स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने का प्रयास जारी है

एक पूरे मीडिया संगठन पर 'छापेमारी' करना और उचित प्रक्रिया के बिना पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छीन लेना स्वतंत्र प्रेस के लिए एक बुरा संकेत है, लेकिन लोकतंत्र के लिए उससे भी बदतर है.

संपादकीय: पाठकों से माफ़ी और एक वादा…

द वायर स्वीकार करता है कि इसकी मेटा संबंधी रिपोर्ट्स के प्रकाशन से पहले की आंतरिक संपादकीय प्रक्रियाएं उन मानकों को पूरा नहीं करती थीं जो द वायर ने अपने लिए तय किए हैं और जिनकी इसके पाठक इससे उम्मीद करते हैं. 

बिलक़ीस की इंसाफ़ की लड़ाई अब देश की ज़िम्मेदारी है

2002 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़ीस मामले में शामिल होने का फैसला किया था क्योंकि उसे पता था कि गुजरात सरकार बलात्कारियों और हत्यारों को बचा रही है. बीस साल बाद भी कुछ नहीं बदला है.

संपादकीय: कोविड संकट में सरकार के नाकाम प्रबंधन की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग की ज़रूरत है

कोविड-19 की दूसरी लहर ने जिस राष्ट्रीय आपदा को जन्म दिया है, वैसी आपदा भारत ने आजादी के बाद से अब तक नहीं देखी थी. इस बात के तमात सबूत सामने हैं कि इसे टाला जा सकता था और इसके प्राणघातक प्रभाव को कम करने के लिए उचित क़दम उठाए जा सकते थे.

संपादकीय: केंद्र के नए नियम स्वतंत्र मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास हैं

अनुचित तरीके से बनाए गए नए सोशल मीडिया नियम समाचार वेबसाइट्स को सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ खड़ा करते हैं. इन्हें वापस लिया ही जाना चाहिए.

संपादकीय: मीडिया के गुंडों को उनकी जगह दिखाने का वक़्त आ गया है

टीवी न्यूज़ चैनलों की बदौलत आज रिया चक्रवर्ती हर तरह की निंदा की पात्र बन चुकी हैं, जिन पर बिना किसी सबूत के तमाम तरह के आरोप लगाए गए हैं.

संपादकीय: द वायर के पांच साल

पांच साल पहले हमने कहा था कि हम नये तरीके से ऐसे मीडिया का निर्माण करना चाहते हैं जो पत्रकारों, पाठकों और जिम्मेदार नागरिकों का संयुक्त प्रयास हो. हम अपने इस सिद्धांत पर टिके रहे हैं और यही आगे बढ़ने में हमारी मदद करेगा.

संपादकीय: देश में चल रहे प्रदर्शन नागरिकता क़ानून के विरोध के साथ संविधान बचाने के लिए भी हैं

एनआरसी और एनपीआर को ख़ारिज किया जाना चाहिए और नागरिकता क़ानून को फिर से तैयार किया जाए, जिसमें इसके प्रावधान किन्हीं धर्म विशेष के लिए नहीं, बल्कि सभी प्रताड़ितों के लिए हों.

संपादकीय: अभिव्यक्ति पर अंकुश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए हुई गिरफ़्तारियां विभिन्न राज्यों की सरकारों द्वारा आम लोगों की आवाज़ दबाने के लिए क़ानून के दुरुपयोग के पैटर्न का ही हिस्सा है.

संपादकीयः नफ़रत भरी चुनावी राजनीति पर चुनाव आयोग की चुप्पी भी अपराध है

चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व केवल आदर्श आचार संहिता ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि क़ानून को भी बरक़रार रखना है, जिसके तहत प्रधानमंत्री सहित विभिन्न भाजपा नेताओं के नफ़रत भरे भाषण अपराध की श्रेणी में आते हैं.

संपादकीय: भारत-पाकिस्तान को अब आपसी तनाव कम करने पर ज़ोर देना चाहिए

पाकिस्तान का दायित्व है कि वो अपनी ज़मीन पर पनप रहे आतंकी समूहों के ख़िलाफ़ कदम उठाए. प्रधानमंत्री इमरान खान को यह समझना होगा कि उनके ऐसा न करने की स्थिति में बातचीत के प्रस्ताव से कुछ हासिल नहीं होगा.

संपादकीय: गुजराती अस्मिता और गिर के शेर

गुजरात ने शेरों के संरक्षण पर काफ़ी मेहनत की है, लेकिन यह भी दिखता है कि उनके प्रयास केवल 'गुजरात के शेरों तक सीमित है, जबकि आवश्यकता एक राष्ट्रीय नज़रिये की है.