क्या मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत बनाने की बजाय क़र्ज़ निर्भर भारत बनाना चाहती है?

कोरोना महामारी के संकट से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था क़र्ज़ के दलदल में फंस चुकी थी. अब इस संकट के बाद नए क़र्ज़ बांटने से इसका बुरा हाल होना तय है.

भारत जैसे देश में सिर्फ़ संविधान की सीमाओं में रहकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं

आज़ादी के इतिहास को देखने पर यह पता चलता है कि तत्कालीन नेताओं ने आज़ादी को प्राप्त करने हेतु अपने-अपने मार्गों पर चलने का कार्य किया परंतु एक मार्ग पर चलने वाले ने दूसरे मार्ग पर चलने वाले नेताओं को कभी भी राष्ट्रद्रोही नहीं कहा.

एनआरसी: मोदी सरकार को बताना चाहिए कि 40 लाख लोगों के साथ वह क्या करने वाली है?

असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर भाजपा पूरे देश में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने को तैयार है. लेकिन सही मायने में केंद्र सरकार को देश की जनता एवं संसद को यह बताना चाहिए कि उसकी कार्ययोजना इस सूची से बाहर किए गए 40 लाख लोगों को लेकर क्या रहेगी.

जिस संस्था की बुनियाद में नफ़रत हो वह भारत की बहुलता की समझ कैसे रख सकती है?

यदि धार्मिक आधार पर हम राष्ट्रीयता तय करेंगे तो देश में एक बहुत बड़ी खाई पैदा हो जाएगी जिसकी वजह से भारत की प्रगति में बाधा आएगी.

मोदी के चार साल: देश का किसान दुख और विनाश के चक्रव्यूह में फंस गया है

देश में पिछले चार वर्षों में कृषि विकास दर का औसत 1.9 प्रतिशत रहा. किसानों के लिए समर्थन मूल्य से लेकर, फसल बीमा योजना, कृषि जिंसों का निर्यात, गन्ने का बकाया भुगतान और कृषि ऋण जैसे बिंदुओं पर केंद्र सरकार पूर्णतया विफल हो गई है.