क्या भारत एक ‘डेटा ब्लैकहोल’ बनने के रास्ते पर बढ़ रहा है

नीति संबंधी निर्णयों में आंकड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है. सरकार यदि लोगों के जीवन, ख़ासकर स्वास्थ्य-शिक्षा, रोज़गार में सुधार लाना चाहती है, तो ज़रूरी है कि उनके पास इनका सही आकलन करने की क्षमता, सही आंकड़े व जानकारी हों. वर्तमान सरकार जिस तरह विभिन्न डेटा और रिकॉर्ड न होने की बात कह रही है, वो देश को उस 'डेटा ब्लैकहोल' की ओर ले जा रहे हैं, जिसके अंधेरे में सुधार की राह खो गई है.

क्या सरकार को मिड-डे मील योजना के लिए अक्षय-पात्र जैसी संस्थाओं की ज़रूरत है?

कर्नाटक में मिड-डे मील योजना के लगभग 40 लाख लाभार्थी बच्चों में से क़रीब 10 प्रतिशत को अक्षय-पात्र फाउंडेशन नाम की संस्था भोजन मुहैया कराती है. हाल ही में इस संस्था में धांधली के आरोप लगे हैं. साथ ही यह संस्था अंडे जैसे पौष्टिक आहार को भी इस योजना से जोड़ने के ख़िलाफ़ रही है.

कोरोना लॉकडाउन: ग़रीब और कमज़ोर तबके की मदद के लिए क्या उपाय किया जा सकते हैं

देशभर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थितियां उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेंगी, जो इस महामारी से तो शायद बच जाएंगे, लेकिन रोज़मर्रा की आवश्यक ज़रूरतों का पूरा न होना उनके लिए अलग मुश्किलें खड़ी करेगा.

आधार को मिड डे मील से जोड़ने पर नुकसान के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा

मिड डे मील योजना को आधार कार्ड से जोड़ना पहले से ही कमज़ोर हमारी स्कूली प्रणाली को और धक्का पहुंचा सकती है. सवाल उठता है कि आख़िर सरकार बायोमेट्रिक सत्यापन के ज़रिये किस समस्या का समाधान करना चाह रही है?