

वीडियो: दिल्ली में दंगाइयों ने विभिन्न मीडिया संस्थानों के कई पत्रकारों को निशाना बनाया. एक पत्रकार को गोली मार दी गई, कई घायल हुए और महिला पत्रकारों को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा. इस बारे में द वायर के पत्रकारों- अजय आशीर्वाद, नाओमी बार्टन और अविचल दुबे से धीरज मिश्रा की बातचीत.

कृषि मंत्रालय खुद ये मानता है कि एमएसपी बढ़ाने पर बाज़ार में विकृति आने का सीधा संबंध नहीं

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए कृषि मंत्रालय के आंतरिक गोपनीय दस्तावेज़ों से पता चलता है कि सरकार ख़ुद ये स्वीकार करती है कि अधिक एमएसपी किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति से निकालने के लिए ज़रूरी है. हालांकि इसके बावजूद केंद्र पिछले कई सालों से लागत का डेढ़ गुना दाम देने की मांग को दरकिनार करती आ रही है.

महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के वीसी की नियुक्ति में फर्जीवाड़े का आरोप, केंद्र को लिखा पत्र

बिहार के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मौजूदा कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा पर आरोप था कि मेरठ विश्वविद्यालय में उन्हें फ़र्ज़ी तरीके से रजिस्ट्रार बनाया गया था. इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि उन्हें ग़लत तरीके से प्रमोशन देकर रीडर से प्रोफेसर बनाया गया था.

भाजपा शासित राज्यों समेत कई प्रदेशों ने की थी एमएसपी बढ़ाने की सिफ़ारिश, केंद्र ने ठुकराया

द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ बताते हैं कि महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों ने केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी पर सहमति नहीं जताई थी. राज्यों ने अपने यहां की उत्पादन लागत के हिसाब से समर्थन मूल्य तय करने की सिफ़ारिश की थी, लेकिन केंद्र ने सभी प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया.

फसलों के उचित दाम देने वाली योजना के बजट में बड़ी कटौती, 2019-20 के लिए भी फंड घटा

मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए पिछले कुछ सालों में कई कृषि योजनाओं को लॉन्च किया था. हालांकि इनके लागू होने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन योजनाओं के आवंटित बजट में बड़ी कटौती की है.

दिल्ली चुनाव: बुराड़ी की जनता बोली- जिसने हमारे लिए काम किया, उसे देंगे वोट

वीडियो: उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी से संजीव झा, भाजपा-जदयू गठबंधन से शैलेंद्र कुमार और कांग्रेस-राजद गठबंधन से प्रमोद त्यागी चुनाव मैदान में हैं. यहां के मतदाताओं ने राज्य और केंद्र की योजनाओं समेत नागरिकता क़ानून पर अपनी राय साझा की.

एक्सक्लूसिव: एनपीआर पर जनता को गुमराह करती मोदी सरकार

वीडियो: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ों से खुलासा होता है कि किस तरह केंद्र की मोदी सरकार काफी पहले से एनपीआर में आधार को ‘अनिवार्य’ करने का न सिर्फ़ मन बना चुकी थी, बल्कि करीब 60 करोड़ आधार नंबर को एनपीआर से जोड़ने का काम भी पूरा हो चुका है.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने ख़ुद कहा था कि एनपीआर के साथ आधार ज़रूर जोड़ा जाना चाहिए

विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 15 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तत्कालीन प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें आधार जारी करने, एनपीआर डेटाबेस के साथ आधार नंबर को जोड़ने और समय-समय पर एनपीआर में आधार नंबर अपडेट करने को लेकर चर्चा की गई थी.

गृह मंत्रालय ने अक्टूबर 2019 में एनपीआर के लिए आधार नंबर अनिवार्य करने का किया था प्रस्ताव

द वायर एक्सक्लूसिव: दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने एनपीआर में अनिवार्य रूप से आधार इकट्ठा करने के लिए आधार क़ानून या नागरिकता क़ानून में भी संशोधन करने का प्रस्ताव रखा था.

तक़रीबन 60 करोड़ आधार नंबर पहले ही एनपीआर से जोड़े जा चुके हैं

द वायर एक्सक्लूसिव: गृह मंत्रालय आश्वासन दे रहा है कि जिन लोगों के पास आधार नंबर नहीं है उन्हें एनपीआर अपडेट करने के दौरान ऐसे दस्तावेज़ देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. हालांकि प्राप्त किए आधिकारिक दस्तावेज़ सरकार के इन आश्वासनों पर सवालिया निशान खड़े करते हैं.

विचार-विमर्श के नियमों का उल्लंघन कर पारित हुआ था सामान्य वर्ग आरक्षण, पीएमओ की थी बड़ी भूमिका

द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को आरक्षण देने वाले 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर क़ानून मंत्रालय के अलावा किसी अन्य विभाग के साथ विचार-विमर्श नहीं किया गया था. सरकार ने 20 दिन के भीतर ही इस विधेयक की परिकल्पना कर इसे संसद के दोनों सदनों से पारित कराकर क़ानून बना दिया था.

तीन तलाक़ बिल के लिए क़ानून मंत्रालय ने किया नियमों का उल्लंघन: आरटीआई

वीडियो: द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कानून मंत्रालय ने तीन तलाक़ बिल पर किसी भी मंत्रालय या विभाग से विचार-विमर्श नहीं किया था. इसके लिए मंत्रालय ने दलील दी थी कि तीन तलाक़ की अनुचित प्रथा को रोकने की जल्द ज़रूरत है, इसलिए संबंधित मंत्रालयों से परामर्श नहीं लिया गया.

क़ानून मंत्रालय ने तीन तलाक़ बिल पर किसी भी मंत्रालय या विभाग से नहीं किया था विचार-विमर्श

विशेष रिपोर्ट: आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि मंत्रालय ने दलील दी थी कि तीन तलाक़ की अनुचित प्रथा को रोकने की अति-आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए संबंधित मंत्रालयों से परामर्श नहीं लिया गया.

‘बेटा अस्पताल में घंटों पड़ा रहा, लेकिन किसी ने चेक नहीं किया कि वह ज़िंदा भी है या नहीं’

ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले में बीते 21 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था. इस दौरान फ़ैज़ ख़ान नाम के एक युवक की मौत हो गई थी. परिजनों का आरोप है कि फ़ैज़ को समय पर मेडिकल सुविधा नहीं दी गई और जब परिवार ने उनका शव लेना चाहा तो पुलिस ने उन्हें पीटा.

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