सरदार सरोवर परियोजना में देरी करने वाले असली ‘अर्बन नक्सल’ कौन हैं

'विकास' परियोजनाओं के नाम पर जबरन बेदखल किए जाने पर अपने वजूद और प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखने के लिए लड़ने वालों को जब नरेंद्र मोदी 'अर्बन नक्सल' कहते हैं तो वे इनके संघर्षों का अपमान तो करते ही हैं, साथ ही परियोजना में हुई देरी के लिए ज़िम्मेदार सरकारी वजहों को भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं.

गुजरात ‘मॉडल’ को चुनौती देने वाले केवड़िया कॉलोनी संघर्ष का पुनरावलोकन

जहां देश एक ओर 'गुजरात मॉडल' के भेष में पेश किए गए छलावे को लेकर आज सच जान रहा है, वहीं गुजरात के केवड़िया गांव के आदिवासियों ने काफ़ी पहले ही इसके खोखलेपन को समझकर इसके ख़िलाफ़ सफलतापूर्वक एक प्रतिरोध आंदोलन खड़ा किया था.

महादेव देसाई की डायरी के ज़रिये साबरमती आश्रम में टीकाकरण पर हुई चर्चा का पुनर्पाठ

गांधी कहते थे कि वे किसी को चेचक का टीका लेने से नहीं रोकेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि वे अपनी मान्यता नहीं बदल सकते और टीकाकरण को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं.

मुलशी सत्याग्रह: देश के पहले बांध-विरोधी आंदोलन की सौंवीं वर्षगांठ पर उसे याद करना ज़रूरी है

1920 के दशक में भारत का पहला बांध-विरोधी आंदोलन पश्चिम महाराष्ट्र्र में पुणे के पास मुला-मुठा नदी के संगम पर टाटा कंपनी द्वारा बनाए गए मुलशी बांध के ख़िलाफ़ था. सेनापति बापट और विनायकराव भुस्कुटे की अगुवाई हुए आंदोलन के बावजूद कंपनी बांध बनाने में सफल रही, जिससे आज भी यहां के रहवासी प्रभावित हैं.